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अवधेश पुरोहित
भोपाल। शिवराज मंत्रीमण्डल के सूर्यप्रकाश मीणा उन मंत्रियों में से हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रीमण्डल में काबिज होने के कुछ ही दिनों बाद उनकी धर्मपत्नी श्रीमती साधनासिंह चौहान द्वारा जो अपनी पहचान छुपाकर डम्पर खरीदने का काम किया था उस डम्पर खरीदी मामले में सूर्यप्रकाश मीणा का भी नाम आया था?
क्योंकि उन्होंने जिस बैंक से लोन लेकर श्रीमती साधना सिंह चौहान ने डम्पर खरीदे थे उसमें जो मार्जिन मनी के लिये जमीन बैंक द्वारा बंधक बनाई गई थी वह जमीन सूर्यप्रकाश मीणा की थी, शायद यही वजह है कि सूर्यप्रकाश मीणा को शिवराज मंत्रीमण्डल में स्थान दिया गया और वह अपने तरीके से अपना विभाग चला रहे हैं।
पिछले दिनों एक निजी चैनल एबीपी के द्वारा सूर्यप्रकाश मीणा के किसानों के नाम पर उनके पुत्र देवेश मीणा और भतीजे कृष्णा मीणा द्वारा किसानों के नाम पर नीदरलैण्ड की सैर की गई थी। हालांकि जैसा राजनेता का अपने बचाव में बयान आता है, कुछ वैसा ही बयान सूर्यप्रकाश मीणा ने भी इस मामले में तूल पकडऩे के बाद दे डाला और उन्होंने कहा कि क्या मंत्री का बेटा होना गुना है, उनका बेटा खुद एक किसान है और इसी हैसियत से वह उन्नत खेती के प्रशिक्षण के लिये किसानों के साथ विदेश गया था।
मीणा के इस बयान के बाद निजी चैनल के रिपेार्टर ने जब जमीनी स्तर पर खोजबीन की तो पाया कि मीणा द्वारा जिस जमीन को मंत्री द्वारा अपने पुत्र की जमीन बताई जा रही है उस पाँच एकड़ जमीन पर कुछ खेती नहीं होती बल्कि वह बंजर पड़ी हुई है इससे सवाल यह उठता है कि क्या सच में मीणा के बेटे के पास जमीन है और वह किसानों के साथ-साथ विदेश की सैर करने के बाद उसने वहां खेती-किसानी की क्या शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद लौटकर उसने अपनी खेती में कौनसी फसल लगाई उसका हिसाब-किताब सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
मंत्री जी के इस कथन पर कि क्या मंत्री का बेटा होना गुनाह है इस पर विदिशा और राजधानी से जुड़े तमाम राजनीतक नेताओं का यह भी कहना है कि किसान का बेटा होना कोई गुनाह नहीं है लेकिन किसानों के नाम पर सैर सपाटे करना शायद मंत्रीजी के शब्दकोष में गुनाह न हो लेकिन इस तरह का कारोबार राज्य में धड़ल्ले से चल रहा है और भाजपा सरकार में ऐसे एक नहीं अनेकों भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मंत्रियों के बेटे और भाजपा के नेताओं ने किसानों के नाम पर विदेशों के सैर-सपाटे किए उसके क्या परिणाम मिले, क्या विदेश से लौटने के बाद उनकी खेती किसानी में कुछ इजाफा हुआ,
हालांकि मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे और भतीजे का मामला कुछ अलग है और इस सम्पूर्ण मामले का खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ, बताया जाता है कि मंत्री पुत्र और भतीजे की विदेश यात्रा पर सरकारी खजाने से ढाई लाख रुपये खर्च किये गये, सरकारी योजना के तहत पिछले साल प्रगतिशील किसानों की फसल की विदेशी तकनीकी की जानकारी लेने के लिये विदेश भेजा गया था, यह यात्रा दो नवम्बर से लेकर सात नवम्बर तक की रही, यात्रा में किसानों के साथ मंत्री सूयप्रकाश मीणा के पुत्र देवेश और भतीजा कृष्णा भी गये थे, उनके अलावा दल में विदिशा से ही मंत्री के दो और करीबी गंभीर सिंह और महेन्द्र सिंह भी गये थे जिन्होंने विदेश यात्रा की थी।
इस सूची में अफसरों के अलावा विदिशा, बैतूल, होशंगाबाद, देवास, उज्जैन, खरगोन, इंदौर, जबलपुर, रतलाम, धार, रायसेन के किसान भी शामिल हुए थे। विचारमंच के अक्षय हुंका का आरोप है कि एक तरफ तो प्रदेश के किसान कर्ज और फसल बर्बादी से जान दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ मंत्री अपने पद का दुरुपयोग कर परिवार और रिश्तेदारों को लाभ दिला रहे हैं। यह विदेश यात्रा फूलों की खेती उन्नत तकनीक सीखने के लिये की गई थी, विभाग ने जिनका चयन किया उन्हें दस्तावेजों में किसान दिखाया।
मंत्री पुत्र देवेश के रिकार्ड में तो खेती का कालम खाली है, जबकि उनके भतीजे कृष्णा को गेहूं-सोयाबीन का किसान बताया गया, इस हिसाब से मंत्री व भतीजा सरकारी योजना के पात्र नहीं हैं लेकिन मध्यप्रदेश सरकार की सरकारी योजनाओं के बारे में यदि कुछ कहा जाए तो बुंदेलखण्ड के दतिया जिले के हास्य कवि चतरेश की एक कविता की चंद लाइनें इस सरकार की कार्यप्रणाली पर सटीक बैठती हैं कि ‘अंधियारी रात घर का परसैया और खीर भरी करहईया, दतिया के हास्य कवि चतरेश की चंद लाइनें इस सरकार की सरकारी योजनाओं की स्थिति को सटीक दर्शाती हैं,
इस हास्य कविता की चंद लाइनों की तरह इस सरकार की स्थिति है कि इस सरकार में जिसको जहां मौका मिल रहा है वह अपनों का फायदा दिलाने के लिये हमेशा तत्पर दिखाई देता है। इसी क्रम में जिस उद्यानिकी विभाग से प्रदेश के किसानों को उन्नत खेती के लिये प्रशिक्षण के लिये कराई गई नीदरलैण्ड की यात्रा में मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा के बेटे और भतीजे शामिल थे और इन्होंने किसानों के नाम पर भतीजे ने नीदरलैण्ड की यात्रा की है, इस यात्रा को लेकर अब बवाल मचा हुआ है,
मजे की बात यह है कि जिस उद्यानिकी विभाग के द्वारा प्रदेश में हर साल फसलों को बढ़ावा देने के लिए उन्नत किसानों को विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है। इसी के तहत पिछले वर्ष नवम्बर में २० किसानों का टूर नीदरलैंड भेजा गया था। इसमें प्रदेश भर के २० किसान शामिल थे। जिनमें उद्यानिकी मंत्री मीणा के पुत्र देवेश मीणा और भतीजे कृष्णा मीणा को भी शामिल किया गया। पाँच दिनों से इस टूर के लिए सरकारी तौर पर इन किसानों से ४० से ४२ हजार रुपए लिए गए थे।
शेष करीब डेढ़ लाख रुपए की राशि राज्य सरकार ने वहन की। इस मामले में उद्यानिकी मंत्री मीणा का कहना है कि टूर के लिए आवेदन प्रक्रिया उनके मंत्री बनने से पहले चल रही थी। इसी के चलते उनके बेटे और भतीजे ने आवेदन दिया था। जिस पर डायरेक्ट्रेट ने मंजूरी दी थी। उनका कहना था कि इस टूर में सिर्फ उनके रिश्तेदार ही नहीं बल्कि प्रदेश भर के २० किसान भी शामिल थे। मीणा ने यह भी कहा था कि वे खुद एक उन्नतशील कृषक हैं। उनके खेत पर पारंपरिक फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों को भी खेती होती है। जिसे कोई भी आकर उनके गृह ग्राम दयानंदपुर में देख सकता है।
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