TOC News
हमारे देश में एलईडी बल्ब का कारोबार धड़ल्ले के साथ बढ़ता जा रहा है. अब तो हर घर में इसे बड़े ही आराम से देखा जा सकता है. लेकिन इसे लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
एक सर्वेक्षण के अनुसार चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि बाजार में बिकने वाले करीब तीन चौथाई यानी 76 फीसदी बल्ब सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं हैं. सर्वेक्षण एजेंसी नील्सन द्वारा जारी रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि देश में बिकने वाले अधिकतर एलईडी बल्ब खतरनाक और नकली हैं और सबसे अधिक मामले राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से जुड़े हैं.
इसके साथ यह भी बात सामने आई है कि करीब 48 फीसदी एलईडी बल्ब पर निमार्ता का पता नहीं है और 31 फीसदी पर नाम ही नहीं है। मुम्बई, नई दिल्ली, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के 200 इलेक्ट्रिक खुदरा आउटलेट पर गत जुलाई के दौरान सर्वेक्षण करके यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक जाली और बिना ब्रांड वाले एलईडी बल्ब न सिर्फ संगठित बाजार के लिए खतरा हैं बल्कि इनसे सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर भी खतरा मंडरा रहा है. गत अगस्त में भारतीय मानक ब्यूरो ने एलईडी बल्ब निमार्ताओं को उनके उत्पाद के सुरक्षा जांच के लिए बीआईएस से पंजीकृत करने का आदेश जारी किया था.
भारतीय बाजार में चीन से तस्करी के रास्ते लाए गए उत्पादों का काफी बोलबाला है और इसी कारण एलईडी निमार्ताओं को बीआईएस पंजीकरण के आदेश जारी किये गए थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जाली उत्पादों से सरकार खजाने को काफी चूना लगता है. जाली उत्पाद निवेश लक्ष्य के उद्देश्य के प्रतिकूल हैं और इज ऑफ डूइंग बिजनेस के खिलाफ हैं.
No comments:
Post a Comment