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भोपाल । पिछले दिनों महिला खनिज निरीक्षक रश्मि पांडे के द्वारा अवैध रेत खनन करने वालों के खिलाफ चलाये गये अभियान के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भतीजे प्रद्युमन सिंह चौहान के चार डम्पर जब्त किए जाने के बाद प्रदेश में अवैध रेत खनन को लेकर जो राजनीति गर्माई और उसके बाद मुख्यमंत्री के द्वारा रेत के कारोबारियों पर सख्त कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये, इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और उसने रेत के अवैध परिवहन और उत्खनन करने वालों के खिलाफ एक अभियान चला डाला, हालांकि इस अभियान को लोग केवल खानापूर्ति ही मानकर चल रहे हैं लेकिन गुरुवार की रात को रेत के जो डम्पर पकड़े गए उन सभी ट्रकों को लाल परेड पर खड़ा करके शायद प्रदेश की जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि अब प्रदेश में रेत का अवैध परिवहन और अवैध उत्खनन के मामले में सरकार गंभीर हो गई है.
देखना अब यह है कि इस मामले में कितनी सख्ती से कार्यवाही की जाती है और कब इस तरह के रेत के अवैध परिवहन और अवैध उत्खनन पर प्रतिबंध लग सकेगा? हालांकि २००७ में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री प्रहलाद पटेल के द्वारा एक मामले को लेकर किये गये उपवास के चौथे दिन यानि २८ सितम्बर २००७ को मीडिया को एक पत्र जारी करते हुए खनिज एवं वन विभाग में वृहद स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खोली थी, उस समय पटेल ने भ्रष्टाचार पर अपनी टिप्पणी में कहा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ३२ चोरों की टीम का खुलासा करने में सात दिन का समय पर्याप्त नहीं है, आज हम जिन सरकारी विभागों के तथ्यात्मक जानकारी दे रहे हैं उनमें खनिज विभाग के तथ्यों को देखेंगे तो पता चलेगा कि मुख्यमंत्री ने अपने परिजनों के नाम पर दर्जनों खदानें ले रखी हैं मीडिया को जारी अपने पत्र में प्रहलाद पटेल ने लिखा था कि जंगल काटने और कटवानी में मंत्रीमण्डल के कई सदस्य शामिल हैं।
पटेल ने उस समय कहा था कि उपवास की सफलता इस बात से परिलक्षित होती है कि मुख्यमंत्री नजदीकी नरेन्द्र चौहान की खदान दो दिन पूर्व ही निरस्त की गई, यह उपवास की सफलता क घाोतक है, उक्त खदान बालाघाट जिले में आती है, यही नहीं २८ सितम्बर २००७ को मीडिया को जारी अपने तीन पृष्ष्ठीय पत्र में श्री प्रहलादल पटेल द्वार मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों और उनके परिजनों द्वारा प्रदेश में कहां-कहां उस समय अवैध खनन का कारोबार कर प्रतिदिन खनिज के राजस्व को चूना लगाने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया था लेकिन तबसे लेकर आज तक इस स्थिति में कोई परिवर्तन रेत के अवैध परिवहन व उत्खनन के मामले में इस प्रदेश की जनता को नजर नहीं आया और दूसरी ओर स्थिति यह है कि राज्य में शायद ही ऐसा कोई कस्बा बचा हो जहां इस तरह का रेत के अवैध परिवहन और उत्खनन का कारोबार रात के अंधेरे में ही नहीं बल्क् िदिनदहाड़े चल रहा है। मुख्यमंत्री की शक्ति के बाद प्रशासन के अधिकारियों ने जो कार्यवाही रेत के अवैध परिवहन को लेकर की उन पकड़े गए डम्परों में मुख्यमंत्री शिवराजसिं हचौळान के भतीजे प्रद्मुन सिंह चौहान का डम्पर भी शामिल है,
इन पकड़े गए डम्परों के दस्तावेजों की जब प्रशासनिक अधिकारियों की जांच की और उनमें भरी रेत की नपाई गई पकड़े गए सभी डम्परों में ओवर लोडिंग मिली यानि कम रायल्टी चुकाकर अवैध रेत का परिवहन करने का सिसिला कई वर्षों से जारी है। कम रायल्टी देकर अधिक रेत भरकर राजधानी में आनेे वाले यह ट्रक होशंगाबाद ही नहीं सीहोर, रायसेन और भोपाल जिले में स्थापित खनिज नाकों से गुजरकर आते हैं और इन सभी खनिज नाकों से यह ट्रक कम रायल्टी वाली रसीद देकर आसानी से गुजर जाते हैं इससे यह साफ जाहिर होता है कि इन ट्रकों को कम रायल्टी चुकाने के बाद भी अफसरों और कर्मचारियों के संरक्षण में यह सब कारोबार चल रहा है, इसमें एक ट्रक के औसतन ढाई से तीन हजार तक की रायल्टी की चोरी प्रतिदिन ट्रक की जाती है, पकड़े गये रेत के डम्परों में एक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भतीजे प्रद्युनम सिंह चौहान का भी है मौके पर इस बात की भी पुष्टि हुई कि एमपी ०४ एचआई ३४०० नम्बर के इस डम्पर के कुछ ही दिन पहले सीहोर जिले के रेहटी थाने में ओवरलोड परिवहन करने के आरोप में चार डम्परों के साथ पकड़ा गया था
उस समय उन्हें जुर्माना करके छोड़ दिया गया अभी भी इस डम्पर में ओवर लोडिंग मिली, लेकिन इसी बीच यह बात भी सामने आई कि जिस रात प्रशासन द्वारा यह कार्यवाही की गई थी तो उस समय १०२ डम्परों को पकड़ा गया लेकिने जैसे-जैसे रात बीती और सुबह होने पर पकड़े गए १०२ डम्परों में से केवल ६८ ही बचे यानि रात के अंधेरे ३४ डम्पर कहाँ गायब हो गये और इन्हें गायब कराने में सिकी भूमिका रही हालांकि अधिकारी इन डम्परों को लेकर तरह-तरह के बयान देते नजर आ रहे हैं तो वहीं कांग्रेस और आप के नेता इस तरह की कार्यवाही को महज एक दिखावा और प्रशासनिक अधिकारियों की नौटंकी करार देते नजर आ रहे हैं। राजधानी के अधिकारियों द्वारा की गई रेत के अवैध परिवहन और उत्खनन के मामले में प्रशासनिक अधिकारियों की इस तरह की नीति है तो फिर दूर-दराज के इलाकों के बारे में क्या कहा जा सकता है जब यहां रात को १०२ डम्पर पकड़े जाते हैं और सुबह होते ही वह ६८ नजर आते हैं।
इससे यह साफ जाहिर है कि इस तरह का कारोबार सत्ता और अधिकारियों के संरक्षण में धड़ल्ले से चल रहा है, तो वहीं प्रदेश में प्रतिदिन करोड़ों रुपये की खनिज राजस्व को भी चूना लगाने का काम किया जा रहा है, यदि खनिज चोरी के गणित पर नजर डालें तो नियमानुसार करीब सात हजार रुपए की रायल्टी लगती है। इधर ट्रक मालिक छ: घन मीटर रेत को चार घन मीटर बताकर रायल्टी चुकाते हैँ। इससे एक ट्रक आसानी से ढाई से तीन हजार रुपए की रायल्टी की चोरी करता है। एक अनुमान के मुताबिक राजधानी में रोजाना २०० ट्रक रेत आती है। अगर एक ट्रक ढाई हजार रुपए की रायल्टी चोरी करता है तो २०० ट्रक एक दिन में करीब पांच लाख रुपए की रायल्टी की चोरी डेढ़ करोड़ रुपए की होती है। रायल्टी चोरी का यह आंकड़ा साला ना करीब २० करोड़ रुपए पहुंचता है। सूत्रों के मुताबिक रेत में रायलटी चोरी का यह खेल पिछले पांच साल से चल रहा है।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफसरों की मिलीभगत से कैसे रेत का खेल चल रहा है और यह खेल वर्षों से जारी है और इस तरह के खेल के चलते राज्य के राजस्व को कितनी हानि पहुंचाई गई जांच का विषय है, लेकिन यह जरूर है कि राज्य में रेत के अवैध परिवहन और अवैध उत्खनन का कारोबार धड़ल्ले से जारी है और भविष्य में भी रहेगा फिर चाहे मुख्यमंत्री कितने ही सख्त निर्देश देकर इस तरह के कारोबारियों पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दें। क्योंकि यह रोग वर्षों का है और यह इस स्थिति में पहुंच गया है कि इसका उपचार अब नहीं हो सकता क्योंकि खनिज माफियाओं की दाढ़ में सत्ता के संरक्षण के चलते इस तरह के कारोबारियों की हिम्मत बढ़ गई है वह भी इसी सरकार के कार्यकाल के दौरान बढ़ गई है और अब उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता, हाँ दिखावे के लिये इस तरह की कार्यवाही होती रहेंगी और मुख्यमंत्री सख्त कार्यवाही करने के निर्देश देते रहेंगे।
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