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नई दिल्ली। देश की सरकारी दूरसंचार सेवा BSNL की एक खरीद में सरकारी खजाने को करीब 300 करोड़ रुपए के नुकसान का मामला सामने आया है। द क्विंट की खबर के अनुसार बीएसएनएल और अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी सिस्को के बीच नेशनल इंटरनेट बैकबोन (एनआईबी) के बुनियादी ढांचे के विस्तार को लेकर समझौता हुआ था।
इसी योजना के तहत उपकरणों की खरीद में देश के सरकारी खजाने को करीब 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। फिलहाल भारतीय राजकोष को हुए नुकसान से जुड़े इस मामले की विभागीय जांच शुरू हो चुकी है।
ताज्जुब की बात है कि प्रधानमंत्री कार्यालय, सेंट्रल विजिलेंस कमीशन और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन को इस घोटाले की जानकारी मिल चुकी है। लेकिन सरकार की ओर से इस मामले में अभी तक जांच के आदेश नहीं दिए गए हैं।
आपको बता दें कि भारतीय दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने दिसंबर 2015 में एनआईबी इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने के लिए दिल्ली की एक कंपनी प्रेस्टो इंफोसॉल्यूशन को 95 करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया था। वहीं सिस्को पिछले 12 सालों से एनआईबी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है। प्रेस्टो इंफोसॉल्यूशन को राउटर्स की सप्लाई के लिए ऑर्डर दिया गया, जिसकी आपूर्ति पिछले पांच सालों से एचसीएल कर रहा है।
आश्चर्य की बात है कि BSNL की टीम ने राउटर्स की सप्लाई के लिए विप्रो, एचसीएल, डाइमेंसन डेटा और आईबीएम जैसे सिस्को के सर्टिफाइड चैनल पार्टनर्स की अनदेखी करते हुए महज 150 करोड़ का टर्नओवर करने वाली प्रेस्टो इंफोसॉल्यूशन को चुना। यह सीवीसी के दिशा-निर्देशों का सीधा-सीधा उल्लंघन है, सीवीसी के मुताबिक, किसी भी ऑर्डर की सप्लाई के लिए टेंडर बुलाया जाना चाहिए।
बीएसएनएल ने प्रेस्टो को ये ऑर्डर देते वक्त कंपनी की फाइनेंशियल स्थितियों पर भी ध्यान नहीं दिया। इतना ही नहीं बीएसएनएल ने यह ऑर्डर जारी करते वक्त प्राइस वेलिडेशन एक्सरसाइज भी नहीं की और प्रेस्टो को सीधे-सीधे ऑर्डर जारी कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, बीएसएनएल ने इस खरीद के पीछे "अरजेंसी" का तर्क दिया है।
प्रेस्टो इंफोसॉल्यूशन ने बीएसएनएल से परचेज ऑर्डर मिलने के बाद सिंगापुर की एक कंपनी इनग्राम माइक्रो (सिस्को का डिस्ट्रीब्यूटर) को 50 करोड़ का ऑर्डर दिया। साफ है कि प्रेस्टो ने इस खरीद में सीधे तौर पर 45 करोड़ का मुनाफा कमाया। दस्तावेजों और सूत्रों के मुताबिक, प्रेस्टो इंफोसॉल्यूशंस के पास बाहर से मंगाए गए इक्विपमेंट्स को इंस्टॉल करने की क्षमता भी नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक, 35 फीसदी इक्विपमेंट का इस्तेमाल ही नहीं किया गया, क्योंकि सिस्को ने उनकी लाइफ खत्म होने के बाद भी बीएसएनएल को इक्विपमेंट बेचे। इसके अलावा दूसरा घोटाला करीब 200 करोड़ रुपए का सामने आया है। बीएसएनएल ने पांच साल के लिए रखरखाव और अतिरिक्त हार्डवेयर खरीदने के लिए 200 करोड़ रुपए की डील की थी। इस डील में भी नियमों की अनदेखी की गई और मनमाने तरीके से टेंडर दे दिया गया।
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