BHOPAL // डॉ. शशि तिवारी
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दिन दहाड़े सुप्रीम कोर्ट में तीन युवक घुसते है और नामी गिरामी वकील प्रशांत भूषण के चेम्बर में घुसकर खतरनाक तरीके से, बेरहमी से उनकी पिटाई करते हैं, यदि अन्य वकील बीच में नही आते तो प्रशांत भूषण की मृत्यु भी हो सकती थी, पिटाई करने वालों में से दो युवक भागने में सफल हुए उनका एक साथी इन्दर शर्मा पकड़ा गया वकीलों ने भी इसे जी भरकर धुना। यह युवक खुद को श्रीराम सेना का प्रदेश अध्यक्ष बता रहा है, वहीं श्रीरामसेना प्रमुख प्रमोद के मुताबिक वह युवक श्रीराम सेना का नही है खैर हकीकत जो भी हो। यह घटना कई मायनों मेंअति गंभीर एवं चिन्तन योग्य है पहला न्याय के सर्वोच्च मंदिर सुप्रीम कोर्ट में भी वकील सुरक्षित नहीं है। इसघटना की जितनी निंदा की जाए कम ही होगी, चहुं ओर इसकी निंदा भी हो रही है। अन्ना के मुताबिक मारपीट कोईरास्ता नहीं, कानून को हाथ में लेना ठीक नहीं है,
न्यायालय का रास्ता है, ये लडक़े जवान है, उनमें हमारी आशाएं है युवकों केा देश संभालना है मैं प्रार्थना करता हॅू कि ईश्वर इन युवकों को सद्बुद्धि दे, इसी तरह किरण बेदी भी इसेएक शर्मनाक घटना बता युवाओं में बढ़ती असहिष्णुता किस स्तर पर पहुंच गई है पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है। वहीं प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण भी कह रहे हैं हम ऐसी घटनाओं से डरने वाले नहीं है, एक और जहां निंदा औरबयानों का जोर चल रहा है वहीं दूसरी ओर युवाओं में दिन प्रति बढ़ती असहिष्णुता, कानून को हाथ में लेने कीप्रवृत्ति, भारतीय कानून से उठती श्रृद्धा भी चिन्तनीय है आखिर क्या बात है कि आज के युवा की ऊर्जा को हमारे तथाकथित नेता सही दिशा देने में क्यों असफल रहे? युवा की जो ऊर्जा रचनात्मक कार्यों में लग भारत केनिर्माण में लगना चाहिए थी आज वो ही दिग भ्रमित कैसे हो रहा है? आखिर युवाओं में इतना जहर कौन घोल रहाहै?
दूसरी और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 में प्रदत्त बोलने की स्वतंत्रता का बेंजा उपयोग देश तोडऩे एवंविखण्डन में इसका दुरूपयोग आजादी के नाम पर कब तक करते रहेंगे? नि:संदेह काश्मीर भारत का मुकुट है, अभिन्न अंग है और रहेगा, फिर अलगाव की राजनीति क्यों? भारत-पाक विभाजन के दौरान काश्मीर ने भारत केसाथ विलय की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी जो विधि सम्मत भी रही थी आज भी बरकरार है। धारा 370 को लेकर भीसमय-समय पर आवाजें उठती रही है, अब वक्त आ गया है कठोर निर्णय लेने का इस मुद्दे पर सरदार पटेल जैसीदृढ़ इच्छा शक्ति की आवश्यकता है लेकिन हो रहा है सब कुछ उल्टा-पुल्टा आज राजनीतिक उद्देश्य और राजनीति चमकाने या अपने-आपको चमकाने के लिये न केवल पाकिस्तान देश बल्कि भारत के तथा कथित बुद्धिजीवी फिरचाहे वो अरूंधती राय हो या स्वामी अग्निवेश या प्रशांत भूषण ही क्यों न हो उनके वक्तव्यों ने देश में अशांति औरआग ही लगाई है।
पाकिस्तान की तो बात समझ में आती है कि भारत विभाजन के बाद से अपनी आंतरिक कलहसे परेशान हो, वहां की जनता का ध्यान मूल समस्या से हटाने के लिये आये दिन काश्मीर का राग अलापने लगताहै, चूंकि काश्मीर में मुस्लिम बाहुल्य जनता है तो उनका हमदर्द बनने का नाटक कर अंर्तराष्ट्रीय मुद्दा बनाए रखनेमें ही अपनी भलाई एवं अपनी आंतरिक समस्याओं से छुटकारा पाने और वहां की जनता को लॉलीपाप दिखा नकेवल उनके साथ विश्वासघात कर रहा है बल्कि विश्व विरादरी में भी कई बार स्वयं भी हंसी का पात्र बन, आतंकवाद को ले, भारत के विरूद्ध झूठे बयानों और षडय़ंत्रों को ले नंगा हो चुका है, फिर भी इसकी हिम्मत तोदेखिए कि अब भी झूठ पर झूठ बोलने में कोई भी गुरेज नहीं करता है, हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान अपनेवजूद को बचाने के लिये ही काश्मीर मुद्दे को न केवल मिटने तक जीवित रखेगा बल्कि अन्य देशों को भी पाकअधिकृत काश्मीर भूमि का उपयोग उन्हें किराए अर्थात् प्राप्त सहायता के एवज् में अनाधिकृत से उपयोग करने कीअनुमति देगा? आज भारत की उत्तर की सीमा, उत्तर पूर्व की सीमा पर पड़ोसी देश चीन की शातिर चाल एव नजरेंइन क्षेत्रों पर गढ़ी हुई है।
सामरिक दृष्टि से यह एक अति संवेदनशील मुद्दा है। ऐसा नही है कि इतिहास में विश्वफतेह के सपने को ले सिकंदर आया और चला गया हकीकत तो यह है कि आज भी सिकंदर की महत्वकांक्षा रखनेवाले देश मौजूद हैं जो एक भी मौका किसी भी सूरत में छोडऩा नहीं चाहते, ऐसी विषम परिस्थिति में भारत के हीनागरिक बोलने की स्वतंत्रता के नाम पर ऊल-जुलूल वक्तव्य देने से बाज़ नहीं आ रहे है,। देश तोडऩे वाले वक्तव्यदेने वालों पर देश को देशद्रोह का मुकद्मा चलाना चाहिए फिर चाहे वो कितना ही शक्तिशाली व्यक्ति क्यों न हो इस परराजनीति करने वालों को भी देशद्रोह की सजा़ होनी चाहिए। राजनीति एवं वोटनीति से ऊपर उठ जिम्मेदार लोगोंकेा अप्रिय एवं कड़ा कदम उठाना ही चाहिए, आखिर देश रक्षा, देश हित सर्वोपरि है। सरकार को सजा-ए-आफ्ताआतंकवादियों के संबंध में भी अविलम्ब निर्णय लेना चाहिए और इस पर राजनीति करने वालों पर भी कठोर एवंअप्रिय निर्णय ले ऐसों का दमन करना चाहिए।
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