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रीवा। हैदराबाद की एचईएस मेंटेना इन्फ्रा लिमिटेड द्वारा सबलेटर, सप्लायर, पेट्रेाल पम्प एवं मशीनरी मुहैया कराने वालों का करीब ४० करोड़ रुपए हड़प लिया। जल संसाधन विभाग की फजीहत का सबब बन चुकी यह कम्पनी फिलहाल भूमिगत हो गई है। इसके टेण्डर पर काम करने वाले पेटी कान्ट्रेक्टर, सप्लायर आदि की नींद उड़ गई है। यही नहीं सीधी जिले में करोड़ों रुपए का चूना लगाकर रफू चक्कर हो चुकी कंपनी के अस्थायी ठिकानों पर ताला जड़ दिया गया है।
जल संसाधन विभाग द्वारा कम्पनी को दिए गए टेण्डर वाइंडअप किए जाने की प्रक्रिया शुरू होने का खुलासा होने के बाद कम्पनी के लिए काम करने वाले तमाम सबलेटर और सीमेंट, पेट्रोल डीलरों में अफरा तफरी मच गई है। आलम यह है कि शांति विहार और निर्मल सिटी में कम्पनी के प्रबंधकों के लिए बने अस्थाई ठिकानों के चक्कर काटने पेटी कान्ट्रेक्टर मजबूर हो गए हैं। यही नहीं अब तक आधा दर्जन ठेकेदार जल संसाधन विभाग के गंगा कछार दफ्तर तक पहुंच चुके। हालांकि विभाग ने करोड़ों रुपए गंवा चुके इन ठेकेदारों की किसी भी प्रकार की मदद करने से इंकार कर दिया है। लेकिन सैंड़कों की तादाद में फंसे लोग अब भी दफ्तर के चक्कर लगाते हैं।
राजनैतिक संरक्षण और तत्कालीन प्रमुख सचिव जल संसाधन राधेश्याम जुलानिया की वरदहस्त प्राप्त एचईएस मेंटेना द्वारा रीवा, सीधी और सतना के सैंकड़ों की तादाद में छोटे ठेकेदार निशाना बन गए। कंपनी प्रबंधन ने ७०३ करोड़ का प्रोजेक्ट अकेल रीवा जिले में टेण्डर के जरिये हासिल किया था। टर्नकी पद्धति से नहर, टनल, माइनर आदि बनाने के सभी काम आधे-अधूरे छोड़कर कम्पनी पलायन के दरवाजे पर खड़ी है। सूत्रों की मानें तो कंपनी ने पेटी कान्ट्रेक्टर पर किसी से नहर खुदवाई, किसी से एक्वाडक्ट बनवाया और किसी को मिट्टी फिलिंग का काम दिया था।
जिनके पैसे हड़प लिए गए गौर करने वाली बात यह है कि प्रोजेक्ट प्रबंधक अरुण राजू लगातार अपना मोबाइल नंबर और ठिकाना बदल रहे हैं। जिसके चलते लाखों रुपए फंसा चुके छोटे-छोटे ठेकेदार दिवालिया हो गए हैँ। एचईएस मेंटेना ने केवल पेटी कान्ट्रेक्टर्स (सबलेट) को ही चूना नहीं लगाया, उसने पेट्रोल पम्प संचालकों को भी लम्बी चपत लगाई है। सीधी के अलावा रीवा में कर्चुली फिलिंग स्टेशन रायपुर कर्चुलियान, आलोपन माता, किसान सेवा केन्द्र सोहागी, किसान सेवा केन्द्र अतरैला, किसान सेवा केन्द्र जवा के संचालकों का भी डीजल एवं पेट्रोल का कई लाख रुपए हड़प लिया है।
अकेली आलोपन माता किसान सेवा केन्द्र का २३ लाख रुपए का भुगतान फंसा हुआ है। इस दौरान कंपनी प्रबंधन ने दो दर्जन से अधिक सबलेटर्स और पेट्रेाल पम्प मालिकों को भुगतान के रूप में चेक दिया था। जिसमें से छोटे-छोटे चेक भी बाउंस हो गए हैं। अकेले अलोपन माता किसान सेवा केन्द्र सोहागी के चार बार चेक बाउंस हो चुके हैं। पेट्रोल पंप मालिक कौशलेश द्विवेदी ने बताया कि बकाया भुगतान चेक से किया गया था और चार बार कंपनी के चेक बाउंस हो चुके हैं। विडम्बना की बात यह है कि उधारी चुकाने की मंशा से कम्पनी द्वारा दिए गए चेक अभी कोर्ट में नहीं लगाए गए हैं।
सीधी जिले के पेटी कान्ट्रेक्टर प्रफुल्ल पाण्डेय ने विंध्य विहार कलोनी के मेँटेना के दफ्तर में ताला जड़ दिया है। प्रबंधन लगाकार लुकाछिपी का खेल खेल रहा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि प्रोजेक्ट मैनेजर अरुण राजू लोगों से मुलाकात होने पर भुगतान करने की बात कर रहे हैं। कुछ लोगों को फिर से चेक दिए गए हैं। लेकिन उनके कार्यालय से जारी चेक क्लियर नहीं हो पाए, जिससे पेटी ठेकेदारों, पेट्रोल पंप संचालक, सीमेंट सप्लायर आदि सहमे हुए हैंा। दु:खद पहलू यह है कि जितना काम हुआ है, उतना जल संसाधन विभाग से कंपनी ने भुगतान हासिल कर लिया है।
जिसके चलते संबंधित विभाग सबलेटर्स और सप्लायर की कोई मदद नहीं कर पा रहा है। किराए पर गाडिय़ां और जेसबी, चैन माउंटेन मशीन मेंटेना को देने वाले लोग भी शिकार हुए हैं। इनकी मशीनरी और भाड़े की गाडिय़ों का कई करोड़ रुपए फंस गया है। मशीनरी मुहैया कराने वाले कम्पनी प्रबंधन के साथ-साथ कम्पनी मालिक की खेाज में लगे हैं। एचईएस मेंटेना प्रबंधन ने साइड में हुए काम का बिल लगाकर जल संसाधन विभाग से करीब दो सौ करोड़ रुपए का भुगतान भी हासिल कर लिया है। बावजूद इसके सबलेटेर, मशीन, सीमेंट एवं मिट्टी फिलिंग का काम करने वाले, पेटी कान्ट्रेक्टर आदि के ४० करोड़ रुपए डूब गए हैं।
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