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नई दिल्ली: ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 500 रुपए और 1000 रुपए के अमान्य करार दिए गए लगभग सभी नोट बैंकों में वापस आ चुके हैं. इसका मतलब यह हुआ कि विमुद्रीकरण के जरिए कालेधन की धरपकड़ और इसे समाप्त कर देने की सरकार की कोशिश फेल हो चुकी है. जब वित्त मंत्री अरुण जेटली से इस अनुमान के सही होने के बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा- मैं नहीं जानता. पीएम नरेंद्र मोदी 8 नवंबर 2016 को 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों को बैन करने का ऐलान किया था. उन्होंने इन नोटों को बैंकों और पोस्ट ऑफिसों में जमा करवाने और एक्सचेंज करने की आखिरी तारीख 30 दिसंबर तय की थी.
अमान्य करार दिए गए कुल 86 फीसदी यानी 15.5 लाख करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे. नोटों को जमा करवाने की आखिरी तारीख नजदीक आने के बीच ब्लूमबर्ग को सूत्रों ने बताया था कि बैंकों में 15 लाख करोड़ रुपए डिपॉजिट हो चुके हैं. अब तक न तो सरकार ने और न ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आधिकारिक तौर पर यह खुलासा किया है कि कितने पैसे सिस्टम में वापस आ चुके हैं. 14 दिसंबर को आरबीआई ने कहा था कि करीब 12.5 लाख करोड़ रुपए डिपॉजिट हो चुके हैं. . विमुद्रीकरण संबंधी डेडलाइन वाले दिन, आरबीआई ने बैंकों से कहा था कि वह 500 और 1000 रुपए के कुल जमा नोटों की रिपोर्ट जल्द से जल्द सौंपे.
वहीं वित्त मंत्रालय ने कहा था कि उसने डबल काउंटिंग से बचने के लिए फिर से गिनती करने के लिए कहा है. हालांकि पीएम मोदी की विशेषज्ञों और जनता द्वारा करचोरी और भ्रष्टाचार समाप्त करने की नीयत को लेकर प्रशंसा की गई थी. जबकि नकदी संकट के चलते आम लोगों को आ रही परेशानी को लेकर विपक्ष ने पीएम पर यह कहकर निशाना साधा था कि इस कदम से भ्रष्ट अमीर को नहीं बल्कि आम आदमी को दिक्कत उठानी पड़ी है.
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