Monday, July 24, 2017

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में मंत्रियों, अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का रैकेट सक्रिय, चर्चाओं में

SHIVRAJ के लिए चित्र परिणाम
TOC NEWS // अवधेश पुरोहित

भोपाल । जिस प्रदेश की सत्ता के मुखिया की धर्मपत्नी द्वारा अपने पति के सत्ता की शपथ लेने के कुछ ही दिनों बाद ही अपनी पहचान छुपाकर डम्पर खरीदने की घटना को अंजाम दिया गया हो इस घटना के बाद इस शिवराज सरकार की शासन की स्थिति ‘पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं की स्थिति बनी हो, क्या इस तरह की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह के द्वारा खरीदे गये डम्पर के बाद राज्य की जनता में और प्रशासनिक हल्कों में बैठे अधिकारियों में किस प्रकार का संदेश गया होगा,

इसकी यदि व्याख्या की जाए तो स्पष्ट नजर आता है कि जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राजनीति में दरिद्र नारायण की सेवा करने के लिये आये हों उनकी दरिद्र नारायण की सेवा क रने संकल्प लेकर सेवा में आये हों उसके नजारे तो राज्य की जनता और भाजपा के नेताओं ने शिवराज सरकार के १२ वर्षों के कार्यकाल के दौरान घटित घटनाओं से ही पता चल गया होगा कि वह किस प्रकार से दरिद्र नारायण की सेवा का व्रत लेकर सत्ता में आये और इस दौरान उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कितने दरिद्र नारायणों की सेवा की यह जांच और शोध का विषय है।
यदि शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल के शुरूआत से लेकर आज तक उनके शासन की कार्यप्रणाली पर नजर डाली जाए तो शायद ही ऐसा वर्ष या छमाही बची जिसके दौरान कोई न कोई घोटाला इस प्रदेश में न गूंजा हो चाहे फिर वह व्यापमं का मामला हो जिसके चलते हजारों छात्रों के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया हो और उस व्यापमं की मामले की गूंज आज भी यदाकदा सुनाई देती है तो वहीं किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने का शिवराज सिंह चौहान का ढिंढोरा भले ही किसानों की खेती को लाभ का धंधा न बना पाया हो
लेकिन रेत का धंधा प्रदेश सरकार के संरक्षण में इस तरह से चमका कि जिन ठेकेदारों ने इस प्रदेश की जीवन दायिनी नर्मदा से लेकर राज्य का शायद ही कोई कस्बा ऐसा बचा हो जहां यह रेत का धंधा जोरों से चल रहा हो और इन रेत के ठेकेदारों ने प्रदेश की नदियों से इतनी रेत निकाल ली कि अब उसमें मिट्टी ही नजर आ रही है लेकिन करोड़ों रुपये कमाने वाले इन ठेकेदारों पर जब सरकार द्वारा मुद्रांक में हुई गड़बड़ी को लेकर नोटिस जारी किया तो अब उनका ढूंढे से पता ही नहीं मिल पा रहा हो इस तरह की शासन की कार्यप्रणाली के चलते शिवराज सिंह के १२ वर्ष पूर्ण हुए लेकिन प्रदेश में भ्रष्टाचारियों को बक्शा ना जाएगा।
इस तरह के शब्दों को भी राज्य की जनता में मुख्यमंत्री के श्रीमुख से खूब सुना लेकिन इसके बावजूद भी इस प्रदेश में भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ बल्कि भ्रष्टाचार के रूप में ली जाने वाली रकम जरूर कई गुना बढ़ गई तभी तो सतना नगर निगम के आयुक्त पचास लाख रुपये की रिश्वत लेत हुए धराए गए, मजे की बात यह है कि इन्हीं नगर निगम आयुक्त का शिवराज के करकमलों द्वारा सिंहस्थ में अच्छे काम के लिये सम्मान भी किया गया था तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिंहस्थ के दौरान उन्होंने क्या-क्या गुल खिलाए होंगे। यह सब घटनाएं इस बात की साक्षी हैं कि शिवराज सरकार की कार्यशैली किस प्रकार की रही,
मजे की बात यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जैसे-जैसे अधिकारियों पर भ्रष्टाचार में सख्ती बरतने का दिखावा किया वैसे-वैसे इस राज्य में भ्रष्टाचार की गंगोत्री अविरल बहती रही, आज स्थिति यह है कि उनके मंत्रीमण्डल के सदस्य अपने विभाग के प्रमुख की पदस्थापना को लेकर दो करोड़ का लेनेदेन करने अपने पीएम के माध्यम से लेने में नहीं चूकते हैं। इन दिनों राजधानी में जहां मुख्यमंत्री के कलेक्टरों को उल्टा टांगने के बयान को लेकर लोग जहां चटकारे लेकर चर्चा करते नजर आ रहे हैं
तो वहीं उनके ही मंत्रीमण्डल के एक मंत्री, पीए और हाल ही में हुए एक विभाग के विभाग प्रमुख के द्वारा तबादला के नाम पर किये गये कारनामे को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं उक्त मंत्री के बंगले से लेकर उनके विभाग तक और विभाग से लेकर वल्लभ भवन के गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। मजे की बात यह है कि उक्त मंत्री, पीए और विभाग प्रमुख के इस रैकेट के चलते जो खेल इस विभाग में तबादलों को लेकर किया गया
उसमें काफी लेनदेन की चर्चाएं जोरों पर हैं और इस लेनदेन को लेकर उक्त मंत्री के निवास में पदस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों में एक जंग सी छिड़ गई और यही नहीं उक्त मंत्री के निवास में पदस्थ कुछ अधिकारियों ने तो मंत्री के समक्ष एक नोटशीट पेश कर उनकी वापसी की मांग की है, सूत्रों पर यदि विश्वास करें तो एक-दो अधिकारियों की वापसी की नोटशीट पर मंत्री ने तो दस्तखत कर दिये हैं बाकी कुछ ओर की वापसी की नोटशीट पर एक-दो दिन में दस्तखत हो जाने की चर्चा है
इसके साथ ही मंत्री और पीए के भजकलदारम् की नीति की चर्चा काफी दिनों से चल रही है जिसके चलते मंत्री के विभाग के कई कर्मचारियों के बीच इस बात को लेकर जंग जारी है कि मंत्री का उक्त चहेता पीए बिना भजकलदारम् के कोई काम नहीं करता फिर चाहे वो विभाग प्रमुख की पदस्थापना का मामला हो या फिर स्थानान्तरण का यही नहीं उक्त पीए की भजकलदारम् के प्रति इतना भक्त है कि पिछले दिनों मंत्री के परिजनों के साथ एक दुर्घटना में एक वाहन चालक की मौत हो गई थी और मंत्री द्वारा उक्त वाहन चालक के परिजनों को जो राशि पहुंचाई गई उसमें भी कटौती करने को लेकर मंत्री का पीए चर्चाओं में है,
मजे की बात यह है कि जहां एक ओर मंत्री का यह पीए अपनी भजकलदारम् की नीति के कारण मंत्री उसे अपनी दुधारू गाय मानकर चल रहे हैं तो वहीं मंत्री का स्टाफ और मंत्री के परिजन उक्त पीए के कारनमों से इतने परेशान हैं कि उन्हें वह फूटी आंख नहीं सुहाते क्योंकि मंत्री के परिजनों को यह डर है कि कहीं यह भांडा नहीं फूट जाए और मंत्री को बदनामी का दंश झेलना पड़े और वर्षों से उनकी त्याग, तपस्या और स्वच्छ राजनीति वाली छवि को बट्टा न लग जाए। 
जिस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में मंत्रियों, अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का रैकेट सक्रिय था जो हर सरकारी योजनाओं में डाका डालने का काम करने में लगा था अब उन्हीं मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान मंत्री, पीए और विभाग प्रमुख का यह रैकेट चर्चाओं में हैं। देखना अब यह है कि जो मुख्यमंत्री अपने श्रीमुख से भ्रष्टाचारियों को बक्शा नहीं जाएगा जैसे बयान देकर प्रदेश की जनता को बहलाने की बात करते हैं, अब क्या वह उनके राज्य में पीए, मंत्री और विभाग प्रमुख के खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं, यह तो आनेवाला भविष्य ही बताएगा?

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