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मध्य प्रदेश में जबलपुर भेडाघाट के कारण भी प्रसिद्ध है ] इस बरसात में जिला प्रशासन को वहां सेल्फी लेने पर पाबंदी लगाने और और इसके क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त अमला लगाना पडा| सेल्फी का क्रेज दरअसल एक जानलेवा एडवेंचर साबित हो रहा है जहां मौज-मस्ती की चाह और कुछ नया कर गुजरने ख्वाहिश रखनेवाले (ज्यादातर युवाओं) को जान से हाथ धोना पड़ता है या अन्य दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। यह अजीब विडंबना है कि महज एक सेल्फी का क्रेज युवाओं की जिंदगी को लील रहा है। अब सेल्फी स्टिक के जरिए युवा इस लेकर ज्यादा क्रेजी हो उठे है। सेल्फी से जुड़ा एक्सपेरिमेंट दरअसल जानलेवा साबित हो रहा है लेकिन ज्यादातर युवा इसे नजरअंदाज कर रहे है जिससे भयावह स्वरूप हम सामने देख रहे है, जो चिंतित करनेवाला है।
सेल्फी स्मार्टफोन की तकनीक की देन है जिसमें उसमें लगे कैमरा की अहम भूमिका होती है। अगर स्मार्टफोन है तभी सेल्फी ली जा सकती है। भारत की आबादी 125 करोड़ को पार कर चुकी है लेकिन देश में मोबाइल की संख्या उसका पीछा करती हुई दिख रही है। देश में इस वक्त कुल 105.92 करोड़ मोबाइल यूजर्स है। ऐसा लगता है कि कुछ साल में देश की आबादी से ज्यादा मोबाइल यूजर्स की संख्या हो जाएगी। क्योंकि ज्यादातर लोग एक से ज्यादा मोबाइल रखने लगे हैं। देश में 103.42 करोड़ वाई-फाई उपभोक्ता है जो वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करते है। लगभग 16 करोड़ लोग ब्रॉडबैंड के जरिए इंटरनेट का प्रयोग करते है। यह कुछ आंकड़े है जिनसे यह पता चलता है कि देश में मोबाइल,स्मार्टफोन और इंटरनेट का इस्तेमाल दिन-ब-दिन कितनी तेजी से बढ़ता चला जा रहा है।
94 मिलियन सेल्फी प्रतिदिन दुनिया में क्लिक होते हैं। सेल्फी यानी खुद की फोटो खींचना। भारत ही नहीं पूरे देश में इसके प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ी है लेकिन युवाओं में इसका क्रेज सर चढ़कर बोलता है। युवाओं के अलावा शायद ही कोई ऐसा वर्ग होगा जो इसके क्रेज से अछूता हो। वर्ष 2013 में 'सेल्फी', ऑक्सफोर्ड वर्ड ऑफ द इयर बना जो इसके क्रेज की दास्तां बयां करता है। अगर देखा जाए तो इसका चलन पिछले तीन से चार साल में ज्यादा बढ़ा है। स्मार्टफोन कल्चर के दौर में इसे सबसे ज्यादा बढ़ावा मिला। क्योंकि सेल्फी लेना फ्रंट कैमरे से मुमकिन होता है। गूगल के सर्वे से पता चलता है कि स्मार्टफोन के इस दौर में आज के युवक-युवतियां जो पूरे दिन में रोजाना औसतन 11 घंटे अपने फोन पर बिताते हैं वे पूरे दिन में एक-दो नहीं बल्कि 14-14 सेल्फी लेते हैं| इसे मनोविकार की संज्ञा दी जा सकती है |
फेस बुक से साभार
मध्य प्रदेश में जबलपुर भेडाघाट के कारण भी प्रसिद्ध है ] इस बरसात में जिला प्रशासन को वहां सेल्फी लेने पर पाबंदी लगाने और और इसके क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त अमला लगाना पडा| सेल्फी का क्रेज दरअसल एक जानलेवा एडवेंचर साबित हो रहा है जहां मौज-मस्ती की चाह और कुछ नया कर गुजरने ख्वाहिश रखनेवाले (ज्यादातर युवाओं) को जान से हाथ धोना पड़ता है या अन्य दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। यह अजीब विडंबना है कि महज एक सेल्फी का क्रेज युवाओं की जिंदगी को लील रहा है। अब सेल्फी स्टिक के जरिए युवा इस लेकर ज्यादा क्रेजी हो उठे है। सेल्फी से जुड़ा एक्सपेरिमेंट दरअसल जानलेवा साबित हो रहा है लेकिन ज्यादातर युवा इसे नजरअंदाज कर रहे है जिससे भयावह स्वरूप हम सामने देख रहे है, जो चिंतित करनेवाला है।
सेल्फी स्मार्टफोन की तकनीक की देन है जिसमें उसमें लगे कैमरा की अहम भूमिका होती है। अगर स्मार्टफोन है तभी सेल्फी ली जा सकती है। भारत की आबादी 125 करोड़ को पार कर चुकी है लेकिन देश में मोबाइल की संख्या उसका पीछा करती हुई दिख रही है। देश में इस वक्त कुल 105.92 करोड़ मोबाइल यूजर्स है। ऐसा लगता है कि कुछ साल में देश की आबादी से ज्यादा मोबाइल यूजर्स की संख्या हो जाएगी। क्योंकि ज्यादातर लोग एक से ज्यादा मोबाइल रखने लगे हैं। देश में 103.42 करोड़ वाई-फाई उपभोक्ता है जो वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करते है। लगभग 16 करोड़ लोग ब्रॉडबैंड के जरिए इंटरनेट का प्रयोग करते है। यह कुछ आंकड़े है जिनसे यह पता चलता है कि देश में मोबाइल,स्मार्टफोन और इंटरनेट का इस्तेमाल दिन-ब-दिन कितनी तेजी से बढ़ता चला जा रहा है।
94 मिलियन सेल्फी प्रतिदिन दुनिया में क्लिक होते हैं। सेल्फी यानी खुद की फोटो खींचना। भारत ही नहीं पूरे देश में इसके प्रति लोगों की दीवानगी बढ़ी है लेकिन युवाओं में इसका क्रेज सर चढ़कर बोलता है। युवाओं के अलावा शायद ही कोई ऐसा वर्ग होगा जो इसके क्रेज से अछूता हो। वर्ष 2013 में 'सेल्फी', ऑक्सफोर्ड वर्ड ऑफ द इयर बना जो इसके क्रेज की दास्तां बयां करता है। अगर देखा जाए तो इसका चलन पिछले तीन से चार साल में ज्यादा बढ़ा है। स्मार्टफोन कल्चर के दौर में इसे सबसे ज्यादा बढ़ावा मिला। क्योंकि सेल्फी लेना फ्रंट कैमरे से मुमकिन होता है। गूगल के सर्वे से पता चलता है कि स्मार्टफोन के इस दौर में आज के युवक-युवतियां जो पूरे दिन में रोजाना औसतन 11 घंटे अपने फोन पर बिताते हैं वे पूरे दिन में एक-दो नहीं बल्कि 14-14 सेल्फी लेते हैं| इसे मनोविकार की संज्ञा दी जा सकती है |
फेस बुक से साभार
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