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पटना। नीतीश कुमार कल भी बिहार के मुख्यमंत्री थे नीतीश कुमार आज भी बिहार के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन एक चीज जो बदली है वह है उनके बगल वाली कुर्सी का किरदार। उस कुर्सी ने ही बिहार की सरकार का रंग बदल दिया है। पहले उस कुर्सी में तेजस्वी यादव थे जिनपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को ही वजह बताकर नीतीश ने महागठबंधन तोड़कर इस्तीफा दे दिया था। लेकिन जब नीतीश कुमार ने एक बार फिर सरकार बनाई तो अब उसी कुर्सी का रंग बदल चुका है। वह भगवा हो गई है और उसमें जो किरदार आया है उसका नाम है सुशील कुमार मोदी।
खास बातें-
नीतीश कुमार ने अपनी बगल की कुर्सी में बैठने वाले तेजस्वी यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद नैतिकता की बात कहते हुए इस्तीफा दिया। दरअसल पिछले 16 मई को आयकर विभाग ने लालू प्रसाद यादव और उनसे जुड़े लोगों के 22 ठिकानों पर छापा मारा था। इसमें तेजस्वी के नाम पर हुई संपत्तियों की लेन देन की भी जांच हुई थी।
नीतीश कुमार की बगल की कुर्सी में आज बैठने वाले सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि पटना में जहां लालू परिवार का मॉल बन रहा है, वह जमीन पार्टी नेता प्रेमचंद गुप्ता ने लालू के बेटों के नाम की है। प्रेम गुप्ता की कंपनी के पास इस मॉल का मालिकाना हक था और बाद में उसने इसे लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटों तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव के नाम कर दिया गया। अब लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप यादव, बेटी मीसा और उनके पति शैलेश लगभग 1000 करोड़ की बेनामी संपत्ति के मामले में घिरे हैं।
जिनके पैसे हड़प लिए गए गौर करने वाली बात यह है कि प्रोजेक्ट प्रबंधक अरुण राजू लगातार अपना मोबाइल नंबर और ठिकाना बदल रहे हैं। जिसके चलते लाखों रुपए फंसा चुके छोटे-छोटे ठेकेदार दिवालिया हो गए हैँ। एचईएस मेंटेना ने केवल पेटी २३ लाख रुपए का भुगतान फंसा हुआ है। इस दौपंप मालिक कौशलेश द्विवेदी ने बताया कि बकाया भुगतान चेक से किया गया था और चार बार कंपनी के चेक बाउंस हो चुके हैं। विडम्बना की बात यह है कि उधारी चुकाने की मंशा से कम्पनी द्वारा दिए गए चेक अभी कोर्ट में नहीं लगाए गए हैं।
लेकिन उस कुर्सी पर वर्तमान में बैठे सुशील कुमार पर भी काफी बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। साल 2010 में जब नीतीश कुमार एनडीए की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उस समय तब के उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी पर धोखाधड़ी से निकासी और भ्रष्टाचार के अनियमितताओं को लेकर 11,412 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप लगा था। इस आरोप में मुख्यमंत्री समेत 47 लोगों का नाम था।
साल 2010 में शिकायतकर्ता मोहन कुमार ने नीतीश कुमार और सुशील मोदी समेत 45 नेताओं को वेलफेयर स्कीन के पैसे हड़पने का आरोपी बनाया था। मोहन कुमार ने शिकायत में आरोप लगाया था कि मनरेगा, वाटर रिसोर्स, ह्यूमन रिसोर्स, हेल्थ डिपार्टमेंट, सिंचाई विभाग, रोड डिपार्टमेंट, वित्त विभाग इन सभी विभागों में घोटाले वर्ष 2002 से लेकर 2008 के बीच किए गए थे। घोटाले में मुख्य रुप से चीफ मिनिस्टर रहे नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम रहे सुशील मोदी को आरोपी बनाया गया था।
इस मामले की स्पेशल विजिलेंस कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। सुशील मोदी नीतीश के साथ पिछले एनडीए सरकार में भी डिप्टी सीएम थे और अब फिर वे इस पद पर लौट रहे हैं। लेकिन जिस भ्रष्टाचार को लेकर नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए और बीजेपी में शामिल हुए। उस भ्रष्टाचार की कुर्सी उनके साथ रखी हुई है जबकि उसकी कुर्सी के भ्रष्टाचार का वजन भी बढ़ गया है।
(संपादन- भवेंद्र प्रकाश)
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