*💥 पहले हर साल तेलिया तालाब बलि लेता था... अब उसकी पूर्ति यश नगर कर देता है...?*
*💥 क्रांतिकारी रिपोर्टर की ये खबर... साबित करती है यश नगर का अपयश...!*
( उमेश नेक्स, क्रांतिकारी रिपोर्टर )
मन्दसौर. नाम के अनुरूप काम हो ऐसा कम ही होता है... जिसका नाम फकीरचन्द होता है वो अक्सर अमीर होता है... और जिसका नाम शांतिलाल होता है... वो अक्सर अशांति का काल यानि अशांतिलाल होता है...! ऐसा ही कुछ लागु होता है... शहर की पाश और सबसे ज्यादा चर्चित कॉलोनी यश नगर पर.... ये यश नगर भी अपने नाम के अनुरूप लोगो को यश नही दे रहा है... लाखों के प्लॉट करोड़ों के बंगले बनाने के बाद भी लोगो के हिस्से में अपयश ही हाथ लग रहा है...? यश नगर की अपयश वाली बात कोरी बकवास नही है... बल्कि इस बात को साबित करने के लिए कई उदाहरण हमारे पास है...! आधुनिकता के इस दौर में कोई ये माने या ना माने... पर हम जो बाते और घटनाक्रम आज बताने वाले है... वे यश नगर के अपयश को प्रमाणित करने वाले है... और जिसके शिकार कई बड़े लोग तक हुए है...!*
यश नगर के अपयश की बात की शुरुआत हम तेलिया तालाब से जोड़ कर करते है... पूरा यश नगर कही न कही तेलिया तालाब का ही एक हिस्सा है... जब तक यश नगर नही बना था... तब तक तेलिया तालाब हर वर्ष एक बलि लेता था... यानि यहाँ कोई ना कोई अकाल मृत्यु को पाता था... लेकिन जब से यश नगर बना है, तब से तेलिया तालाब में अकाल मृत्यु का सिलसिला रुक सा गया है... अब लोग आत्महत्या करने यहाँ नही आते है... बल्कि शिवना पुल का इस्तेमाल करते है... ऐसा जानकार लोग मानते है...! उनकी यह बात यश नगर के अपयश की कहानी बयाँ करती है... हमारे सामने कई उदाहरण पेश करती है...!
डोडा चुरा किंग अनिल त्रिवेदी, मजहर हुसैन बोहरा, महेन्द्रसिंह ठेकेदार और आयकर वाले श्याम कुमार जैन... सहित कई लोग यश नगर में आ कर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए...! इसी तरह सांसद मीनाक्षी नटराजन यश नगर में आने के बाद खूब काम करने के बाद भी बड़े अंतर से लोकसभा का चुनाव हार गयी... महेंद्र सिंह गुजर पहली बार में सिर्फ पन्द्रह सौ वोट से हारे... और यश नगर में आने के बाद 25 हजार वोट से हार गए...!
जगदीश देवड़ा इतने पॉवरफुल और शिवराज के खास होने के बाद भी यश नगर ने इनका अपयश किया और मंत्री पद छीन लिया...? भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कारूलाल सोनी ने यहाँ मोहन फ्रूट वाले के साथ मिल कर बहुत बड़ी कॉलोनी काटी तो... सोनी जी का राजनितिक कॅरियर चोपट हो गया... और मोहन फ्रूट वाला भी विवादित हो गया... बहु की मोत के बाद पूरा परिवार अशांति की भेंट चढ़ गया...! यहाँ रहने वाले अनिल संचेती डॉन, तेजपालसिंह धाकडी, शिवराजसिंह राणा, अर्जुन डाबर सहित ऐसे कई नेताओं के नाम है जो जब से यश नगर में आये तब से इनका अपयश और अशांति का दौर शुरू हो गया...!
वन विभाग के पलाश के यहाँ लोकायुक्त का छापा पड़ा... और कई विवादों से नाता जुडा... कीमती, सोनगरा सहित शहर के कई बड़े व्यापारी है... जिनके यश नगर में आते ही अपयश हुआ... और पहली बार इन्कम टेक्स का छापा तक पड़ा...! पत्रकार महेश जैन बच्चू के साथ भी यहाँ अपयश ही हुआ... और यश नगर में कदम रखते ही पैर टुटा है...! प्रदीप गंनेड़ीवाल का भी यश नगर से कनेक्शन महंगा पड़ा... और देश छोड़ कर जाना पड़ा... क्रांतिकारी रिपोर्टर के पास ऐसे और भी कई लोगों के नाम है... जिनने यश नगर से कनेक्शन जोड़ा... यानि उनका नाता अपयश जुड़ा...!
*कलेक्ट्रर और विधायक का अपयश, इसी यश नगर से जुड़ा..*
कोई हमारी बात को सही ना माने लेकिन कई घटनाक्रम यश नगर के अपयश की कहानी चीख चीख कर बयाँ करता है... जब से विधायक यशपाल सिसोदिया ने यश नगर में अपना आलिशान बंगला बनाना शुरू किया है... उनका रोज़ नए विवादों से नाता जुड़ गया है... मन्त्री मण्डल में नाम आते आते खिसक गया है..! यही नही जिले के विकासवादी कलेक्टर स्वतंत्र कुमार ने जब से नये कलेक्टर भवन के लिए यश नगर को चुना है... उनकी कड़ी तपस्या और मेहनत के फल में भी अपयश होने लगा है...? नित्य नये विवादों से कलेक्टर साहब का कनेक्शन हो गया है...!
*जिसने भी यश नगर छोड़ा, उसको उसका यश पुनः मिला...!*
हमारे पास ऐसे भी कई बड़े नाम है... जिनने यश नगर छोड़ा तो उनको उनका यश वापस मिला... इसमें सबसे बड़ा नाम नपाध्यक्ष प्रहलाद बन्धवार का है... जब प्रहलाद दादा यश नगर में गए थे तब से उनका अपयश होना शुरू हो गया था... और जैसे ही यश नगर छोड़ा उनको खोया हुआ यश पुनः मिला... और विपरीत परिस्थितयों में भी उनको नपाध्यक्ष बनने का मौका मिला... इसी तरह भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मानसिंह माछोपुरिया और सुनील महाबली का यश भी यश नगर से नाता तोड़ने के बाद ही लोटा...! इसके बाद भी हमारी बात किसी को बकवास लगे तो लगे हमे क्या करना है... भुगतना तो उनको ही है... यश नगर में अपयश तो उनका ही होना है...!
*💥 क्रांतिकारी रिपोर्टर की ये खबर... साबित करती है यश नगर का अपयश...!*
( उमेश नेक्स, क्रांतिकारी रिपोर्टर )
मन्दसौर. नाम के अनुरूप काम हो ऐसा कम ही होता है... जिसका नाम फकीरचन्द होता है वो अक्सर अमीर होता है... और जिसका नाम शांतिलाल होता है... वो अक्सर अशांति का काल यानि अशांतिलाल होता है...! ऐसा ही कुछ लागु होता है... शहर की पाश और सबसे ज्यादा चर्चित कॉलोनी यश नगर पर.... ये यश नगर भी अपने नाम के अनुरूप लोगो को यश नही दे रहा है... लाखों के प्लॉट करोड़ों के बंगले बनाने के बाद भी लोगो के हिस्से में अपयश ही हाथ लग रहा है...? यश नगर की अपयश वाली बात कोरी बकवास नही है... बल्कि इस बात को साबित करने के लिए कई उदाहरण हमारे पास है...! आधुनिकता के इस दौर में कोई ये माने या ना माने... पर हम जो बाते और घटनाक्रम आज बताने वाले है... वे यश नगर के अपयश को प्रमाणित करने वाले है... और जिसके शिकार कई बड़े लोग तक हुए है...!*
यश नगर के अपयश की बात की शुरुआत हम तेलिया तालाब से जोड़ कर करते है... पूरा यश नगर कही न कही तेलिया तालाब का ही एक हिस्सा है... जब तक यश नगर नही बना था... तब तक तेलिया तालाब हर वर्ष एक बलि लेता था... यानि यहाँ कोई ना कोई अकाल मृत्यु को पाता था... लेकिन जब से यश नगर बना है, तब से तेलिया तालाब में अकाल मृत्यु का सिलसिला रुक सा गया है... अब लोग आत्महत्या करने यहाँ नही आते है... बल्कि शिवना पुल का इस्तेमाल करते है... ऐसा जानकार लोग मानते है...! उनकी यह बात यश नगर के अपयश की कहानी बयाँ करती है... हमारे सामने कई उदाहरण पेश करती है...!
डोडा चुरा किंग अनिल त्रिवेदी, मजहर हुसैन बोहरा, महेन्द्रसिंह ठेकेदार और आयकर वाले श्याम कुमार जैन... सहित कई लोग यश नगर में आ कर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए...! इसी तरह सांसद मीनाक्षी नटराजन यश नगर में आने के बाद खूब काम करने के बाद भी बड़े अंतर से लोकसभा का चुनाव हार गयी... महेंद्र सिंह गुजर पहली बार में सिर्फ पन्द्रह सौ वोट से हारे... और यश नगर में आने के बाद 25 हजार वोट से हार गए...!
जगदीश देवड़ा इतने पॉवरफुल और शिवराज के खास होने के बाद भी यश नगर ने इनका अपयश किया और मंत्री पद छीन लिया...? भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कारूलाल सोनी ने यहाँ मोहन फ्रूट वाले के साथ मिल कर बहुत बड़ी कॉलोनी काटी तो... सोनी जी का राजनितिक कॅरियर चोपट हो गया... और मोहन फ्रूट वाला भी विवादित हो गया... बहु की मोत के बाद पूरा परिवार अशांति की भेंट चढ़ गया...! यहाँ रहने वाले अनिल संचेती डॉन, तेजपालसिंह धाकडी, शिवराजसिंह राणा, अर्जुन डाबर सहित ऐसे कई नेताओं के नाम है जो जब से यश नगर में आये तब से इनका अपयश और अशांति का दौर शुरू हो गया...!
वन विभाग के पलाश के यहाँ लोकायुक्त का छापा पड़ा... और कई विवादों से नाता जुडा... कीमती, सोनगरा सहित शहर के कई बड़े व्यापारी है... जिनके यश नगर में आते ही अपयश हुआ... और पहली बार इन्कम टेक्स का छापा तक पड़ा...! पत्रकार महेश जैन बच्चू के साथ भी यहाँ अपयश ही हुआ... और यश नगर में कदम रखते ही पैर टुटा है...! प्रदीप गंनेड़ीवाल का भी यश नगर से कनेक्शन महंगा पड़ा... और देश छोड़ कर जाना पड़ा... क्रांतिकारी रिपोर्टर के पास ऐसे और भी कई लोगों के नाम है... जिनने यश नगर से कनेक्शन जोड़ा... यानि उनका नाता अपयश जुड़ा...!
*कलेक्ट्रर और विधायक का अपयश, इसी यश नगर से जुड़ा..*
कोई हमारी बात को सही ना माने लेकिन कई घटनाक्रम यश नगर के अपयश की कहानी चीख चीख कर बयाँ करता है... जब से विधायक यशपाल सिसोदिया ने यश नगर में अपना आलिशान बंगला बनाना शुरू किया है... उनका रोज़ नए विवादों से नाता जुड़ गया है... मन्त्री मण्डल में नाम आते आते खिसक गया है..! यही नही जिले के विकासवादी कलेक्टर स्वतंत्र कुमार ने जब से नये कलेक्टर भवन के लिए यश नगर को चुना है... उनकी कड़ी तपस्या और मेहनत के फल में भी अपयश होने लगा है...? नित्य नये विवादों से कलेक्टर साहब का कनेक्शन हो गया है...!
*जिसने भी यश नगर छोड़ा, उसको उसका यश पुनः मिला...!*
हमारे पास ऐसे भी कई बड़े नाम है... जिनने यश नगर छोड़ा तो उनको उनका यश वापस मिला... इसमें सबसे बड़ा नाम नपाध्यक्ष प्रहलाद बन्धवार का है... जब प्रहलाद दादा यश नगर में गए थे तब से उनका अपयश होना शुरू हो गया था... और जैसे ही यश नगर छोड़ा उनको खोया हुआ यश पुनः मिला... और विपरीत परिस्थितयों में भी उनको नपाध्यक्ष बनने का मौका मिला... इसी तरह भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मानसिंह माछोपुरिया और सुनील महाबली का यश भी यश नगर से नाता तोड़ने के बाद ही लोटा...! इसके बाद भी हमारी बात किसी को बकवास लगे तो लगे हमे क्या करना है... भुगतना तो उनको ही है... यश नगर में अपयश तो उनका ही होना है...!
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