Saturday, December 3, 2016

पॉली हाउस योजना बनी काला धन को सफेद करने वालों के लिए बनी वरदान


पॉली हाउस योजना के लिए चित्र परिणाम

अवधेश पुरोहित @ TOC NEWS


भोपाल । राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं यही नहीं किसानों के उत्थान के लिए प्रदेश सरकार ने अपने इन ११ वर्षों में ऐसी अनेक योजनाएं भी संचालित की, लेकिन इन्हीं योजनाओं में से एक प्रदेश में कुछ सालों से चल रही पॉली हाउस योजना का लाभ किसानों को भले ही नहीं मिल पा रहा हो लेकिन यह योजना प्रदेश के कालेधन के कारोबारियों के लिये वरदान साबित होती नजर आ रही है और यही वजह है कि राज्य में इन दिनों पॉली हाउस योजना का चलन काफी बढ़ गया है। 

इस योजना से जुड़े रायसेन और विदिशा के साथ-साथ सीहोर के किसानों ने जब हिन्द न्यूज ने संपर्क किया तो इस योजना में सरकारी दलालों के बिछे जाल के चलते जहाँ किसानों को गुणवत्ताविहीन पॉली हाउस दिलाकर उन्हें कर्जदार बनाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के काले कारोबार से जुड़े लोगों के लिए यह वरदान साबित होता नजर आ रहा है, राज्य के उन किसानों का जिन्होंने इस योजना के अंतर्गत अनार, फूल, खीरा और शिमला मिर्च जैसी पैदावार के लिए सरकार से इस योजना का लाभ उठाकर अपने खेतों में पॉली हाउस से जुड़े कृषि उत्पाद की खेती का कारोबार शुरू किया 

तो उन्हें उपयुक्त बाजार न मिलने की वजह से साल दर साल घाटे का सामना करना पड़ा और विदिशा जिले के गंजबासौदा के कई किसानों जिन्हें इस योजना के अंतर्गत शासन द्वारा कर्ज प्रदान किया गया था ओर साथ में सब्सिडी लेकिन वह सब्सिडी तो प्रदेश में सक्रिय इस योजना का लाभ दिलाने वाले दलालों ने उसका लाभ उठाकर उन किसानों को कर्जदार बनाने में सफलता प्राप्त कर ली लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें जब इस योजना से घाटा होता नजर आया तो उन्होंने अपने खेत में कई एकड़ों में लगे अनार और इस योजना के अंतर्गत पैदा की जाने वाली खेती को उखाड़कर फेंक दिया तो वहीं कर्ज से लदे इन किसानों ने अपनी कई एकड़ खेती भी इस योजना मेंं फंसकर बेचकर बैंकों के कर्जों से मुक्ति पाई, 

इस तरह की दास्तान सुनाने वाले इन जिलों के एक नहीं अनेकों किसान ऐसे मिले जो यह कहते नजर आए कि भैया दलालों और सरकारी अधिकारियों के कमीशन के फेर में आकर हमने यह योजना तो अपनाई लेकिन इसका लाभ हमें नहीं मिला उल्टे बैंक के कर्ज ने हमारी कमर तोड़कर रख दी और अंततत् परेशान होकर अपनी पाँच एकड़ जमीन बेचकर बैंक के कर्ज से मुक्ति पाई लेकिन वहीं इन जिलों में ऐसे कथित किसानों के बारे में भी चर्चा सुनने मेें आई जो इन पॉली हाउसों के माध्यम से खेती किसानी करने में लगे हुए हैं और अपनी उन्नति का दावा करते नजर आ रहे हैं, 

लेकिन जब इसकी हकीकत जाननी चाही तो इस तरह का खुलासा होने में भी देर नहीं लगी कि जो लोग अपने पॉली हाउसों में चंद एकड़ों में लाखों रुपए के फूल और लाखों रुपए की ककड़ी या टमाटर के उत्पादन होने का दावा करते हैं वह दावे केवल हवा हवाई हैं और जो कथित किसान इस तरह के दावे करते नजर आते हैं उनके पीछे वह लोग सक्रिय हैं जो अपना कालाधन इन पॉली हाउस लगाने के बाद खेती किसानी के कथित उत्पादनों के माध्यम से अपना काला धन सफेद करने में लगे हुए हैं ऐसे ही लोगों के दावों से आकर्षित होकर हमारे किसान कर्ज के बोझ लदे हुए हैं और जब इस तरह की कर्ज से वह परेशान हो जाते हैं 

तो अंतत: मौत को गले लगाने के सिवाए उनके पास कोई चारा नहीं रहता, राज्य के अकेले विदिशा, सीहोर या रायसेन ही ऐसे जिले नहीं हैें जहाँ अपने काले धन को सफेद करने का माध्यम काले कारोबारियों ने खेती किसानी के साथ-साथ पॉली हाउस को न बनाया हो तो वहीं इन जिलों में इस तरह के कथित किसानों की भी वह कलाकारी भी सामने आई जो एक ओर सरकार से कभी अति जलवृष्टि तो कभी सूखा आदि के नाम पर मुआवजा तो लेते ही हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर आयकर विभाग को दिये जाने वाले रिटर्न में अपनी कमाई का ब्यौरा जो उन्हीं वर्षों का देते हैं तो उसमें लाखों रुपए की मूंग और उड़द होने का भी वह आयकर के पत्रकों में भरने से नहीं हिचकते हैं, प्रदेश में सक्रिय इस तरह के खेती किसानी के नाम पर इस गोरखधंधे में ऐसे ही काली कमाई के कारोबारी अपना धन सफेद करने में लगे हुए हैं और इन्हीं कारोबारियों के खेती किसानी के बड़े-बड़े दावों में फंसकर प्रदेश का किसान कर्ज के फेर में फंसता जा रहा है 

और अंतत: उनके सामने मौत को गले लगाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता और फिर जब विधानसभा में विधायकों द्वारा जब सरकार से इन किसानों की हुई मौतों के बारे में जानकारी मांगी जाती है तो राज्य में सक्रिय किसानों को सरकारी योजनाओं के झांसे में फंसाकर कर्जदार बनाने वाले इन दलालों और प्रशासन में बैठे अधिकारियों की भूमिका बड़ी ही विचित्र होती है और वह जिन किसानों को अपने इस कमीशन के फेर में फंसाने वाले यह अधिकारी विधानसभा में कर्ज से परेशान मौत को गले लगाने वाले किसानों के बारे में जो भ्रामक जनकारी देकर सरकारी योजनाओं में चल रही दलाली को छुपाने के लिये यह किसानों को शराब का आदि होना, घरेलू झगड़ा होना बताते हैं। 

यह सरकारी योजनाओं में सक्रिय दलाल और कमीशन के फेर में प्रशासन में बैठे अधिकारी इस राज्य के अन्नदाताओं को नामर्द करार देने से भी नहीं चूकते हैं, कुल मिलाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस सपने को इस तरह के सरकारी योजनाओं में सक्रिय दलाल और प्रशासन में कमीशन के फेर में अपना गोरखधंधा चलाने वाले प्रशासनिक अधिकारी मुख्यमंत्री की इस प्रदेश के अन्नदाताओं की खेती को लाभ का धंधा बनाने की योजना को पलीता लगाने में लगी हुई है, एक कृषि विशेषज्ञ के अनुसार प्रदेश में इस समय सरकारी योजनाओं में चाहे पॉली हाउस हो या ड्रिप स्पिं्रकलर सिस्टम या फिर किसानों को ट्रैक्टर सहित तमाम योजनाओं में किसानों को बैंकों से कर्ज दिलाने के लिये सक्रिय यह रैकेट पता नहीं इस प्रदेश के किसानों को कर्हा और किस ओर ले जाएगा यह तो भविष्य बताएगा 

लेकिन प्रदेश में इस तरह के सक्रिय दलालों और कृषि विभाग में बैठे अधिकारियों के गोरखधंधे के चलते राज्य का किसान इनके झाँसे में आकर कर्जदार तो होता ही जा रही है तो वहीं राज्य में किसानों की जमीनों की बिक्री में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है और इन किसानों की जमीनें खरीदने में जहाँ काले कारोाबर से जुड़े कारोबारियों के साथ-साथ राजनेता और प्रदेश की सत्ता पर बैठे सत्ताधीशों के परिजन भी दिन-रात ऐसे किसानों की जमीन खरीदने में लगे हुए हैं, यही वजह है कि जिस धरती पर फसलें लहलहाया करती थीं आज वहाँ बिल्डरों की कालोनियां खड़ी दिखाई दे रही हैं, राज्य में सक्रिय किसनों की खेती को चौपट करने में ऐसा लगता है कि इसका एक रैकेट सक्रिय है जो किसानों की खेती को लाभ का कारोबार न बनाने की जगह उन्हें बर्बादी की ओर ढकेलने में लगा हुआ है।

 


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