बैतूल से रामकिशोर पंवार की रिर्पोट
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अभी तक बैतूल जिले की आदिवासी बालाओं की खरीदी - बिक्री के ही मामले उजागार होते चले आ रहे थे लेकिन इस बीच बैतूल जिले के दूर दराज के दो दर्जन से अधिक गांवो के सैकड़ों युवक दीवाली के पूर्व तक अपने घरों को वापस नहीं लौट सके है।
इन युवको को काम दिलाने के नाम पर दक्षिण भारत के अनेक राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब तथा विदेशो तक भिजवाया गया। कुछ युवको ंको तो बकायदा घरेलू नौकर के बहाने अरब देशो में भी भिजवाया गया है। बैतूल जिले के मुलताई, आमला, बोरदेही, मल्कापुर, बरसाली, बैतूल, मरामझिरी, घोडाडोंगरी, बरबटपुर, ढोढरा मोहर, तथा मध्य रेल्वे के नागपुर तथा इटारसी रेल्वे स्टेशनो से बीते एक दशक में बिकी टिकटो के आकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक टिकटे एक ही स्थान के बिके है जो न तो तीर्थ स्थल है और न पर्यटन स्थल है। जिन स्थानों पर सबसे अधिक संख्या में युवक भेजे गए है उनमें आंध्रप्रदेश का नाम सबसे ऊपर पर है।
इस प्रदेश के वारंगल जिले में बोरिंग मशीनों के अलावा अन्य फैक्टीरियों में काम करने के बहाने भेजे गए युवको में से कुछ जान बचा कर अपने गांव को किसी तरह सुरक्षित तो लौट चुके है लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। काम के बहाने कुछ युवको की किडनी एवं अन्य अंगों को भी निकाल लेने के कई मामले सामने आ चुके है। अभी हाल ही में मानव तस्करी से जुड़ा एक मामला मुलताई तहसील के एक गांव से जुड़ा हुआ सामने आया है। बैतूल जिला मुख्यालय पर पिछले आधा दशक से काम करने वाले बंटी / बबलू जैन नामक युवक को इस गिरोह का मुखिया बताया जाता है जिसके पास एक दर्जन से अधिक युवक गांव - गांव जाकर भोले - भाले आदिवासी युवकों को काम दिलवाने का आश्वासन देकर बैतूल लाते है और यहां से एक युवक उन लडक़ो के साथ उस स्थान पर इन्हे ले जाकर पहुंचाता है जहां की डिमांड आती है।
ऐसे युवको के ऊपर उक्त गिरोह सरगना को चार हजार रूपए प्रति व्यक्ति दलाली मिलती है। कल तक बैतूल के टिकारी क्षेत्र में किराये के मकान में रहने वाले जैन नामक युवक और उसके भाई के पास इतली अकुट धन सपंत्ति हो चुकी है कि जैन ने दस प्लाट बैतूल में खरीदने के बाद अपना भव्य आलीशन मकान बना लिया है। बैतूल जिले की गंज से लेकर सभी पुलिस थाने एवं जीआरपी तथा आरपीएफ को इस मानव तस्करी का गोरखधंधा मालूम है लेकिन जिनका खाते है उनका ही गुण गाते है उसी तर्ज पर पुलिस के पास रटा - रटाया जवाब है कि हम कुछ नहीं कर सकते है क्योकि लोग रोजगार की तलाश में जा रहे है यदि कोई व्यक्ति कुट पीट कर या शरीर का अंग खोने के बाद लौट आता है तो पुलिस उसे यहां जा वहां जा का समझाइश फरमान सुना कर इतना परेशान कर देती है कि वह थक हार कर गांव में ही बैठा रोता रहता है।
पुलिस को जैन से भारी मात्रा में कमाई होने के कारण उसके खिलाफ कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं रहती है। स्वंय पुलिस वाले अपने आप को राजा हरिचन्द्र की औलाद बता कर यह समझाने का प्रयास करते है कि केस कमजोर है या फिर उनके थाना क्षेत्र का नही है..? ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बैतूल गंज पुलिस उस गिरोह के सरगना से किस बात का पैसा खा रही है.? बैतूल जिले के पीडि़त युवको के गांवो से उनका दर्द जान कर लौटी पत्रकारों की टीम को कई महत्वपूर्ण चौकान्ने वाली जानकारी मिली है। इस गिरोह के पास एक दर्जन दुपहिया वाहन है जो गांव - गांव तक अपना नेटवर्क फैला चुके है।
गांव के एजेंट को एक व्यक्ति पर एक हजार, गांव से शहर लाने वाले युवक को दो हजार रूपए तथा गिरोह सरगना को एक व्यक्ति पर चार हजार रूपैया दलाली मिलती है। एक युवक पर दलाल को पूरे दस हजार रूपए मिलते है जो कि युवक के काम के दौरान प्रतिमाह काट कर वसूला जाता है। जांच योग्य सवाल यह है कि कम पढ़ा लिखा अभी तक कुंवारा युवक बंटी / बबलू जैन के आधा दर्जन बैंक खातो में दुसरे राज्यों की बैंको से जो रूपैया ट्रांसफर हो रहा है वह भी हजारों में होता है ऐसे में एक वर्ष में बंटी / बबलू जैन नामक युवक के बैंक खाते में प्रति माह साठ से नब्बे हजार रूपए आते है। ऐसे में निठल्ले कम पढ़े लिखे युवक का गोरखधंधा संबठित अपराध की श्रेणी में आता है। बंटी / बबलू जैन नामक युवक हर दिन शाम को बैतूल स्टेशन पर मौजूद रहता है तथा स्टेशन की आसपास की होटलो में काम के बहाने भेजे जाने वाले युवको को खिलाया - पिलाया जाता है फिर देर रात्री की रेल से उसे अपने आदमी के साथ भिजवा दिया जाता है। कई बार तो दुसरे राज्य के दलाल भी बैतूल आ धमकते है और फिर वे ही युवको को ले जाते है। मुम्बई, दिल्ली, नागपुर, आंध्रप्रदेश के कई नामचीन चिकित्सालयों में किडनी सहित मानव के अंगों को डोनर के रूप में देने वालो में बैतूल जिले के कई युवको भी शामिल है। जिले के दो दर्जन से अधिक गांव खासकर मोहदा, दामजीपुरा, भीमपुर, आठनेर, सारनी, रानीपुर, आमला, थाना क्षेत्र के गांवो के युवक आज भी महिनों साल बीत जाने के बाद अपने गांव वापस नही लौट सके है। ऐसे लोगों की पुलिस यह कह कर गुमशुदायगी दर्ज नहीं करती है कि वे लोग काम की तलाश में गए है
इसलिए पुलिस इसे संगठित अपराध या मानव तस्करी के रूप में नहीं लेती है और इसी कारण से बंटी / बबलू जैन नामक युवक बैतूल में सडक़ छाप से अब नामचीन अमीरो की श्रेणी में आने लगा है। जबसे पत्रकारों की एक टीम उक्त मामले के पन्ने खोलने लगी है बैतूल के नेताओं और उससे जुड़े लोगों के फोन आने शुरू हो गए है। स्वंय बंटी / बबलू जैन नामक युवक ने मोबाइल पर अपनी बातचीत में अपने गोरखधंधा को स्वीकार किया है और कहा है कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ नही सकते क्योकि उसके ऊपर बड़े - बड़े लोगों का हाथ है।
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