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नई दिल्ली। भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड लूईस माउंटबेटन की पुत्री पामेला ने कई वर्षों से उठ रहे सवालों का खुलासा करते हुए कहा है कि जवाहरलाल नेहरू और मेरी मां एडविना माउंटबेटन एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे लेकिन उन दोनों का संबंध कभी जिस्मानी नहीं रहा।
पामेला ने अपनी एक किताब में लिखा है कि उनकी मां औऱ नेहरू के बीच का रिश्ता आत्मा और भावनाओं का था ना कि शारीरिक संबंधों का।
पामेला ने अपनी एक किताब में लिखा है कि उनकी मां औऱ नेहरू के बीच का रिश्ता आत्मा और भावनाओं का था ना कि शारीरिक संबंधों का।
इसलिए दोनों के बीच में कभी भी कोई सेक्सुअल रिलेशनशिप नहीं हुए यही बहुत बड़ा कारण था जिसके कारण मेरे पिता लॉर्ड माउंटबेटन ने मेरी मां औऱ नेहरू के रिश्ते पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। पामेला के मुताबिक उनकी मां, नेहरू के बौद्धिक स्तर से काफी प्रभावित थीं, उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थीं इसलिए वो उनसे बेइंतेहा मोहब्बत करती थी।
डॉटर ऑफ एंपायर : लाइफ एज ए माउंटबेटन नामक अपनी पुस्तक में बेटी पामेला ने लिखा है कि मेरी मां और नेहरूजी के पास शारीरिक संबंधों के लिए समय नहीं था, दोनों अकेले में कम ही होते थे। काम के दबाव के चलते दोनों हमेशा कर्मचारियों, पुलिस और दूसरे लोगों से घिरे होते थे।
ब्रिटेन में पहली बार 2012 में प्रकाशित इस पुस्तक को हशेत पेपरबैक की शक्ल में भारत लेकर आया है। लॉर्ड माउंटबेटन के एडीसी फ्रेडी बर्नबाई एत्किन्स ने बाद में पामेला को बताया था कि नेहरू और उनकी मां का जीवन इतना सार्वजनिक था कि दोनों के लिए यौन संबंध रखना संभव ही नहीं था।
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