बेटी बचाओं अभियान के दौरान एक जवां बेटी की चिकित्सक की लापरवाही के चलते हुई मौत
ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल . पुलिस थानों में चिकित्सको पर गैर इरादतन हत्या के अपराध पंजीबद्ध होना बंद हो जाने से स्थिति बिगडऩे लगी हैं। कानून और न्याय का रास्ता बंद हो जाने से मरीज के परिजन कानून को हाथ में लेने लगे हैं। बैतूल जिले में एक नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक छोटे-बड़े चिकित्सक अपनी कथित लापरवाही से हुई मौतो को लेकर मृतको की मौत को लेकर उसके परिजनो के हाथों बुरी तरह से पिटने लगे है। ऐसा अभी तक सरकारी चिकित्सक के ही साथ होता था लेकिन अब तो निजी चिकित्सालय खोलकर मोटी उगाही करने वाले चिकित्सको की भी पिटाई की नौबत आने लगी हैं।
उल्लेखनीय है कि सुप्रिम कोर्ट के एक फैसले के बाद से ही डाक्टरों की अपराधिक लापरवाही को तय करना कानून के रास्ते कठिन हो चुका हैं वही भारतीय चिकित्सा परिषद् ने इस दिशा में कोई समाधान पेश नही किया हैं। इससे स्थिति कठिन होती चली जा रही हैं। सुप्रिम कोर्ट के वर्ष 2005 के जैकब मैथ्यू के मामले में दिए गए फैसले के बाद से ही पुलिस थानों में मरीज की मौत पर चिकित्सको के विरूद्ध गैर इरादतन हत्या धारा 304-ए का अपराध पंजीबद्ध होना बंद हो गया हैं। लेकिन दूर दराज के गांवो के लोगो को सुप्रिम कोर्ट के फैसले से क्या लेना देना वे तो अब चिकित्सको को ही अपना निशाना बनाने लगे है। हाल ही में बैतूल जिले के चिचोली विकास खण्ड एवं पुलिस थाना क्षेत्र के ग्राम पाटाखेड़ा निवासी युवती की मौत से बौखलाए परिजन ने लिंक रोड स्थित एक निजी चिकित्सालय के डॉक्टर और कर्मचारियों की जमकर धुलाई कर दी। चिकित्सालय के कर्मचारियों ने भी मृतका के परिजन को भी पिटने में कोई कसर नही छोड़ी। दोनो पक्षो के बीच आधा घंटे तक शक्ति प्रदर्शन होता रहा।
घटना की जानकारी लगते ही एसडीएम और कोतवाली पुलिस निजी चिकित्सालय पहुंच गई थी। विवाद को देखते हुए शहर के निजी चिकित्सालय के चिकित्सको ने एकजुट होकर कोतवाली में शिकायत की है। इधर मृतका के परिजनो ने भी चिकित्सक एवं चिकित्सालय के कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। पाटाखेड़ा निवासी जेएच कॉलेज बीकॉम फाइनल की छात्रा कुमारी प्रियंका पिता नरेश आर्य को बुखार आने पर लिंक रोड स्थित संजीवनी चिकित्सालय में तीन दिन पहले भर्ती किया गया था। परिजन के अनुसार डॉ. योगेश पंडागरे ने बताया कि प्रियंका को कोई बीमारी नहीं है। टेंशन की वजह से बीमार है। दो दिन तक संजीवनी चिकित्सालय में युवती का इलाज होता रहा। एन वक्त पर चिकित्सालय के चिकित्सक ने एक घंटे में बाहर इलाज के लिए ले जाने को कहा। परिजन प्रियंका को 16 किलोमीटर दूर स्थित पाढर चिकित्सालय ले गए। यहां पर चिकित्सको ने युवती को डबल निमोनिया होना बताया। पाढर के चिकित्सको ने भोपाल ले जाने की सलाह दी। परिजन प्रियंका को भोपाल ले गए। बीती रात में प्रियंका की मौत हो गई।
भोपाल के चिकित्सको ने बताया कि इलाज में देरी होने की वजह से प्रियंका की मौत का कारण बताया तो मृतक के परिजनो का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया। परिजन का आरोप था कि निजी चिकित्सालय चिकित्सक के गलत इलाज से ही प्रियंका की मौत हुई। परिजन ने चिकित्सक पर कार्रवाई की मांग की है। चिकित्सालय के सामने ही लगभग दो घंटे हंगामा होते रहा। जिसके बाद परिजन शव लेकर चल दिए। बताया जा रहा था कि परिवार में प्रियंका एक मात्र लडक़ी थी और उसके चार भाई हैं। प्रियंका की मौत होने के बाद परिजन उसका शव लेकर दोबारा संजीवनी चिकित्सालय पहुंचे। परिजन ने चिकित्सालय के डॉ.योगेश पंडागरे के साथ मारपीट शुरू कर दी। यह सब देख कर्मचारियों ने बीच-बचाव किया। परिजन ने कर्मचारियों की भी पिटाई शुरू कर दी। जवाब में कर्मचारियों ने भी परिजन को पीटा। डॉ. योगेश पंडागरे शव के पीएम कराने को लेकर अड़े रहे। चिकित्सक का कहना था कि पीएम रिपोर्ट में सब खुलासा हो जाएगा। वहीं परिजन ने पीएम कराने से इंकार कर दिया।
दोबारा विवाद देख एसडीएम ने इलाज के कागज जब्त कर एक फोटोकापी परिजन और दूसरी चिकित्सक के पास दी है। एक्सरे को जब्त किया है। मारपीट की जानकारी लगते ही कोतवाली से पुलिस बल पहुंच गया था। पुलिस ने मामला शांत कराया। बाद में एसडीएम संजीव श्रीवास्तव भी चिकित्सालय पहुंचे। प्रियंका के परिजन ने एसडीएम को बताया कि चिकित्सक के गलत इलाज से ही मौत हुई। डॉ.पंडागरे ने एसडीएम को बताया कि गलत इलाज नहीं किया है। वे हर तरह की जांच कराने को तैयार हैं। निजी चिकित्सालय के चिकित्सक के साथ मारपीट की घटना होने से शहर के सभी निजी चिकित्सालय के चिकित्सक एकजुट हो गए। डॉ दीप साहू, विनय सिंह चौहान, डॉ अरूण जयसिंहपुरे, नितिन राठी, डॉ मुले, डॉ लश्करे आदि पहुंच गए थे। मारपीट करने वाले परिजन पर एफआईआर करने के लिए सभी चिकित्सक कोतवाली पहुंचे। संजीवनी चिकित्सालय में हुए उपद्रव के बाद नगर के निजी चिकित्सालयो के संचालको एवं नर्सिंग होम संचालकों की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एक दिन के लिए सभी नर्सिग होम बंद रखा। यदि इस मामले में मृतका प्रियंका के परिजनों पर तीन दिन के अंदर कार्रवाई नहीं की गई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। यह जानकारी डॉ. योगेश पंडाग्रे ने दी है।
इधर मृतका सुश्री प्रियंका परिजन के आरोप लगाया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री बेटी बचाओं अभियान का ढोंग कर रहे है और दुसरी ओर हमारी एकलौती बेटी को एक चिकित्सक की लापरवाही ने बेमौत मार डाला है। पूरी सरकार और सरकारी तंत्र मुख्यमंत्री की तरह ढोंगी एवं पाखंड़ी है। परिजनो ने चिकित्सक पर गलत इलाज का आरोप लगाते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की है। चिकित्सको की लापरवाही से मौत के बारे में कानून के जानकार अधिवक्ता भरत सेन कहते है कि जैकब मैथ्यू के मामले में चिकित्सक की अपराधिक लापरवाही को साबित करने के लिए किसी अन्य सक्षम चिकित्सक की राय को अनिवार्य बना दिया गया। पुलिस और परिवादी को मरीज की चिकित्सा के दौरान मृत्यु पर अपराधिक लापरवाही को लेकर किसी सक्षम चिकित्सक की राय प्राप्त करना कठिन हो गया। इससे कानून और न्याय के रास्ते किसी भी चिकित्सक के विरूद्ध न्यायालय में अपराध साबित कर उसे सजा दिला पाना परिवादी और पुलिस दोनो के लिए असंभव हो गया। सुप्रिम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंण्डिया को चिकित्सको की उपेक्षा एवं लापरवाही से होने वाली मौत के मामलों में अपराधिक लापरवाही को तय करने के लिए दिशा निर्देश तैयार करने के निर्देश भी दिए थें। इसके बाद से ही चिकित्सक यह मानकर चल रहे हैं कि उनका अब कोई कुछ नही कर सकता और वे सभी प्रकार की वैधानिक जिम्मेदारियों से मुक्त हैं।
आखिर एक चिकित्सक को दूसरे के विरूद्ध गवाह बनने को कभी तैयार नही किया जा सकता। चिकित्सालयों में चिकित्सक की लापरवाही और उपेक्षा आम बात हो गई हैं। भारत की किसी भी अदालत में मरीज की मौत पर चिकित्सक के विरूद्ध किसी सक्षम चिकित्सक को गवाह देते अभी तक तो देखा नही गया हैं।
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