ब्यूरो प्रमुख // अभिमन्यु मिश्रा (सीधी // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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रीवा . प्रदेश सहित रीवा संभाग में लंबे दिनों से चला आ रहा है। अवैध उत्खनन अब एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। हाल ही सतना जिले के परसमानिया पठार में वन भूमि पर हुए अवैध उत्खनन का माला पूरे देश में गूंज रहा है। संभाग के सीमावर्ती क्षेत्रों के खनिज का अवैध उतखनन किया जा रहा है। जहां की खनिज संपदा उत्तरप्रदेश व बिहार भेजी जा रही है। जनेह क्षेत्र में कई ऐसी खदानें है जहां होने वाला उत्खनन धड़ल्ले से दूसरे प्रदेशों को भेजा जा रहा है। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में न तो वन विभाग द्वारा कोई बैरियर बनाया गया है और न खनिज विभाग द्वारा। अवैध उत्खनन रोकने के लिए गठित खनिज विभाग का उडऩ दस्ता क्षेत्र में भ्रमणतो जरूर करता है लेकिन इस पूरे प्रकरण में विभाग के मंत्रियों व अधिकारियों की शह होने के चलते आज तक कोई कठोर कार्यवाहीं नहीं की गई। रीवा के त्योंथर अंचल के घटेहा, सूती, सोहरबा, बरहा, रिसदा, पुसुरूम, पटहट, कुंडी, सराई सहित करीब दो दर्जन से अधिक गांव में अवैध उत्खनन हो रहा है। इन गांवों में कुछ खदानें जरूर लीज पर ली गई है।
लेकिन एक खदान के नाम पर दर्जनों खदानें संचालित हो रही है। इसके अलावा हनुमना, मउगंज क्षेत्र में लोढ़ी, पांती, हाटा, गांडा, सलेया, नाउन बहेरा डाबर, हरर्ई प्रताप, कोडुवा, पिपराही,आदि गांवों में छोटी बड़ी खदानें खुले आम चल रही है। रीवा जिले में सिलका सैंड बेशकीमती खनिज संपदा भारी मात्रा में मौजूद है। यह खनिज जिले के डभौरा जिले में बहुतायात है। जिसका अवैध उत्खनन कई वर्षों से जारी है। माफिया द्वारा अंचल के लोनी, पोगल्ला, टिकरी, रघुनाथपुर, भौकी, लोहगढ़ नदी सहित क्षेत्र के अन्य गांवों में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। इसकी पूरी सप्लाई इन दिनों उत्तरप्रदेश और बिहार के लिए हो रहा है। लेडरी नदी में वांशिग प्लांट लगाया गया है।
जहां पर सिल्क सैंड धोया जाता है। उत्खननकत्र्ताओं को दावा है कि उनके पास इस कार्य के लिए लीज हैलेकिन खनिज विभाग का कहना है कि सिलका सैंड की खदाने इस समय बंद है। इसक अलावा यहां बॉक्साइड भी बहुतायात में पाया जाता है। धुअर में अवैध उत्खनन को लेकर कई बार माफिया में झड़प भी हो चुकी है। पत्थर के उत्खनन के लिए खनिज विभाग द्वारा जिन स्थानों पर खदानें लीज पर दी गई है। उन पर तहसील के सुमेदा, नबागांव, सगरा, मरहा, डाढ़ी, खम्हरियां, तिहरा, कोआढान, दादर, नौबस्ता, पथरगढ़ी, सकरवट, बनकुईयां, आदि स्थानों पा लीज स्वीकृत की गई है। इसके अलावा मऊगंज, एवं हनुमना तहसील में लोड़ी, हाटा, अल्हवा, कोइडार, सीतापुर, हर्रहा, एवं चोरा गांव में सबसे अधिक खदानें संचालित है। इसके अलावा गुढ़ तहसील में गड्डी त्यौंथर में बरहा, गडरगवां सोहवां सलैयाकलां, रिमारी, खाझा, रायपुरकर्चुलियान तहसील में रोझौड़ी, रेहटी, पनगढ़ी आदि गांवों में लीज प्रदान की गई है। लेकिन इन गांवों के अलावा अन्य कई गांवों में धड़ल्ले से पत्थर का अवैध उत्खनन णड़ल्ले से जारी है।
जिस ओर प्रशासन का ध्यान इसलिए नही जा रहा क्योकि अवैध खदान संचालकों द्वारा काली कमाई का मोटा हिस्सा मंत्री व अधिकारियों को पहुंचाया जाता है। अवैध उत्खनन सबसे अधिक व भूमि पर हो रहा है। वन विभाग द्वारा पूर्व में कुछ कार्रवाईयां भी की गई थी लेकिन अब वह ठंडे बस्तें में चली गई है।जिसके चलते धड़ल्ले से उत्खनन जारी है। गुढ़ क्षेत्र में अमरादर, तालाब परियोजा सिंचाई के लिए निर्मित हो रही थी। जहां पर वन भूमि से पत्थर, मिट्टी व मुरम खोदे जाने का मामला प्रकाश में आया था। इस पर कई डंपर व ट्रेक्टर भी जब्त किए गए थे। बावजूद इसके सख्ती नहीं बरती गई। लेकिन परसमनिया पठार में अवैध उत्खनन का मामला सामने आया तो कई सफेदपोशों के नामों की देशभर में चर्चा चल रही है। परत दर परत अवैध उत्खनन का मामला उसे शह देने वालों की सच्चाई सामने आ रही है। अवैध उत्खनन की इस सच्चाई से राजस्व विभाग को लाखों करोड़ रूपए का चूना लगने की बात सामने आई है।
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