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कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को आतंकी घोषित करना चाहती थी. सोमवार से शुरु हो रहे मानसून सत्र से पहले इस खुलासे के बाद संसद के अंदर हंगामा होना तय है.
एक अंग्रेजी निजी चैनल 'टाइम्स नाउ' के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक यूपीए सरकार अपने अंतिम दिनों में आरएसएस चीफ मोहन भागवत को आतंकवादियों की सूची में डालना चाहती थी. इसमें बताया गया कि भागवत को 'हिंदू आतंकवाद' के जाल में फंसाने के लिए कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार के मंत्री कोशिश में जुटे थे.
अजमेर और मालेगांव ब्लास्ट के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने 'हिंदू आतंकवाद' थ्योरी दी थी. इसी के तहत मनमोह सरकार मोहन भागवत को फंसाना चाहती थी. इसके लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के बड़े अधिकारियों पर दबाव डाला जा रहा था.
इस रिपोर्ट के मुताबिक जांच अधिकारी और कुछ आला ऑफिसर अजमेर और कई अन्य बम विस्फोट मामले में तथाकथित भूमिका के लिए भागवत से पूछताछ करना चाहते थे. ये अधिकारी यूपीए के मंत्रियों के आदेश पर काम कर रहे थे, जिसमें तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी शामिल थे.
करंट अफेयर मैगजीन कारवां में फरवरी 2014 में संदिग्ध आतंकी स्वामी असीमानंद का इंटरव्यू छपा था. उस समय वो पंचकुला जेल में थे. इस इंटरव्यू में कथित तौर पर भागवत को हमले के लिए मुख्य प्रेरक बताया. इसके बाद यूपीए ने एनआईए पर दबाव बनाना शुरू किया, लेकिन जांच एजेंसी के मुखिया शरद यादव ने इससे इनकार कर दिया. वह इंटरव्यू के टेप की फ़रेंसिक जांच करना चाहते थे. इसके बाद केस को बंद कर दिया गया था.
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