Jul 19, 2016, Toc News
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने आज कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने संसद में यह बोल कर ‘गड़बड़ी’ की कि सेवा-कर राजस्व को राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता.चिदंबरम ने ट्विटर पर कहा , ‘‘वित्त मंत्री ने गलत बोला. वह गड़बड़ा गये. सर्विस टैक्स समेत सभी टैक्स में हिस्सा लगता है.’’
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में जेटली की कही गयी बातों पर टिप्पणी कर रहे थे. अपने जवाब में उन्होंने कहा कि आयोग की सिफारिशों के तहत सर्विस टैक्स राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता और जीएसटी पारित करना उनके (राज्यों के) हित में होगा जिससे उन्हें सेवा-कर में हिस्सा मिल सकेगा.
IN DEPTH: कहां फंसा है जीएसटी बिल का पेंच ?
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पहुंचे और उनका हालचाल पूछा. इस पर सोनिया ने कहा, अच्छा है. जवाब में मोदी ने कहा, अच्छा तब होगा जब संसद चलेगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से ठीक पहले एक और बात कही, “सबका मूड ये है कि देश आगे विकास की ओर बढ़े,” प्रधानमंत्री की दोनों बातों को जोड़कर देखें तो तस्वीर ये बनती है कि देश के विकास के लिए संसद में कामकाज होना ज़रूरी है.
खासकर तब, जब देश के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी जीएसटी बिल पांच साल से संसद में झूल रहा है. सरकार इसके लिए विपक्ष खास तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार मानती है.
कांग्रेस का कहना है कि जीएसटी बिल पास होने में रुकावट वो नहीं, बल्कि सरकार का रवैया है. जीएसटी बिल पर पेंच मुख्य तौर पर कांग्रेस की तीन मांगों को लेकर फंसा है.
कहां फंसा है जीएसटी बिल का पेंच?
सबसे ज्यादा दिक्कत कांग्रेस की इस मांग पर है कि टैक्स की अधिकतम दर 18 फीसदी रखने की बात संविधान में शामिल हो.
सरकार का कहना है कि ऐसा प्रावधान अगर संविधान में रखा तो ज़रूरत पड़ने पर संशोधन करना बेहद मुश्किल होगा, जो ठीक नहीं है.
कांग्रेस ये भी मांग कर रही है कि जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र और राज्यों में विवाद होने पर उनका निपटारा एक स्वतंत्र ट्रिब्यूनल करे.
सरकार चाहती है विवादों का निपटारा जीएसटी काउंसिल के जरिये हो, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों की भागीदारी रहेगी. ज्यादातर
राज्य सरकारें इससे सहमत हैं.
कांग्रेस की तीसरी मांग दो राज्यों के बीच वस्तुओं की आवाजाही पर प्रस्तावित 1 फीसदी टैक्स हटाने की है.
चर्चा है कि सरकार कांग्रेस की इस मांग को मंजूर कर सकती है.
मोदी सरकार विपक्ष के समर्थन के बिना जीएसटी बिल को पास नहीं करा सकती, क्योंकि राज्यसभा में उसका बहुमत नहीं है.जीएसटी बिल कैसे पास होगा?
जीएसटी बिल एक संविधान संशोधन विधेयक है, जिसके पारित होने के लिए राज्यसभा में उपस्थित दो-तिहाई सांसदों का समर्थन जरूरी है.
समर्थन करने वाले इन सांसदों की तादाद सदन की कुल संख्या के आधे से ज्यादा होना भी ज़रूरी है.
राज्यसभा में अभी कुल 244 सांसद हैं, जिसके दो-तिहाई का मतलब है 163 सांसदों का समर्थन.
यानी इतने सांसदों का समर्थन मिल जाए तो बिल पास होना तय है.
राज्यसभा में अभी जीएसटी का समर्थन कर रही पार्टियों के सांसदों की संख्या 122 है.
69 राज्यसभा सांसद ऐसी पार्टियों के हैं, जो जीएसटी बिल के खिलाफ हैं.
42 सांसद ऐसे हैं, जिनकी पार्टियों ने अब तक बिल के समर्थन या विरोध का एलान नहीं किया है.ऐसे में कांग्रेस अगर जीएसटी बिल के समर्थन के लिए तैयार नहीं हुई तो सरकार उन दलों के समर्थन से बिल पास कराने की कोशिश कर सकती है, जिनका रुख अब तक साफ नहीं है.
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने आज कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने संसद में यह बोल कर ‘गड़बड़ी’ की कि सेवा-कर राजस्व को राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता.चिदंबरम ने ट्विटर पर कहा , ‘‘वित्त मंत्री ने गलत बोला. वह गड़बड़ा गये. सर्विस टैक्स समेत सभी टैक्स में हिस्सा लगता है.’’
पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में जेटली की कही गयी बातों पर टिप्पणी कर रहे थे. अपने जवाब में उन्होंने कहा कि आयोग की सिफारिशों के तहत सर्विस टैक्स राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता और जीएसटी पारित करना उनके (राज्यों के) हित में होगा जिससे उन्हें सेवा-कर में हिस्सा मिल सकेगा.
IN DEPTH: कहां फंसा है जीएसटी बिल का पेंच ?
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पहुंचे और उनका हालचाल पूछा. इस पर सोनिया ने कहा, अच्छा है. जवाब में मोदी ने कहा, अच्छा तब होगा जब संसद चलेगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से ठीक पहले एक और बात कही, “सबका मूड ये है कि देश आगे विकास की ओर बढ़े,” प्रधानमंत्री की दोनों बातों को जोड़कर देखें तो तस्वीर ये बनती है कि देश के विकास के लिए संसद में कामकाज होना ज़रूरी है.
खासकर तब, जब देश के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी जीएसटी बिल पांच साल से संसद में झूल रहा है. सरकार इसके लिए विपक्ष खास तौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार मानती है.
कांग्रेस का कहना है कि जीएसटी बिल पास होने में रुकावट वो नहीं, बल्कि सरकार का रवैया है. जीएसटी बिल पर पेंच मुख्य तौर पर कांग्रेस की तीन मांगों को लेकर फंसा है.
कहां फंसा है जीएसटी बिल का पेंच?
सबसे ज्यादा दिक्कत कांग्रेस की इस मांग पर है कि टैक्स की अधिकतम दर 18 फीसदी रखने की बात संविधान में शामिल हो.
सरकार का कहना है कि ऐसा प्रावधान अगर संविधान में रखा तो ज़रूरत पड़ने पर संशोधन करना बेहद मुश्किल होगा, जो ठीक नहीं है.
कांग्रेस ये भी मांग कर रही है कि जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र और राज्यों में विवाद होने पर उनका निपटारा एक स्वतंत्र ट्रिब्यूनल करे.
सरकार चाहती है विवादों का निपटारा जीएसटी काउंसिल के जरिये हो, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों की भागीदारी रहेगी. ज्यादातर
राज्य सरकारें इससे सहमत हैं.
कांग्रेस की तीसरी मांग दो राज्यों के बीच वस्तुओं की आवाजाही पर प्रस्तावित 1 फीसदी टैक्स हटाने की है.
चर्चा है कि सरकार कांग्रेस की इस मांग को मंजूर कर सकती है.
मोदी सरकार विपक्ष के समर्थन के बिना जीएसटी बिल को पास नहीं करा सकती, क्योंकि राज्यसभा में उसका बहुमत नहीं है.जीएसटी बिल कैसे पास होगा?
जीएसटी बिल एक संविधान संशोधन विधेयक है, जिसके पारित होने के लिए राज्यसभा में उपस्थित दो-तिहाई सांसदों का समर्थन जरूरी है.
समर्थन करने वाले इन सांसदों की तादाद सदन की कुल संख्या के आधे से ज्यादा होना भी ज़रूरी है.
राज्यसभा में अभी कुल 244 सांसद हैं, जिसके दो-तिहाई का मतलब है 163 सांसदों का समर्थन.
यानी इतने सांसदों का समर्थन मिल जाए तो बिल पास होना तय है.
राज्यसभा में अभी जीएसटी का समर्थन कर रही पार्टियों के सांसदों की संख्या 122 है.
69 राज्यसभा सांसद ऐसी पार्टियों के हैं, जो जीएसटी बिल के खिलाफ हैं.
42 सांसद ऐसे हैं, जिनकी पार्टियों ने अब तक बिल के समर्थन या विरोध का एलान नहीं किया है.ऐसे में कांग्रेस अगर जीएसटी बिल के समर्थन के लिए तैयार नहीं हुई तो सरकार उन दलों के समर्थन से बिल पास कराने की कोशिश कर सकती है, जिनका रुख अब तक साफ नहीं है.
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