सफ़र " चिरायु "
चिरायु अस्पताल हेतु भूमि आवंटन मामले में सुनवाई पूरीएवं अंतिम आदेश हेतु प्रकरण सुरक्षित
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उच्च न्यायालय में चिरायु सोसायटी की तरफ से कहा गयाकि आवंटित भूमि कभी नहीं रहा तालाब।
जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीयन्यायाधिपति श्री एस.के.गंगेले एवं न्यायमूर्ति श्री ए.के.जोशीकी युगलपीठ ने चिरायु अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज केभूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका परसुनवाई पूरी कर दिनांक 15 जुलाई 2016 को अंतिमआदेश हेतु प्रकरण सुरक्षित कर लिया है।
प्रकरण में मुख्यतः यह आधार लिया गया कि चिरायुमेडिकल कॉलेज हेतु जो भूमि(मास्टर प्लान 2005 केअनुसार एवं पीएचई के तालाब क्षेत्र के खसरे औरवास्तविकता के आधार पर) खसरा नं. 71,73,76 केअंतर्गत आवंटित की गई, वह बड़े तालाब का अभिन्न अंग हैएवं बिना इस तथ्य की पुष्टि किये शासन द्वारा आनन-फाननमें 10 दिन के अंदर वर्ष2008 में भूमि आवंटित कर दीगई। परिश्रम समाज कल्याण समिति,सचिव तरूण गुप्ताद्वारा याचिका में यह भी आधार प्रस्तुत किया गया कि डूबक्षेत्र में लगभग 4600 वृक्ष लगे थे, जिस पर भी शासन नेकभी ध्यान नहीं दिया एवं ऐनकेन प्रकारेण भूमि का भू -उपयोग उपांतरित करते हुये भूमि अस्पताल एवं मेडिकलकॉलेज निर्माण हेतु स्वीकृत कर दी गई।
चिरायु अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज की तरफ से उच्चन्यायालय में आज अंतिम बहस के दौरान यह तर्क दियागया कि खसरा नंबर 71,73,76 कभी भी बड़े तालाब काअंग नहीं रही एवं उससे सटा हुआ जो जल इकट्ठा हुआहै, वह ”बगल से बहने वाले नाले” के कारण हुआ है जोराजमार्ग की पुलिया से होता हुआ तालाब में मिलता है।विपक्ष की तरफ से यह भी कहा गया कि चिरायु हॉस्पिटलसे लगी हुई भूमि का बड़े तालाब से कोई सरोकार नहीं हैजो कि इंदौर-भोपाल को जोड़ने वाले राजमार्ग के कारणपूर्णंतः विभाजित है, इस मार्ग पर स्कूल, बस स्टैण्ड, दुकानें,मकानों का निर्माण किया जा चुका है यदि तालाब से लगेहुए मार्ग से सटा हुआ क्षेत्र तालाब की श्रेणी में आता है तोभोपाल के 80 प्रतिशत निर्माण को डिमॉलिश कर देनाचाहिए, रेवेन्यू की रिपोर्ट में इस भूमि की एक दिशा परनाला दूसरे पर सड़क आदि दर्शाई गई है... विपक्ष की ओरसे यह भी कहा गया कि वस्तुतः यह सारी याचिकायें कुछविशिष्ट व्यक्तियों द्वारा प्रायोजित हैं जो कि चाहते हैं किअस्पताल किसी भी परिस्थितियों में बंद हो जाये।
जनहित याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्तासिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने प्रति उत्तर में मांग की किन्यायालय राज्य शासन के वरिष्ठ अफसरों(डायरेक्टरटी.एण्ड सी.पी., कलेक्टर, कमिश्नर भोपाल, केन्द्रीय जिलाआयोग, याचिकाकर्ता) की निरीक्षण समिति बनाकर पूरेक्षेत्र,खासकर खसरा नंबर 71,73,76 का स्थल निरीक्षणकरा लें, एवं इस समिति द्वारा सीपीए भोपाल एवं कलेक्टरभोपाल के पास संरक्षित दस्तावेजों में बड़े तालाब के डूबक्षेत्र में आने वाले खसरा नंबरों की सूची एवं भोपाल मास्टरप्लान 2005 से भी मिलान करा लें साथही 27 अक्टूबर08 सी.पी.ए. फॉरेस्ट की रिपोर्ट “सरोवरहमारी धरोहर” ,19 नवंबर 2010 प्रमुखसचिव राजस्व की जांच रिपोर्ट औरटी.एण्ड सी.पी. के पत्र क्रमांक 2653दि. 20 दिसंबर 2010 का अध्ययनकरवा लें, यह स्पष्ट होजायेगा कि खसरा नंबर 71,73,76 सीपीए, भोपालकलेक्टर भोपाल एवं पीएचई के दस्तावेजों में सदैव बड़ेतालाब के डूब क्षेत्र के रूप में दर्ज रहे हैं एवं वहांपर4600 से ज्यादा वृक्ष आवंटन के दौरान खड़े हुयेथे, जिनको अवैध रूप से बर्बरता से चिरायु संस्थान द्वारारातों रात हटा दिया गया। चिरायु का भूमि आवंटन म.प्र.शासन के लिये वैसा ही है, जैसा महाराष्ट्र शासन के लियेआदर्शभूमि घोटाला था, एवं इसका भी उसी तरह इलाजकिया जाना चाहिये।
राज्य शासन की ओर से आश्चर्यजनक रूप से किसी ने भीपैरवी नहीं की और न ही कोई वकील उपस्थित हुआ।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता द्वाराइस तथ्य पर भी आपत्ति ली गई कि चिरायु भूमि आवंटनका जवाब राज्य शासन द्वारा दिया जाना चाहिये न कि स्वयंचिरायु संस्थान द्वारा। राज्य शासन द्वारा कोई भी अधिवक्तान खड़ा करना इस बात का सूचक है कि शासन नेयाचिकाकर्ता के सभी तथ्यों को नकारना सही नहीं समझाएवं उनको स्वीकार कर लिया गया।
उच्च न्यायालय अब इस प्रकरण में वस्तुतः अंतिम आदेशही पारित करेगी।
शुरूआत हुई...
1. 19 मई 08 चिरायु ने मेडिकल कॉलेज और अस्पतालखोलने के लिए 32 एकड़ डूब क्षेत्र की भूमिसरकार केसमक्ष आवेदन प्रस्तुत।
2. 25 मई 08 चिरायु ने कलेक्टर कार्यालय में डूब क्षेत्रकी भूमि आवंटन राशि 5000 रुपए जमा की इसी दिननजूल सर्वेयर का प्रतिवेदन तहसीलदार के माध्यम सेकलेक्ट्रेट एवं कलेक्टर द्वारा स्वीकृति और फिर वहां सेकमिश्नर के सामने प्रस्तुत।
3. 29 मई 08 कमिश्नर कार्यालय से चिरायु कीअनुमोदित फाइल प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरणकार्यालय पहुंची। इसी दिन प्रमुख सचिव के अनुमोदन केबाद डायरेक्टर टी.एंडसी.पी. के सामने प्रकरण प्रस्तुत।
4. 31 मई 08 डायरेक्टर टी.एंड सी.पी. का अभिमत,प्रमुख सचिव के समक्ष “चिरायु अस्पताल को आवंटन केपूर्व भूमि का उपयोग बदलना अनिवार्य होगा ”। प्रमुखसचिव आवास पर्यावरण ने आनन फानन में इसी दिनआरक्षण कमेटी को गठित किया, गठित कमेटी ने भी उसीदिन बैठक में निर्णय लिया कि भूमि चिरायु को आरक्षित कीजाती है।
5. 24 जुलाई 08 बगैर भूमि के उपयोग के परिवर्तितकिए हुए चिरायु को डूब क्षेत्र की भूमि आवंटित करने कीअनुशंसा की जाती है।
6. 30 अगस्त 08 भूमि के उपयोग को परिवर्तित किएबिना राजस्व विभाग द्वारा तालाब के डूब क्षेत्र को चिरायुअस्पताल को आवंटन के आदेश जारी।
7. 9 सितंबर 08 तालाब के डूब क्षेत्र की जमीन कोलीज पर चिरायु अस्पताल को सौंपी। भूमि के उपयोग कोपरिवर्तित किए बिना, ताकि लीज डीड में लगने वाला शुल्कबचाया जा सके। इसी दिनलैंड यूज चेंज का आवेदन प्रमुखसचिव आवास एवं पर्यावरण के समक्ष प्रस्तुत। और साथही टी. एंड सी.पी. से भी अभिमत मांगा गया।
8. 18 सितंबर 08 टी. एंड सी.पी. ने लैंड यूज परिवर्तनका अभिमत दिया।
9. 22 सितंबर 08 आपत्तियों के लिए गुमनाम अखबारोंमें विज्ञापन प्रकाशित किया गया।
10. 6 अक्टूबर 08 लैंड यूज परिवर्तन के संबंध मेंआपत्तियां दर्ज। यह भूमि कृषि नहीं तालाब का हिस्सा है कृपया इसे आवंटित कर तालाब का दायरा छोटा न कियाजाए।(मास्टर प्लान 2005 के अनुसार एवं पीएचई केतालाब क्षेत्र के खसरे और वास्तविकता के आधार पर)
11. 25 अक्टूबर 08 आपत्तियों के आधार पर सी.पी.ए.और अन्य विभागों से अपना मत मांगा गया।
12. 27 अक्टूबर 08 सी.पी.ए. फॉरेस्ट की रिपोर्टमें “सरोवर हमारी धरोहर एवं भोज वैट लैण्ड योजना”केतहत् भैंसाखेड़ी के डूब क्षेत्र में 1 लाख 17 हजार से भीज्यादा पौधे रोपित किए गए हैं... साथ ही भूमि खसरा नंबर71,73,76 का विशेष उल्लेख किया गया... कि इस भूमिपर 4600 से अधिक वृक्ष होने की बात कही गई। साथ हीसुप्रीम कोर्ट के वन क्षेत्र की परिभाषा और उसके उपांतरणके निर्णय को भी संलग्न किया तथा अपना मत देते हुएआग्रह किया भूमि का आवंटन अनुचित ,नियम विरूद्ध एवंसर्वोच्च न्यायालय की अवमानना होगी।
13. 28 जनवरी 09 प्रशासन द्वारा नोटिफिकेशन जारीएवं 30 जनवरी09 को गजट में प्रकाशित
14. 13 फरवरी 09 चिरायु द्वारा विकास कार्य के लिएआवेदन। पांच दिन बाद 18 फरवरी 09 को टी. एंड सी.पी.की स्वीकृति एवं अनुमोदन
15. 19 नवंबर 2010 प्रमुख सचिव राजस्व की जांचरिपोर्ट में कहा गया कि तत्कालीन नजूल मेंटनेंस सर्वेयरकदीर खान, एस.के.शर्मा तत्कालीन तहसीलदार श्रीरामतिवारी, मकसूद अहमद, समेत सभी लोगों ने मिलजुल करअनियमितता बरती है। राजस्व अमले ने वास्तविकता से परेजाकर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसके आधार पर जमीनको चिरायु चैरिटेबिल ट्रस्ट को आवंटित कर दिया गया...इस रिपोर्ट में सभी लोगों के खिलाफ मध्यप्रदेश सिविलसेवा वर्गीकरण और नियंत्रण नियम के तहत्अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा कीसाथ ही जमीन के आवंटन पर भी पुर्नविचार किए जाने कीआग्रह किया...
16. 30 नवंबर 2010 को राजस्व मंत्री करण सिंह वर्माने प्रमुख सचिव रेवेन्यू की रिपोर्ट पर सहमति जताई औरकदिर खान को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने कीअनुशंसा की।
17. टी.एण्ड सी.पी. के पत्र क्रमांक 2653 दि. 20दिसंबर 2010 विषय- तालाब के जल संरक्षण क्षेत्र मेंनियम विरूद्ध चिरायु अस्पताल अनाधिकृत निर्माण केसंबंध में बिंदु क्रमांक 5 में स्वीकारा कि भूमि के आरक्षणतथा विकास अनुमति के समय कैचमेंट संबंधी परीक्षण नहींकिया गया...
18. 2008 से ही श्री माले फिर अनूप कुमार और फिरपरिश्रम समाज कल्याण समिति द्वारा सम्बंधित 7 विभागोंसे सुचना के अधिकार के तहत जानकारी के लिए आवेदनप्रस्तुत किये गए किन्तु विभाग द्वारा आवेदन सूचनाये औरअपतियो को निरस्त और अनसुना कर दिया गया । अंततः2012 में परिश्रम समाज कल्याण समिति ने जनहितयाचिका माननीय उच्च न्यायालय मे दर्ज करायी ।
19. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के माननीयन्यायाधिपति श्री एस.के.गंगेले एवं न्यायमूर्ति श्री ए.के.जोशीकी युगलपीठ ने चिरायु अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज केभूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका परसुनवाई पूरी कर दिनांक 15 जुलाई 2016 को अंतिम आदेश हेतु प्रकरण सुरक्षित कर लिया है.....
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http://www.nvmp.in/chirayu-assmaa-se-12th-july16/
Tarun Gupta
Parishram Samaj Kalyan Samiti
232, Zone-1, M.P.Nagar,Bhopal
9425013850
चिरायु अस्पताल हेतु भूमि आवंटन मामले में सुनवाई पूरीएवं अंतिम आदेश हेतु प्रकरण सुरक्षित
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उच्च न्यायालय में चिरायु सोसायटी की तरफ से कहा गयाकि आवंटित भूमि कभी नहीं रहा तालाब।
जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीयन्यायाधिपति श्री एस.के.गंगेले एवं न्यायमूर्ति श्री ए.के.जोशीकी युगलपीठ ने चिरायु अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज केभूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका परसुनवाई पूरी कर दिनांक 15 जुलाई 2016 को अंतिमआदेश हेतु प्रकरण सुरक्षित कर लिया है।
प्रकरण में मुख्यतः यह आधार लिया गया कि चिरायुमेडिकल कॉलेज हेतु जो भूमि(मास्टर प्लान 2005 केअनुसार एवं पीएचई के तालाब क्षेत्र के खसरे औरवास्तविकता के आधार पर) खसरा नं. 71,73,76 केअंतर्गत आवंटित की गई, वह बड़े तालाब का अभिन्न अंग हैएवं बिना इस तथ्य की पुष्टि किये शासन द्वारा आनन-फाननमें 10 दिन के अंदर वर्ष2008 में भूमि आवंटित कर दीगई। परिश्रम समाज कल्याण समिति,सचिव तरूण गुप्ताद्वारा याचिका में यह भी आधार प्रस्तुत किया गया कि डूबक्षेत्र में लगभग 4600 वृक्ष लगे थे, जिस पर भी शासन नेकभी ध्यान नहीं दिया एवं ऐनकेन प्रकारेण भूमि का भू -उपयोग उपांतरित करते हुये भूमि अस्पताल एवं मेडिकलकॉलेज निर्माण हेतु स्वीकृत कर दी गई।
चिरायु अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज की तरफ से उच्चन्यायालय में आज अंतिम बहस के दौरान यह तर्क दियागया कि खसरा नंबर 71,73,76 कभी भी बड़े तालाब काअंग नहीं रही एवं उससे सटा हुआ जो जल इकट्ठा हुआहै, वह ”बगल से बहने वाले नाले” के कारण हुआ है जोराजमार्ग की पुलिया से होता हुआ तालाब में मिलता है।विपक्ष की तरफ से यह भी कहा गया कि चिरायु हॉस्पिटलसे लगी हुई भूमि का बड़े तालाब से कोई सरोकार नहीं हैजो कि इंदौर-भोपाल को जोड़ने वाले राजमार्ग के कारणपूर्णंतः विभाजित है, इस मार्ग पर स्कूल, बस स्टैण्ड, दुकानें,मकानों का निर्माण किया जा चुका है यदि तालाब से लगेहुए मार्ग से सटा हुआ क्षेत्र तालाब की श्रेणी में आता है तोभोपाल के 80 प्रतिशत निर्माण को डिमॉलिश कर देनाचाहिए, रेवेन्यू की रिपोर्ट में इस भूमि की एक दिशा परनाला दूसरे पर सड़क आदि दर्शाई गई है... विपक्ष की ओरसे यह भी कहा गया कि वस्तुतः यह सारी याचिकायें कुछविशिष्ट व्यक्तियों द्वारा प्रायोजित हैं जो कि चाहते हैं किअस्पताल किसी भी परिस्थितियों में बंद हो जाये।
जनहित याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्तासिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने प्रति उत्तर में मांग की किन्यायालय राज्य शासन के वरिष्ठ अफसरों(डायरेक्टरटी.एण्ड सी.पी., कलेक्टर, कमिश्नर भोपाल, केन्द्रीय जिलाआयोग, याचिकाकर्ता) की निरीक्षण समिति बनाकर पूरेक्षेत्र,खासकर खसरा नंबर 71,73,76 का स्थल निरीक्षणकरा लें, एवं इस समिति द्वारा सीपीए भोपाल एवं कलेक्टरभोपाल के पास संरक्षित दस्तावेजों में बड़े तालाब के डूबक्षेत्र में आने वाले खसरा नंबरों की सूची एवं भोपाल मास्टरप्लान 2005 से भी मिलान करा लें साथही 27 अक्टूबर08 सी.पी.ए. फॉरेस्ट की रिपोर्ट “सरोवरहमारी धरोहर” ,19 नवंबर 2010 प्रमुखसचिव राजस्व की जांच रिपोर्ट औरटी.एण्ड सी.पी. के पत्र क्रमांक 2653दि. 20 दिसंबर 2010 का अध्ययनकरवा लें, यह स्पष्ट होजायेगा कि खसरा नंबर 71,73,76 सीपीए, भोपालकलेक्टर भोपाल एवं पीएचई के दस्तावेजों में सदैव बड़ेतालाब के डूब क्षेत्र के रूप में दर्ज रहे हैं एवं वहांपर4600 से ज्यादा वृक्ष आवंटन के दौरान खड़े हुयेथे, जिनको अवैध रूप से बर्बरता से चिरायु संस्थान द्वारारातों रात हटा दिया गया। चिरायु का भूमि आवंटन म.प्र.शासन के लिये वैसा ही है, जैसा महाराष्ट्र शासन के लियेआदर्शभूमि घोटाला था, एवं इसका भी उसी तरह इलाजकिया जाना चाहिये।
राज्य शासन की ओर से आश्चर्यजनक रूप से किसी ने भीपैरवी नहीं की और न ही कोई वकील उपस्थित हुआ।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता द्वाराइस तथ्य पर भी आपत्ति ली गई कि चिरायु भूमि आवंटनका जवाब राज्य शासन द्वारा दिया जाना चाहिये न कि स्वयंचिरायु संस्थान द्वारा। राज्य शासन द्वारा कोई भी अधिवक्तान खड़ा करना इस बात का सूचक है कि शासन नेयाचिकाकर्ता के सभी तथ्यों को नकारना सही नहीं समझाएवं उनको स्वीकार कर लिया गया।
उच्च न्यायालय अब इस प्रकरण में वस्तुतः अंतिम आदेशही पारित करेगी।
शुरूआत हुई...
1. 19 मई 08 चिरायु ने मेडिकल कॉलेज और अस्पतालखोलने के लिए 32 एकड़ डूब क्षेत्र की भूमिसरकार केसमक्ष आवेदन प्रस्तुत।
2. 25 मई 08 चिरायु ने कलेक्टर कार्यालय में डूब क्षेत्रकी भूमि आवंटन राशि 5000 रुपए जमा की इसी दिननजूल सर्वेयर का प्रतिवेदन तहसीलदार के माध्यम सेकलेक्ट्रेट एवं कलेक्टर द्वारा स्वीकृति और फिर वहां सेकमिश्नर के सामने प्रस्तुत।
3. 29 मई 08 कमिश्नर कार्यालय से चिरायु कीअनुमोदित फाइल प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरणकार्यालय पहुंची। इसी दिन प्रमुख सचिव के अनुमोदन केबाद डायरेक्टर टी.एंडसी.पी. के सामने प्रकरण प्रस्तुत।
4. 31 मई 08 डायरेक्टर टी.एंड सी.पी. का अभिमत,प्रमुख सचिव के समक्ष “चिरायु अस्पताल को आवंटन केपूर्व भूमि का उपयोग बदलना अनिवार्य होगा ”। प्रमुखसचिव आवास पर्यावरण ने आनन फानन में इसी दिनआरक्षण कमेटी को गठित किया, गठित कमेटी ने भी उसीदिन बैठक में निर्णय लिया कि भूमि चिरायु को आरक्षित कीजाती है।
5. 24 जुलाई 08 बगैर भूमि के उपयोग के परिवर्तितकिए हुए चिरायु को डूब क्षेत्र की भूमि आवंटित करने कीअनुशंसा की जाती है।
6. 30 अगस्त 08 भूमि के उपयोग को परिवर्तित किएबिना राजस्व विभाग द्वारा तालाब के डूब क्षेत्र को चिरायुअस्पताल को आवंटन के आदेश जारी।
7. 9 सितंबर 08 तालाब के डूब क्षेत्र की जमीन कोलीज पर चिरायु अस्पताल को सौंपी। भूमि के उपयोग कोपरिवर्तित किए बिना, ताकि लीज डीड में लगने वाला शुल्कबचाया जा सके। इसी दिनलैंड यूज चेंज का आवेदन प्रमुखसचिव आवास एवं पर्यावरण के समक्ष प्रस्तुत। और साथही टी. एंड सी.पी. से भी अभिमत मांगा गया।
8. 18 सितंबर 08 टी. एंड सी.पी. ने लैंड यूज परिवर्तनका अभिमत दिया।
9. 22 सितंबर 08 आपत्तियों के लिए गुमनाम अखबारोंमें विज्ञापन प्रकाशित किया गया।
10. 6 अक्टूबर 08 लैंड यूज परिवर्तन के संबंध मेंआपत्तियां दर्ज। यह भूमि कृषि नहीं तालाब का हिस्सा है कृपया इसे आवंटित कर तालाब का दायरा छोटा न कियाजाए।(मास्टर प्लान 2005 के अनुसार एवं पीएचई केतालाब क्षेत्र के खसरे और वास्तविकता के आधार पर)
11. 25 अक्टूबर 08 आपत्तियों के आधार पर सी.पी.ए.और अन्य विभागों से अपना मत मांगा गया।
12. 27 अक्टूबर 08 सी.पी.ए. फॉरेस्ट की रिपोर्टमें “सरोवर हमारी धरोहर एवं भोज वैट लैण्ड योजना”केतहत् भैंसाखेड़ी के डूब क्षेत्र में 1 लाख 17 हजार से भीज्यादा पौधे रोपित किए गए हैं... साथ ही भूमि खसरा नंबर71,73,76 का विशेष उल्लेख किया गया... कि इस भूमिपर 4600 से अधिक वृक्ष होने की बात कही गई। साथ हीसुप्रीम कोर्ट के वन क्षेत्र की परिभाषा और उसके उपांतरणके निर्णय को भी संलग्न किया तथा अपना मत देते हुएआग्रह किया भूमि का आवंटन अनुचित ,नियम विरूद्ध एवंसर्वोच्च न्यायालय की अवमानना होगी।
13. 28 जनवरी 09 प्रशासन द्वारा नोटिफिकेशन जारीएवं 30 जनवरी09 को गजट में प्रकाशित
14. 13 फरवरी 09 चिरायु द्वारा विकास कार्य के लिएआवेदन। पांच दिन बाद 18 फरवरी 09 को टी. एंड सी.पी.की स्वीकृति एवं अनुमोदन
15. 19 नवंबर 2010 प्रमुख सचिव राजस्व की जांचरिपोर्ट में कहा गया कि तत्कालीन नजूल मेंटनेंस सर्वेयरकदीर खान, एस.के.शर्मा तत्कालीन तहसीलदार श्रीरामतिवारी, मकसूद अहमद, समेत सभी लोगों ने मिलजुल करअनियमितता बरती है। राजस्व अमले ने वास्तविकता से परेजाकर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसके आधार पर जमीनको चिरायु चैरिटेबिल ट्रस्ट को आवंटित कर दिया गया...इस रिपोर्ट में सभी लोगों के खिलाफ मध्यप्रदेश सिविलसेवा वर्गीकरण और नियंत्रण नियम के तहत्अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा कीसाथ ही जमीन के आवंटन पर भी पुर्नविचार किए जाने कीआग्रह किया...
16. 30 नवंबर 2010 को राजस्व मंत्री करण सिंह वर्माने प्रमुख सचिव रेवेन्यू की रिपोर्ट पर सहमति जताई औरकदिर खान को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने कीअनुशंसा की।
17. टी.एण्ड सी.पी. के पत्र क्रमांक 2653 दि. 20दिसंबर 2010 विषय- तालाब के जल संरक्षण क्षेत्र मेंनियम विरूद्ध चिरायु अस्पताल अनाधिकृत निर्माण केसंबंध में बिंदु क्रमांक 5 में स्वीकारा कि भूमि के आरक्षणतथा विकास अनुमति के समय कैचमेंट संबंधी परीक्षण नहींकिया गया...
18. 2008 से ही श्री माले फिर अनूप कुमार और फिरपरिश्रम समाज कल्याण समिति द्वारा सम्बंधित 7 विभागोंसे सुचना के अधिकार के तहत जानकारी के लिए आवेदनप्रस्तुत किये गए किन्तु विभाग द्वारा आवेदन सूचनाये औरअपतियो को निरस्त और अनसुना कर दिया गया । अंततः2012 में परिश्रम समाज कल्याण समिति ने जनहितयाचिका माननीय उच्च न्यायालय मे दर्ज करायी ।
19. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के माननीयन्यायाधिपति श्री एस.के.गंगेले एवं न्यायमूर्ति श्री ए.के.जोशीकी युगलपीठ ने चिरायु अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज केभूमि आवंटन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका परसुनवाई पूरी कर दिनांक 15 जुलाई 2016 को अंतिम आदेश हेतु प्रकरण सुरक्षित कर लिया है.....
.For Video Pls click
http://www.nvmp.in/chirayu-assmaa-se-12th-july16/
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