TOC NEWS
भोपाल । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने व्यापमं घोटाले को लेकर दूसरे दिन भी ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा उन्होंने एक के बाद एक चार ट्वीट किए इशारों-इशरों में गुरुवार को किए ट्वीट का आशय समझाया, पटेल ने कहा कि उनके ट्वीट का मकसद सत्ता परिवर्तन न होकर व्यवस्था परिवर्तन से है।
उन्होंने साफतौर पर कहा कि ‘हम अपनी भविष्य की पीढ़ी को लूटने से न बचा सके, ऐसा विफल प्रशासनिक ढांचा, राजनीति दृष्टि से कैसे ओझल हो गया, यह आत्मालोकन जरूरी है, प्रहलाद पटेल के लगातार दो दिन व्यवस्था को लेकर ही सही किये जा रहे ट्वीट को लेकर प्रदेश की सियासत गर्माने लगी है हालांकि ठीक इसी तरह का बयान प्रहलाद पटेल ने ३० सितम्बर २००७ को उस समय एक मामले को लेकर उपवास पर बैठे प्रहलाद पटेल ने अपने उपवास के छटवें दिन मीडिया को मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र की लिखी प्रति जारी की थी और उसमें लिखा था कि मुख्यमंत्री के पद पर अनेक व्यक्ति बैठे और हमारे रहने तक तथा न रहने के बाद अनेक लोग बैठेंगे,
जब तक यह लोकतांत्रित प्रक्रिया चलती रहेगी, लेकिन जो वर्तमान राजनीतिक दिशा एवं कार्यशैली दिखाई पड़ती है वह लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों को दिनोंदिन कमजोर करती जा रही है। लोकतांत्रित मूल्यों को पूंजीवादी वर्चस्व ने अपने आगोश में पकडऩे की कोशिशों को चरम स्थिति तक पहुंचाने का जोर लगा रखा है, सामवाद सीमित लोगों के दर्द को उभारकर हिंसा से तत्कालिक संतोष प्रदान करके अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करता रहा है, साथ ही लोकतंत्र को गंभीर एवं गहरा नुकसान पहुंचाता रहा है। भारतीय विचारक पं. दीनदयाल उपाध्याय, महात्मा गांधी, लोहिया जैसे लोगों ने, वासुदैव कुटुंब के भाव से समाधान खोजे थे लेकिन यह राह संस्कार के बगैर संभव नहीं है,
क्योंकि धन एवं सत्ता के प्रभाव और कुप्रभाव को स्पष्ट परिभाषित किया गया था, साथ ही चेतावनी भी दी गई थी, पं. दीनदयाल जी ने कहा था कि ‘सत्ता भ्रष्ट करती है, यदि जनसंघ भ्रष्ट हुआ तो मैं उसे भंग कर दूंगा और यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती रहेगी जब तक संस्कार इतना मजबूत न हो जाए तो सत्ता उसे भ्रष्ट न कर सके। ३० सितम्बर २००७ को मीडिया को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जारी पत्र में प्रहलाद पटेल ने लिखा था कि मुख्यमंत्री, परिवार का धर्म, समाज का धर्म एवं सत्ता का धर्म अलग-अलग नहीं है, पालन करते समय आप किस समय किसे प्राथमिकता देंगे यह विवेक आधारित प्राकृतिक न्याय है जिसमें किसी भी स्थिति में मर्यादाओं का उल्लंघन न हो एकात्म मानव दर्शन की भूमिका कमजोर न पड़े उसके अनुयायी संस्कार पर चलकर विचार को मजबूती दें, ताकि राजनीतिक व्यवस्था पर आमजन का विश्वास हो, पर ऐसा दिखाई नहीं पड़ता। पूंजी एवं उसका विकृत रूप (पूंजीवाद) की मानसिकता सब पर प्रभावी है, भारी है।
विचार की राजनीति एवं शुद्ध चारित्रिक संगठन की राजनीति पर, भ्रष्ट चुनावी राजनीति हावी है। जो पूर्णत: धन आधारित है, ऐसी स्थिति में मूल समस्यायें, चर्चा एवं प्राथमिकता से दूर चली गई हैं। कुल मिलाकर २००७ में लिखे गये पत्र एक और एक लंबे समय के बाद हाल ही में उनके द्वारा किये गये चार ट्वीट इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में आज भी नौकरशाही और उसकी व्यवस्था में कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है और जिस तरह की स्थिति २००७ में थी वो मुख्यमंत्री के नौ वर्ष के शासनकाल के बाद भी राज्य की प्रशासनिक स्थिति का ढर्रा उसी तरह से जारी है जो नौ साल पूर्व था और उसी का परिणाम है कि आज प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है, जहां देखो प्रदेश में ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है और उसमें हर कोई डुबकी लगाने को लालायित है।
हालांकि उस समय एक मामले को लेकर उपवास पर बैठे प्रहलाद पटेल ने उस उपवास के दौरान प्रतिदिन मीडिया को जो पत्र जारी किये उन पत्रों को यदि आज भी खंगाला जाए तो उस समय उन्होंने जिन-जिन समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखे थे फिर चाहे वह उनके परिजनों और रसूखदार नेताओं द्वारा अवैध उत्खनन के मामले हों या फिर किसानों की समस्या हो या बिजली, पानी या सड़क का मामला हो जिन मुद्दों को लेकर उस समय उन्होंने व्यवस्था की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित किया था वह आज भी ज्यों के त्यों इस राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था चल रही है, इसके पीछे के क्या कारण हैं यह तो शोध का विषय है, लेकिन यह जरूर है कि प्रहलाद पटेल द्वारा किये गये ट्वीट के बाद प्रदेश की राजनीति गर्माने लगी है, उसके क्या परिणाम होंगे यह तो भविष्य बताएगा लेकिन प्रदेश की गर्माई इस सियासत के बीच कई तरह के चर्चाओं के दौर शुरू हो गए हैं और पटेल के ट्वीट के लोग अलग-अलग मायने निकालने में लगे हुए हैं।
यह अलग बात है कि उन्होंने अपने एक ट्वीट में यह लिखा है कि उनका आशय व्यवस्था परिवर्तन से है न कि सत्ता परिवर्तन से है, लेकिन इसी बीच पार्टी हाईकमान द्वारा प्रदेश भाजपा संगठन से प्रदेश के मंत्रियों, विधायकों के काम धंधों की जानकारी भी तलब करने के साथ-साथ हाईकमान ने मंत्रियों के रिश्तेदार पार्टी से किस तरह से जुड़े हैं और वे क्या काम धंधे कर रहे हैं, तो वहीं मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री अपने करीबी और रिश्तेदारों के माध्यम से खदान, ठेकेदारी, परिवहन जैसे धंधे में शामिल होने की पिछले महीने कटनी हवाला कांड, नर्मदा से अवैध उत्खनन के मामले को लेकर जो रिपोर्ट मांगी है और इस तरह से हाईकमान द्वारा मांगी गई रिपोर्ट के बाद प्रहलाद पटेल के बाद एक के बाद एक चार ट्वीट आना कई सवाल खड़े करते नजर आ रहा है।
No comments:
Post a Comment