पत्रकार शिवराज सिंह की बेटी की खुदकुशी के लिए सरकार की लापरवाही और मीडिया समूह की शोषण नीति जिम्मेदार
फिर किसी पत्रकार का परिजन खुदकुशी न करे इसके लिए पत्रकार आगे आएं, एकजुट हों
Toc News
भोपाल के पत्रकार शिवराज सिंह की प्रतिभावान बेटी ने पिता की आर्थिक तंगी से परेशान होकर आज खुदकुशी कर ली। वह आठवीं की छात्रा थी। इंडियन प्रेस फोरम के अध्यछ महेश दीक्षित ने इस झकझोर देने वाली दुखद घटना पर शोक जताया है।तथा कहा कि इसके लिए पूर्णत: शोषक मीडिया समूह और सरकार की लापरवाही दोषी है। उन्होंने पत्रकार शिवराज को समुचित आर्थिक सहायता देने की राज्य सरकार से मांग की है। तथा पत्रकार साथियों से दुख की इस घड़ी में शिवराज के साथ खड़े होने का आग्रह किया है।
पत्रकार शिवराज सिंह भोपाल के कई अखबारों में काम कर चुके हैं। कुछ दिन पहले प्रबंधन की मनमानी के चलते उन्हे भोपाल के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र से नौकरी से निकाल दिया गया था। इसके बाद से वे भयंकर आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे। स्कूल की टॉपर उनकी बेटी पिता की इस तंग हालत से परेशान थी। वो पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थी, इसलिए उसने जान दे दी।
फोरम के अध्यछ श्री दीक्षित ने कहा कि ऐसे सैकड़ों काबिल पत्रकार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं और उनके बच्चे इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। वजह मीडिया मालिक उन्हें काम का पूरा दाम (वेतन) न देकर उनका शोषण कर रहे हैं। आज प्रदेश के कई मीडिया समूह पत्रकारों के साथ यह रवैया अपनाए हुए हैं। उन्हें कई-कई महीने वेतन नहीं दिया जा रहा है। यदि पत्रकार कर्मी वेतन मांगने जाता है तो उसे मैनेजमेंट द्वारा अपमानित किया जाता है या फिर उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है। जबकि मीडिया समूह खुद सरकार से समस्त सुविधाओं का लाभ से रहे हैं। दबाव बनाकर हर महीने लाखों के विग्यापन ऐंठ रहे हैं।
श्री दीछित ने कहा कि हालांकि सरकार ने पत्रकारों के हित में पत्रकार स्वास्थ्य बीमा और पत्रकार दुर्घटना जैसी योजनाएं लागू की हैं।पत्रकारों को इन योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है, लेकिन पत्रकारों के लिए बनाए गए मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार लागू नहीं करा पा रही है। अखबारों के दफ्तरों में मजीठिया वेजेज को लागू कराने और पत्रकारों को वेजेज के अनुसार वेतन मिल रहा है या नहीं इसकी निगरानी करने की जिम्मेदारी सरकार के श्रम विभाग की है। लेकिन लगता है श्रम विभाग ने इन निरंकुश हो चुके मीडिया समूहों के सामने घुटने टेक दिए हैं।
पत्रकार शिवराज की प्रतिभावान बेटी की आर्थिक तंगी में खुदकुशी, सरकार की लापरवाही और मीडिया समूहों की शोषण नीति का नतीजा है।
श्री दीछित ने कहा कि, फिर कोई पत्रकार की बेटी खुदकुशी न करे, इसके लिए
सरकार को चाहिए कि, वह ऐसे मीडिया समूहों पर कार्रवाई करे, जो मजीठिया वेजेज का लाभ अपने यहां काम करने वाले पत्रकार कर्मियों को नहीं दे रहे हैं। तथा जब तक मीडिया समूह अपने यहां कार्यरत पत्रकार कर्मियों को मजीठिया वेतनमान नहीं दे देते हैं, तब तक इन मीडिया समूहों को दी जाने वाली समुचित सरकारी सुविधाएं तथा सरकारी विग्यापन बंद कर देना चाहिए।
फिर किसी पत्रकार का परिजन खुदकुशी न करे इसके लिए पत्रकार आगे आएं, एकजुट हों
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भोपाल के पत्रकार शिवराज सिंह की प्रतिभावान बेटी ने पिता की आर्थिक तंगी से परेशान होकर आज खुदकुशी कर ली। वह आठवीं की छात्रा थी। इंडियन प्रेस फोरम के अध्यछ महेश दीक्षित ने इस झकझोर देने वाली दुखद घटना पर शोक जताया है।तथा कहा कि इसके लिए पूर्णत: शोषक मीडिया समूह और सरकार की लापरवाही दोषी है। उन्होंने पत्रकार शिवराज को समुचित आर्थिक सहायता देने की राज्य सरकार से मांग की है। तथा पत्रकार साथियों से दुख की इस घड़ी में शिवराज के साथ खड़े होने का आग्रह किया है।
पत्रकार शिवराज सिंह भोपाल के कई अखबारों में काम कर चुके हैं। कुछ दिन पहले प्रबंधन की मनमानी के चलते उन्हे भोपाल के एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र से नौकरी से निकाल दिया गया था। इसके बाद से वे भयंकर आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे। स्कूल की टॉपर उनकी बेटी पिता की इस तंग हालत से परेशान थी। वो पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थी, इसलिए उसने जान दे दी।
फोरम के अध्यछ श्री दीक्षित ने कहा कि ऐसे सैकड़ों काबिल पत्रकार आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं और उनके बच्चे इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। वजह मीडिया मालिक उन्हें काम का पूरा दाम (वेतन) न देकर उनका शोषण कर रहे हैं। आज प्रदेश के कई मीडिया समूह पत्रकारों के साथ यह रवैया अपनाए हुए हैं। उन्हें कई-कई महीने वेतन नहीं दिया जा रहा है। यदि पत्रकार कर्मी वेतन मांगने जाता है तो उसे मैनेजमेंट द्वारा अपमानित किया जाता है या फिर उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है। जबकि मीडिया समूह खुद सरकार से समस्त सुविधाओं का लाभ से रहे हैं। दबाव बनाकर हर महीने लाखों के विग्यापन ऐंठ रहे हैं।
श्री दीछित ने कहा कि हालांकि सरकार ने पत्रकारों के हित में पत्रकार स्वास्थ्य बीमा और पत्रकार दुर्घटना जैसी योजनाएं लागू की हैं।पत्रकारों को इन योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है, लेकिन पत्रकारों के लिए बनाए गए मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार लागू नहीं करा पा रही है। अखबारों के दफ्तरों में मजीठिया वेजेज को लागू कराने और पत्रकारों को वेजेज के अनुसार वेतन मिल रहा है या नहीं इसकी निगरानी करने की जिम्मेदारी सरकार के श्रम विभाग की है। लेकिन लगता है श्रम विभाग ने इन निरंकुश हो चुके मीडिया समूहों के सामने घुटने टेक दिए हैं।
पत्रकार शिवराज की प्रतिभावान बेटी की आर्थिक तंगी में खुदकुशी, सरकार की लापरवाही और मीडिया समूहों की शोषण नीति का नतीजा है।
श्री दीछित ने कहा कि, फिर कोई पत्रकार की बेटी खुदकुशी न करे, इसके लिए
सरकार को चाहिए कि, वह ऐसे मीडिया समूहों पर कार्रवाई करे, जो मजीठिया वेजेज का लाभ अपने यहां काम करने वाले पत्रकार कर्मियों को नहीं दे रहे हैं। तथा जब तक मीडिया समूह अपने यहां कार्यरत पत्रकार कर्मियों को मजीठिया वेतनमान नहीं दे देते हैं, तब तक इन मीडिया समूहों को दी जाने वाली समुचित सरकारी सुविधाएं तथा सरकारी विग्यापन बंद कर देना चाहिए।
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