जिला प्रतिनिधि // डी. जी. चौरे (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बालाघाट . लक्ष्मण केा मूर्छा से उठाने वाली संजीवनी की तरह ही एक बूटी बालाघाट के जंगलों में मिली है। यह बूटी जितना अंधेरा होता हैं उतनी ही तेज चमकती है। इतना ही नही जितना ज्यादा सन्नाटा रहेगा उसकी चमक भी उतना ही तेज होती हैं लुप्त हो रही जड़ी बूटीयों को बचाने के लिए आयुष विभाग द्वारा शुरू किए गए अभियान में इस तरह की बूटी हाथ लगी है। आयुष संचालनालय मे ंविेशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी व ड्रग इंस्पेक्टर डा. अरविंद चौबे ने बताया कि विभाग द्वारा लुप्त हो रही जड़ी बूटियों को बचाने के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है। इसके लिए परम्परागत इलाज करने वाले वैघों व जानकारों का सहयोग लिया जा रहा है। बालाघाट की बैहर तहसील के गांव चारघाट के पास एक नाले के किनारे बैगा जाति के एक आदिवासी को रात में कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया। जब उसने नजदीक से जाकर देखा तो करीब सौ ग्राम की एक टेढ़ी मेढ़ी लकड़ी मिली। उसका कुछ हिस्स जमीन से ऊपर था और बाकी नीचें। जब आयुर्वेद के अधिकारियों को इस बात का पता चला तो ड्रग इंस्पेक्टरों की एक टीम वहां पर भेजी गई, जिसने पूरे क्षेत्र का दौरा किया। ड्रग इस्पेक्टर डॉं अरविंद चौबे व सौदागर के मुताबिक संजीवनी बूटी भी नदी नाले के किनारे नमीयुक्त जमीन में पाई जाती है। उसका आकार भी इसी तरह का होता है। जबलपुर के डॉ. सौदागर के साथ बूटी पाने वाले ग्रामीण इस बूटी के छोटे से टुकड़े के साथ सोमवार को भोपाल पहुंचे थे। उन्होने पहले तो आयुक्त आयुष एसडी अग्रवाल से मुलाकात की। इसके बाद रात में आयुष राज्यमंत्री महेन्द्र हार्डिया से मिलने गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नही हो सकी। दोनों औषधि नियंत्रकों ने बताया कि इस बूटी का परीक्षण कराया जाएगा और संभावित उपयोग के बारे मे भी शोध किया जाएगा। इसके बाद इस पूरे क्षेत्र को संरक्षित कर यह पता लगाया जाएगा कि विलुप्त होने वाली अन्य जड़ी बूटी तो क्षेत्र में मौजूद नही हैं इसके लिए वनस्पति शास्त्रियों से भी शोध मे ंसलाह ली जा सकती है।
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