Written by अरशद अली खान
भोपाल। मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सरकार और पत्रकारों के बीच तालमेल बैठाने का हर संभव प्रयास करते हैं। शायद इसीलिए वे हर साल दिवाली पर पत्रकारों को महंगे उपहार भेजते हैं, लेकिन उनका पीआरओ मंगलाप्रसाद मिश्रा मंत्री की मंशा के ठीक उलट सरकार और पत्रकारों के बीच दरार गहरी करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देता है। इसका ताजा उदाहरण यह है कि इस दिवाली पर जनसम्पर्क मंत्री ने जो उपहार पत्रकारों के घरों पर भेजे थे वह अधिकतर पत्रकारों को मिले ही नहीं।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब कुछ पत्रकारों ने मंत्री को फोन पर बधाई दी तो मंत्री ने उपहार के बारे में पूछ लिया, तो अमुक पत्रकार ने उपहार के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि आपके द्वारा भेजा गया उपहार मेरे घर पहुंचा ही नहीं। क्योंकि बात उपहार की थी इसलिए वहीं खत्म हो गयी। मंत्री ने भी बात को तूल देने की बजाय खामोश रहना ठीक समझा। लेकिन पत्रकारों की आपसी बातचीत में यह बात सामने आई कि अधिकतर पत्रकारों को मंत्री द्वारा भेजा गया दिवाली का उपहार नहीं मिला है। यह जानकर कुछ पत्रकार बिफर पडे़ और पड़ताल शुरू कर दी। पता चला कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार का उपहार अधिक मंहगा था सो पीआरओ ने हाथ की सफाई दिखा दी। ऐसी भी चर्चा है कि मंत्री के पीआरओ ने कुछ उपहार बांटने के बाद बाकी के उपहार अपने नाते-रिश्तेदारों में बांट दिए। चपरासी से अधिकारी बने ऐसे व्यक्ति से और क्या आशा की जा सकती है।
अरशद अली खान
भोपाल
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भोपाल। मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सरकार और पत्रकारों के बीच तालमेल बैठाने का हर संभव प्रयास करते हैं। शायद इसीलिए वे हर साल दिवाली पर पत्रकारों को महंगे उपहार भेजते हैं, लेकिन उनका पीआरओ मंगलाप्रसाद मिश्रा मंत्री की मंशा के ठीक उलट सरकार और पत्रकारों के बीच दरार गहरी करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देता है। इसका ताजा उदाहरण यह है कि इस दिवाली पर जनसम्पर्क मंत्री ने जो उपहार पत्रकारों के घरों पर भेजे थे वह अधिकतर पत्रकारों को मिले ही नहीं।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब कुछ पत्रकारों ने मंत्री को फोन पर बधाई दी तो मंत्री ने उपहार के बारे में पूछ लिया, तो अमुक पत्रकार ने उपहार के बारे में अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि आपके द्वारा भेजा गया उपहार मेरे घर पहुंचा ही नहीं। क्योंकि बात उपहार की थी इसलिए वहीं खत्म हो गयी। मंत्री ने भी बात को तूल देने की बजाय खामोश रहना ठीक समझा। लेकिन पत्रकारों की आपसी बातचीत में यह बात सामने आई कि अधिकतर पत्रकारों को मंत्री द्वारा भेजा गया दिवाली का उपहार नहीं मिला है। यह जानकर कुछ पत्रकार बिफर पडे़ और पड़ताल शुरू कर दी। पता चला कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार का उपहार अधिक मंहगा था सो पीआरओ ने हाथ की सफाई दिखा दी। ऐसी भी चर्चा है कि मंत्री के पीआरओ ने कुछ उपहार बांटने के बाद बाकी के उपहार अपने नाते-रिश्तेदारों में बांट दिए। चपरासी से अधिकारी बने ऐसे व्यक्ति से और क्या आशा की जा सकती है।
अरशद अली खान
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