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नई दिल्ली। बिहार में नीतीश के इस्तीफे से लेकर उनके दोबारा शपथ ग्रहण करने तक जिस तरह का भूचाल बिहार की राजनीति में मचा है। उसने बिहार की सत्ता का रूप ही बदल डाला है। नीतीश के इस फैसले ने न सिर्फ लालू प्रसाद यादव को झटका दिया है बल्कि उनकी पार्टी को भी तोड़कर रख दिया है।
लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में बगावत हो गई है। इसके 13 विधायकों ने अलग गुट बना लिया है। बागी विधायकों में कुछ तीन यादव और पांच मुस्लिम विधायक हैं।
बता दें कि बिहार में लालू के लिए अपनी पार्टी को बचाना मुश्किल हो गया है। क्योंकि नीतीश की इस हरकत से लालू के विधायक भी अब लालू का साथ छोड़ना चाहते हैं। नीतीश के फैसले के बाद जिस तरह लालू की पार्टी में फूट पड़ी है उसे देखते हुए तो यही लगता है कि लालू की पार्टी में कुछ विधायक नीतीश की वजह से रूके हुए थे। नीतीश के गठबंधन ने मजबूरन विधायकों को लालू की पार्टी से जोड़कर रखा हुआ था।
नीतीश के गठबंधन तोड़ते ही मानो उनको मौका मिल गया हो कि वो लालू का साथ छोड़ दें। जैसे ही नीतीश ने गठबंधन तोड़कर इस्तीफा दिया और अगले दिन ही दिन दोबारा शपत ग्रहण की उससे लालू की पार्टी में फूट पड़ने का तो एक ही मतलब निकलता है कि जिन विधायकों ने लालू की पार्टी छोड़ी है वो पहले से ही मन बनाए हुए थे कि नीतीश के गठबंधन तोड़ते ही वो भी लालू का साथ छोड़ देंगे।
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