क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल । संभागीय मुख्यालय से लगा हुआ क्षेत्र उमरिया जिले मे आता है, जहां सैकड़ों की संख्या में आए दिन अपराध होते रहते हैं। जिनकी शिकायत संभागीय मुख्यालय तक ही सीमित रह जाती हैं। और उमरिया जिले के कलेक्टर तक नहीं पहोच पाते, जिस के कारण इस क्षेत्रके लोग न्याय के लिये भटकते रहते है। इस क्षेत्र में अगर कलेक्टर उमरिया माह में एक बार भ्रमण करें तो यहा हो रहे अपराधों के साथ-साथ शासकीय विभागों के गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यो पर भी रोक लगेगा।
संभागीय आयुक्त के यहां मंगलवार को जनसुनवाई के दिन कुशमहा खुर्द निवासी परमानंद चौबे ग्राम पंचायत के सचिव टेकलाल पटेल व उप सरपंच समय लाल पटेल, सरपंच पति दिनेश सिंह द्वारा जबरिया कब्जा कर डेढ़ सौ मीटर लंबी भूमि में विद्यालय भवन निर्माण का कार्य करवा रहे हैं। श्री चौबे द्वारा बताया जा रहा है कि खसरा नंबर 144, 187, 189, 131 का सीमांकन दिनांक 23.02.2011 को भू अधीक्षक उमरिया द्वारा किया गया। जिसमें पत्थरों को सीमा चिन्ह के रूप में स्थापित किया गया किन्तु पंचायत गुण्डागर्दी के बल पर उन पत्थरों को उखाड़कर खसरा क्रमांक 144 में तीन मीटर चौड़ा, डेढ़ सौ मीटर लंबी भूमि विद्यालय के नाम से कब्जा कर लिया है। कुशमहाखुर्द के आराजी क्रमांक 143 रकवा 19 डिस्मिल में श्री चौबे के तीन पुश्त से काश्तकारी का काम करते आ रहे हैं। उक्त भूमि पर एसडीएम पाली द्वारा बेदखल कर दिया गया था, जो खसरा नंबर 151 रकवा 27 डिस्मिल मध्यप्रदेश शासन की भूमि में हो रहे अवैध निर्माण कार्य पर संभागीय अधिकारी को रोक लगाने के लिए कहा हेै, वहीं चौबे की आराजी खसरा नंबर 144, 187,189, 131 में लगे सीमा चिन्हों को पंचायत द्वारा हटवा सरहदी कृषकों द्वारा पुन: कब्जा कर लिया गया है, तथा इस मामले की सक्षम अधिकारी से सीमांकन करवा कर सीमा चिन्हो में पुन: पत्थर गड़वानें का कमिश्रर से गुहार लगाया है। वहीं परमानंद चौबे ने लिखित शिकायत मेें आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत की गुण्डागर्दी, हठधर्मिता और जान से मारने की धमकी दी गयी है और कहा गया है कि खसरा नंबर 143 के संबंध में खूब न्यायालय का फैसला रखे हो और न्यायालय का फैसला रख के हमारा क्या बिगाड़ लिये और देखते हैं कि कौन न्यायालय हमें रोक लेगा हम सीमा चिन्ह उखड़वाकर फेंक दिये हैं अगर तुम्हे शिकायत करना है तो जाओ अपने बाप से शिकायत करो। इस तरह ग्राम पंचायत के सचिव व सरपंच गुण्डागर्दी करते हुए बल प्रयोग से विवादित भूमि पर विद्यालय बनाने का काम कर रहे हैं। वहीं प्रार्थी श्री चौबे ने यह भी दावा किया है कि खसरा नं. 143 खसरा पर स्पष्ट उल्लेख है कि बालाप्रसाद वल्द नर्मदा प्रसाद ब्राहम्ण पिछले 20 वर्षों से काबिज हैं। वहीं भूमि सुधार के समय के पट्टेदार लल्ही पिता छोटी ढीमर फरार हैं। और प्रार्थी अपने नाना बालाप्रसाद के समय से काश्तकारी करते आ रहे हैं। वहीं प्रार्थी चौबे के पास उक्त भूमि के संबंध में कई सारे दस्तावेज मोैजूद हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि विवादित भूमि इन्ही की है और पंचायत जबरन कब्जा करने पर तुली है। इस मामले पर कमिश्रर द्वारा प्रार्थी के आवेदन पर कलेक्टर उमरिया को लिखा है कि मामला गंभीर है यदि सीमांकन हो गया है तो आवेदक की भूमि पर कोई निर्माण कार्य जायज नही होगा। ओैर कलेक्टर उमरिया को इस मामले पर स्वयं देखने और विधिवत सही निराकरण करने का आदेश कि या है।
अब देखना यह होगा कि कमिश्रर के आदेशों पर कलेक्टर उमरिया क्या कार्यवाई करते हैं। यह तो कुछ दिन बाद ही पता लगेगा, किन्तु प्रार्थी श्री चौबे आज संभागीय मुख्यालय के सामने आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। और न्याय न मिलने पर दिनांक 17.03.2011 को आत्मदाह करने की भी लिखित शिकायत संभागीय आयुक्त को दिया है। जब एक पीडि़त व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता तो क्षुब्ध होकर कोई भी कार्य करने से नहीं डरता यही कारण है कि श्रीचौबे न्याय के लिए प्रशासन से आरपार की लड़ाई लडऩे के लिए संभागीय मुख्यालय के सामने बैठ चुके हैं।
संभागीय आयुक्त के यहां मंगलवार को जनसुनवाई के दिन कुशमहा खुर्द निवासी परमानंद चौबे ग्राम पंचायत के सचिव टेकलाल पटेल व उप सरपंच समय लाल पटेल, सरपंच पति दिनेश सिंह द्वारा जबरिया कब्जा कर डेढ़ सौ मीटर लंबी भूमि में विद्यालय भवन निर्माण का कार्य करवा रहे हैं। श्री चौबे द्वारा बताया जा रहा है कि खसरा नंबर 144, 187, 189, 131 का सीमांकन दिनांक 23.02.2011 को भू अधीक्षक उमरिया द्वारा किया गया। जिसमें पत्थरों को सीमा चिन्ह के रूप में स्थापित किया गया किन्तु पंचायत गुण्डागर्दी के बल पर उन पत्थरों को उखाड़कर खसरा क्रमांक 144 में तीन मीटर चौड़ा, डेढ़ सौ मीटर लंबी भूमि विद्यालय के नाम से कब्जा कर लिया है। कुशमहाखुर्द के आराजी क्रमांक 143 रकवा 19 डिस्मिल में श्री चौबे के तीन पुश्त से काश्तकारी का काम करते आ रहे हैं। उक्त भूमि पर एसडीएम पाली द्वारा बेदखल कर दिया गया था, जो खसरा नंबर 151 रकवा 27 डिस्मिल मध्यप्रदेश शासन की भूमि में हो रहे अवैध निर्माण कार्य पर संभागीय अधिकारी को रोक लगाने के लिए कहा हेै, वहीं चौबे की आराजी खसरा नंबर 144, 187,189, 131 में लगे सीमा चिन्हों को पंचायत द्वारा हटवा सरहदी कृषकों द्वारा पुन: कब्जा कर लिया गया है, तथा इस मामले की सक्षम अधिकारी से सीमांकन करवा कर सीमा चिन्हो में पुन: पत्थर गड़वानें का कमिश्रर से गुहार लगाया है। वहीं परमानंद चौबे ने लिखित शिकायत मेें आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत की गुण्डागर्दी, हठधर्मिता और जान से मारने की धमकी दी गयी है और कहा गया है कि खसरा नंबर 143 के संबंध में खूब न्यायालय का फैसला रखे हो और न्यायालय का फैसला रख के हमारा क्या बिगाड़ लिये और देखते हैं कि कौन न्यायालय हमें रोक लेगा हम सीमा चिन्ह उखड़वाकर फेंक दिये हैं अगर तुम्हे शिकायत करना है तो जाओ अपने बाप से शिकायत करो। इस तरह ग्राम पंचायत के सचिव व सरपंच गुण्डागर्दी करते हुए बल प्रयोग से विवादित भूमि पर विद्यालय बनाने का काम कर रहे हैं। वहीं प्रार्थी श्री चौबे ने यह भी दावा किया है कि खसरा नं. 143 खसरा पर स्पष्ट उल्लेख है कि बालाप्रसाद वल्द नर्मदा प्रसाद ब्राहम्ण पिछले 20 वर्षों से काबिज हैं। वहीं भूमि सुधार के समय के पट्टेदार लल्ही पिता छोटी ढीमर फरार हैं। और प्रार्थी अपने नाना बालाप्रसाद के समय से काश्तकारी करते आ रहे हैं। वहीं प्रार्थी चौबे के पास उक्त भूमि के संबंध में कई सारे दस्तावेज मोैजूद हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि विवादित भूमि इन्ही की है और पंचायत जबरन कब्जा करने पर तुली है। इस मामले पर कमिश्रर द्वारा प्रार्थी के आवेदन पर कलेक्टर उमरिया को लिखा है कि मामला गंभीर है यदि सीमांकन हो गया है तो आवेदक की भूमि पर कोई निर्माण कार्य जायज नही होगा। ओैर कलेक्टर उमरिया को इस मामले पर स्वयं देखने और विधिवत सही निराकरण करने का आदेश कि या है।
अब देखना यह होगा कि कमिश्रर के आदेशों पर कलेक्टर उमरिया क्या कार्यवाई करते हैं। यह तो कुछ दिन बाद ही पता लगेगा, किन्तु प्रार्थी श्री चौबे आज संभागीय मुख्यालय के सामने आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। और न्याय न मिलने पर दिनांक 17.03.2011 को आत्मदाह करने की भी लिखित शिकायत संभागीय आयुक्त को दिया है। जब एक पीडि़त व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता तो क्षुब्ध होकर कोई भी कार्य करने से नहीं डरता यही कारण है कि श्रीचौबे न्याय के लिए प्रशासन से आरपार की लड़ाई लडऩे के लिए संभागीय मुख्यालय के सामने बैठ चुके हैं।
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