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छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में एसएसबी के 33वीं बटालियन के जवान चंद्रभान कुमार ने गर्भवती पत्नी से बात कर खुद को गोली मार ली जवान ने अपनी राइफल से गर्दन के पास गोली मारी जो सिर को पार निकल गई। गोली की आवाज सुन आसपास मौजूद साथी जवान पहुंचे तो देखा कि चंद्रभान का शव बेड पर पड़ा और वहां खून फैला है. घटना शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के बर्रेबेड़ा हवेचुर में घटी.
मोतियाबिंद की बीमारी से पीड़ित पिता अपनी धुंधली नजर से बेटे के आने की राह देख रहे थे. बेटे ने कहा था कि छुट्टी मिल गई है जल्द ही घर आऊंगा और आपका ऑपरेशन करा दूंगा
रविवार सुबह वह अपने वादे के अनुसार घर तो आया लेकिन ताबूत में बंद होकर. शव देखते ही पिता चीखने लगे. वह कह रहे थे, मेरा बेटा कुछ बोल क्यों नहीं रहा है?
यह सोया क्यों है? अब मेरी आंख का ऑपरेशन कौन कराएगा? चंद्रभान बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के बगहा के बेरई नवरंगिया गांव का रहने वाले थे. चंद्रभान ने खुद को गोली मारने से पहले पत्नी से बात की थी. वह कुछ दिनों से परेशान थे. उसने पत्नी से माता-पिता की खैरियत पूछी थी. जवान ने यह कहते हुए फोन रख दिया था कि मैं अभी नहाने जा रहा हूं, दोबारा कॉल करता हूं. करीब दो घंटे बाद भी कॉल नहीं आया तो पत्नी ने फोन किया.
जवान का फोन मेजर ने उठाया और घटना की जानकारी दी. गोली चलने की आवाज सुनकर साथी जवान बैरक में पहुंचे खुदकुशी के कारणों का अभी तक पता नहीं चला है. साथी जवान भी कोई जानकारी नहीं दे पा रहे हैं. जवान के मोबाइल से ही कुछ डिटेल मिल सकती थी, लेकिन मोबाइल का डाटा डिलीट कर देने से अब पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
बुढ़ापे में छिन गया सहारा बेटे की मौत के बाद चंद्रभान के पिता रामनारायण महतो सदमे में हैं शव देख वह बार-बार कह रहे हैं मेरा बेटा मेरी आंखों का तारा था. ऐसे कैसे मुझे छोड़कर जा सकता है. चार साल पहले चंद्रभान का एसएसबी में चयन हुआ था. तीन बहनों और दो भाइयों में वह सबसे छोटा था. चंद्रभान मेरे जीने का सहारा था.
चार माह में उजड़ गया मांग का सिंदूर. चंद्रभान की शादी प्रिया के साथ 8 मार्च 2017 को हुई थी. शादी के 4 माह बाद ही प्रिया के मांग का सिंदूर उजड़ गया.पत्नी (प्रिया) यह कह कर बदहवास हुए जा रही है कि आखिर अब मैं किसके सहारे जीऊंगी, मैं भी मर जाना चाहती हूं.
पिता की आंख के ऑपरेशन के लिए ली थी छुट्टी
जवान के पिता मोतियाबिंद से पीड़ित थे. उन्होंने अपने पिता की आंख का ऑपरेशन कराने के लिए छुट्टी ली थी. जवान की 24 जुलाई से छुट्टी स्वीकृत की गई थी. वह 23 जुलाई को बर्रेबेड़ा हवेचुर कैंप से भिलाई हेड क्वाटर के लिए रवाना होने वाले थे और घर जाने से पहले दुनिया छोड़कर चला गया.
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