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अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने पटेल आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता हार्दिक पटेल को देशद्रोह के मामले में राहत दी है। दरअसल न्यायालय ने उन्हें जमानत पर छोड़ दिया है। हालांकि जमानत पर छोड़ने के साथ उनके लिए यह शर्त रखी गई है कि उन्हें 6 माह तक राज्य से बाहर रहना होगा। हालांकि हार्दिक पर दूसरे मामले भी चल रहे हैं ऐसे में वे जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं। हार्दिक पटेल पर मेहसाणा जिले के विसनगर शहर में विधायक के कार्यालय में हिंसा करने का मामला भी बना है।
इस पर सुनवाई होनी है। इस मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई 11 जुलाई को होगी। न्यायमूर्ति एजे देसाई ने हार्दिक पटेल को जमानत देते हुए कहा कि अगले 6 माह तक उन्हें गुजरात से बाहर रहना होगा। न्यायालय ने हार्दिक के वकील को निर्देश देते हुए कहा कि उनकी ओर से एक हलफनामा भी दिया गया। यह हलफनामा इस उद्देश्य से दिया जाना चाहिए कि वे इस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं थे जो कानून व्यवस्था को प्रभावित करता हो।
न्यायाधीश ने लिखित आदेश में दूसरी शर्तों का उल्लेख भी किया। पटेल आरक्षण आंदोलन के 22 वर्षीय नेता अक्टूबर 2015 से ही देशद्रोह के मामले में जेल में बंद हैं। उनके विरूद्ध अहमदाबाद और सूरत में भी प्रकरण दर्ज किए गए थे। सुनवाई के दौरान अभिभाषक मितेश अमीन ने हार्दिक की जमानत का विरोध किया। इस मामले में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार को आशंका है कि यदि उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया तो वे अपराध दोहरा सकते हैं।
ऐसे में राज्य में कानून व्यवस्था हेतु परेशानी हो सकती है। हार्दिक के अभिभाषक जुबिन भरदा ने न्यायालय से कहा कि मुवक्किल राज्य से बाहर करीब 6 माह तक रहने के लिए भी तैयार हैं। इस मामले में शर्त यह है कि न्यायालय जमानत दे दे जिससे शासकीय वकील जो आशंकाऐं व्यक्त कर रहे हैं उन्हें नकारा जा सके। इतना ही नहीं सरकार ने जमानत हेतु लिखित हलफनामा देने की हार्दिक की पेशकश को नकार दिया। इस दौरान हार्दिक ने कहा था कि वे कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाली गतिविधियों से दूर भी होंगे।
मगर वे पाटीदार समुदाय की परेशानियों हेतु शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन जारी भी रखेंगे। अहमदाबाद और सूरत की निचली अदालत से हार्दिक को जमानत नहीं मिली थी जिसके बाद हार्दिक ने देशद्रोह के मामले में जमानत हेतु उच्च न्यायालय से संपर्क किया था। हाईकोर्ट के आदेश पर हार्दिक ने लाजपोर जेल से कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका सर्वोच्च है। इस मामले में यदि भावी आंदोलन की बात कही जाती है तो हम जेल से बाहर आने के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे।
हार्दिक को न्यायालयीन सुनवाई किए जाने के बाद लाजपोर जेल में ले जाया गया। अहमदाबाद जिले में हार्दिक के परिवार के सदस्यों सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पटेलों ने आतिशबाजी कर मिठाईयां बांटी उच्च न्यायालय के निर्णय का जमकर स्वागत किया गया। गौरतलब है कि हार्दिक के आंदोलनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी ऐसे में पुलिस पर भी हार्दिक और उनके साथियों ने हमले की तैयारी कर ली थी।
अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने पटेल आरक्षण आंदोलन के प्रमुख नेता हार्दिक पटेल को देशद्रोह के मामले में राहत दी है। दरअसल न्यायालय ने उन्हें जमानत पर छोड़ दिया है। हालांकि जमानत पर छोड़ने के साथ उनके लिए यह शर्त रखी गई है कि उन्हें 6 माह तक राज्य से बाहर रहना होगा। हालांकि हार्दिक पर दूसरे मामले भी चल रहे हैं ऐसे में वे जेल से बाहर नहीं आ सकते हैं। हार्दिक पटेल पर मेहसाणा जिले के विसनगर शहर में विधायक के कार्यालय में हिंसा करने का मामला भी बना है।
इस पर सुनवाई होनी है। इस मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई 11 जुलाई को होगी। न्यायमूर्ति एजे देसाई ने हार्दिक पटेल को जमानत देते हुए कहा कि अगले 6 माह तक उन्हें गुजरात से बाहर रहना होगा। न्यायालय ने हार्दिक के वकील को निर्देश देते हुए कहा कि उनकी ओर से एक हलफनामा भी दिया गया। यह हलफनामा इस उद्देश्य से दिया जाना चाहिए कि वे इस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं थे जो कानून व्यवस्था को प्रभावित करता हो।
न्यायाधीश ने लिखित आदेश में दूसरी शर्तों का उल्लेख भी किया। पटेल आरक्षण आंदोलन के 22 वर्षीय नेता अक्टूबर 2015 से ही देशद्रोह के मामले में जेल में बंद हैं। उनके विरूद्ध अहमदाबाद और सूरत में भी प्रकरण दर्ज किए गए थे। सुनवाई के दौरान अभिभाषक मितेश अमीन ने हार्दिक की जमानत का विरोध किया। इस मामले में यह भी कहा गया कि राज्य सरकार को आशंका है कि यदि उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया तो वे अपराध दोहरा सकते हैं।
ऐसे में राज्य में कानून व्यवस्था हेतु परेशानी हो सकती है। हार्दिक के अभिभाषक जुबिन भरदा ने न्यायालय से कहा कि मुवक्किल राज्य से बाहर करीब 6 माह तक रहने के लिए भी तैयार हैं। इस मामले में शर्त यह है कि न्यायालय जमानत दे दे जिससे शासकीय वकील जो आशंकाऐं व्यक्त कर रहे हैं उन्हें नकारा जा सके। इतना ही नहीं सरकार ने जमानत हेतु लिखित हलफनामा देने की हार्दिक की पेशकश को नकार दिया। इस दौरान हार्दिक ने कहा था कि वे कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाली गतिविधियों से दूर भी होंगे।
मगर वे पाटीदार समुदाय की परेशानियों हेतु शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन जारी भी रखेंगे। अहमदाबाद और सूरत की निचली अदालत से हार्दिक को जमानत नहीं मिली थी जिसके बाद हार्दिक ने देशद्रोह के मामले में जमानत हेतु उच्च न्यायालय से संपर्क किया था। हाईकोर्ट के आदेश पर हार्दिक ने लाजपोर जेल से कहा कि लोकतंत्र में न्यायपालिका सर्वोच्च है। इस मामले में यदि भावी आंदोलन की बात कही जाती है तो हम जेल से बाहर आने के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे।
हार्दिक को न्यायालयीन सुनवाई किए जाने के बाद लाजपोर जेल में ले जाया गया। अहमदाबाद जिले में हार्दिक के परिवार के सदस्यों सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पटेलों ने आतिशबाजी कर मिठाईयां बांटी उच्च न्यायालय के निर्णय का जमकर स्वागत किया गया। गौरतलब है कि हार्दिक के आंदोलनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी ऐसे में पुलिस पर भी हार्दिक और उनके साथियों ने हमले की तैयारी कर ली थी।
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