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भोपाल ( *मनीष मड़ाहर* )। अपनी पत्नी से विवादों में उलझे मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर प्रमोद वर्मा की पत्नी निधि वर्मा ने पति के खिलाफ दायर घरेलू हिंसा की शिकायत 29 जून को वापस ले ली। निधि ने प्रमोद के खिलाफ शिकायत दिल्ली की साकेत अदालत में आय के बारे में फर्जी शपथ पत्र देने का वाद दायर होने के बाद वापस ली। उल्लेखनीय है कि निधि वर्मा ने अपने पति के खिलाफ 2014 में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को जान का खतरा और घरेलू हिंसा की शिकायत की थी।
इस बीच प्रमोद वर्मा को प्रतिनियुक्ति पर नई दिल्ली भेज दिया गया था। निधि वर्मा ने दिल्ली में अपने पति प्रमोद वर्मा के खिलाफ घरेलू हिंसा की धारा-12 के तहत साकेत कोर्ट में वाद दायर कर भारी हर्जाने की मांग रखी थी। निधि वर्मा ने कोर्ट में दो अलग-अलग शपथ पत्र रखकर अपनी आय को शून्य बताया था और अपनी किसी अचल संपति होने से भी इंकार किया था। एक आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार पाठक ने निधि वर्मा की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी तो जयपुर में निधि के नाम से व्यावसायिक संपत्ति का पता चला।
इस सूचना को आधार बनाते हुए राजकुमार पाठक ने अपने वकील वैभव श्रीवास्तव के माध्यम से दिसबर 2015 में दिल्ली के साकेत कोर्ट में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पूजा अग्रवाल की कोर्ट में निधि के खिलाफ फर्जी शपथ पत्र देने का वाद दायर किया। वाद दायर करने के बाद निधि ने कोर्ट में आवेदन देकर अपने पति के खिलाफ दायर घरेलु हिंसा की शिकायत 29 जून को वापस ले ली। उल्लेखनीय है कि निधि ने कोर्ट में अपनी आय को शून्य बताते हुए पति से हर महीने एक लाख पैंतीस हजार रूपए हर महीने हर्जाने की मांग की थी।
हर्जाने के लालच में निधि ने अदालत में जो शपथ पत्र प्रस्तुत किए उसके आधार पर राजकुमार पाठक के वकील वैभव श्रीवास्तव ने आरटीआई से मिली जानकारी अदालत में देकर निधि के विरूद्ध वाद पेश किया। आरटीआई में निधि के नाम पर जयपुर में गोल्डसुख नाम से करोड़ो की संपत्ति पाई गई जिसमें उसे लाखों रूपए की मासिक आय होती थी। न्यायधीश पूजा अग्रवाल ने इसे गंभीर मानते हुए निधि को नोटिस जारी किया। इस झूठे आरोपों से भरे वाद में नया मोड़ तब आया जब निधि ने अपने पति प्रमोद वर्मा को बताए बिना ही घरेलु हिंसा का वाद वापस ले लिया और अपने द्वारा लगाए समस्त आरोपों से मुकर गई। कोर्ट के वाद के उत्तर में प्रमोद वर्मा ने पत्नी के सभी आरोपों को खारिज करते हुए लिखा था कि निधि एक बेहद खर्चीली, शराब प्रेमी और पार्टी पसंद महिला है।
इसके प्रमाण भी प्रमोद वर्मा ने अदालत में पेश किए थे। राजकुमार पाठक के वकील वैभव श्रीवास्तव का कहना है कि जब निधि वर्मा के पास संपत्ति शून्य है तो बिना आयकर चुकाए उन्होंने करोड़ों की संपत्ति कैसे क्रय कर ली। इस बात की भी जांच होना चाहिए। निधि ने अपने शपथ पत्र में गलत जानकारी दी है तो इसके लिए उन्हें सात साल तक की सजा भी हो सकती है। निधि वर्मा के विरूद्ध फर्जी शपथ पत्र पर वाद प्रस्तुत करते समय पता चला कि उन्होंने पति की बिना स्वीकृति के ही अपने आरोप वापस ले लिए इससे प्रमाणित होता है कि निधि के सारे आरोप झूठे और तथ्यहीन थे।
भोपाल ( *मनीष मड़ाहर* )। अपनी पत्नी से विवादों में उलझे मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर प्रमोद वर्मा की पत्नी निधि वर्मा ने पति के खिलाफ दायर घरेलू हिंसा की शिकायत 29 जून को वापस ले ली। निधि ने प्रमोद के खिलाफ शिकायत दिल्ली की साकेत अदालत में आय के बारे में फर्जी शपथ पत्र देने का वाद दायर होने के बाद वापस ली। उल्लेखनीय है कि निधि वर्मा ने अपने पति के खिलाफ 2014 में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को जान का खतरा और घरेलू हिंसा की शिकायत की थी।
इस बीच प्रमोद वर्मा को प्रतिनियुक्ति पर नई दिल्ली भेज दिया गया था। निधि वर्मा ने दिल्ली में अपने पति प्रमोद वर्मा के खिलाफ घरेलू हिंसा की धारा-12 के तहत साकेत कोर्ट में वाद दायर कर भारी हर्जाने की मांग रखी थी। निधि वर्मा ने कोर्ट में दो अलग-अलग शपथ पत्र रखकर अपनी आय को शून्य बताया था और अपनी किसी अचल संपति होने से भी इंकार किया था। एक आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार पाठक ने निधि वर्मा की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी तो जयपुर में निधि के नाम से व्यावसायिक संपत्ति का पता चला।
इस सूचना को आधार बनाते हुए राजकुमार पाठक ने अपने वकील वैभव श्रीवास्तव के माध्यम से दिसबर 2015 में दिल्ली के साकेत कोर्ट में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पूजा अग्रवाल की कोर्ट में निधि के खिलाफ फर्जी शपथ पत्र देने का वाद दायर किया। वाद दायर करने के बाद निधि ने कोर्ट में आवेदन देकर अपने पति के खिलाफ दायर घरेलु हिंसा की शिकायत 29 जून को वापस ले ली। उल्लेखनीय है कि निधि ने कोर्ट में अपनी आय को शून्य बताते हुए पति से हर महीने एक लाख पैंतीस हजार रूपए हर महीने हर्जाने की मांग की थी।
हर्जाने के लालच में निधि ने अदालत में जो शपथ पत्र प्रस्तुत किए उसके आधार पर राजकुमार पाठक के वकील वैभव श्रीवास्तव ने आरटीआई से मिली जानकारी अदालत में देकर निधि के विरूद्ध वाद पेश किया। आरटीआई में निधि के नाम पर जयपुर में गोल्डसुख नाम से करोड़ो की संपत्ति पाई गई जिसमें उसे लाखों रूपए की मासिक आय होती थी। न्यायधीश पूजा अग्रवाल ने इसे गंभीर मानते हुए निधि को नोटिस जारी किया। इस झूठे आरोपों से भरे वाद में नया मोड़ तब आया जब निधि ने अपने पति प्रमोद वर्मा को बताए बिना ही घरेलु हिंसा का वाद वापस ले लिया और अपने द्वारा लगाए समस्त आरोपों से मुकर गई। कोर्ट के वाद के उत्तर में प्रमोद वर्मा ने पत्नी के सभी आरोपों को खारिज करते हुए लिखा था कि निधि एक बेहद खर्चीली, शराब प्रेमी और पार्टी पसंद महिला है।
इसके प्रमाण भी प्रमोद वर्मा ने अदालत में पेश किए थे। राजकुमार पाठक के वकील वैभव श्रीवास्तव का कहना है कि जब निधि वर्मा के पास संपत्ति शून्य है तो बिना आयकर चुकाए उन्होंने करोड़ों की संपत्ति कैसे क्रय कर ली। इस बात की भी जांच होना चाहिए। निधि ने अपने शपथ पत्र में गलत जानकारी दी है तो इसके लिए उन्हें सात साल तक की सजा भी हो सकती है। निधि वर्मा के विरूद्ध फर्जी शपथ पत्र पर वाद प्रस्तुत करते समय पता चला कि उन्होंने पति की बिना स्वीकृति के ही अपने आरोप वापस ले लिए इससे प्रमाणित होता है कि निधि के सारे आरोप झूठे और तथ्यहीन थे।
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