क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल . एक ओर पूरा विश्व भावी जल संकट को लेकर चिंतित है। पर्यावरण विद पानी के लिए विश्वयुद्ध की चेतावनी दे रहे हैं। वहीं जिले की निर्माण एजेंसी जल संरचनाओं के निर्माण में धन की होली ख्ेाल रहे हैं पानी रूके या नहीं लेकिन जहां मर्जी होती है वहीं स्टापडेम और बांध बना दिऐ जाते हैं। ऐसे ही मामले गोहपारू और सोहागपुर विकासखंडों में सामने आए हैं। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद ग्रामीण यात्रिकी विभाग द्वारा ऐसे स्थानों में स्टापडेम स्वीकृत कर दिये हैं जहां ऐसी संरचनाओं की आवश्यकता ही नहीं है। गोहपारू के समीप पैलवाह में लोक निर्माण विभाग की पुलिया को तोड़कर आरईएस विभाग द्वारा 24 लाख रूपये की लागत से स्टापडेम बनाने की तैयारी की जा रही है। यही स्टापडेम निर्माण का सरपंच मेलाराम सिंह, जनपद अध्यक्ष छोटेसिंह, उपाध्यक्ष त्रिभुवन सिह के साथ ग्रामीणों के साथ विरोध किया था तब से यह मामला लंबित है। गोहपारू के समीप मेरटोला के घोंघरा नाला में भी 24 लाख की लागत से स्टापडेम बनाने की तैयारी की जा रही है। इस संबध मे गोहपारू जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष त्रिभुवन सिंह का कहना है कि केवल एक किसान को लाभ पहुंचाने शासन के 24 लाख रूपये की होली आरईएस विभाग द्वारा खेली जा रही है। मेराटेाला में जिस स्थान पर स्टापडेम का निर्माण किया जाना है वहां भराव क्षेत्र में बड़ा टोला है। इसके उपरी हिस्से में दुर्गा जलाशय है। इस जलाशय की नहर से आसपास के खेतों में सिंचाई होती है। अहम सवाल यह है कि टीले में जल संग्रहण कैसे होगा। यहां पानी का पर्याप्त स्त्रोत भी नही है। कुल मिलाकर आरईएस ने सरकारी धन फूंकने की तैयारी की है। जनपद पंचायत सोहागपुर के ग्राम धनगवां में सोननदी के किनारे 19 दिसम्बर 2009 को स्टापडेम का शिलान्यास किया गया था। निर्माण एजेंसी आरइएस विभाग को शिलान्यास के बाद स्टापडेम के निर्माण की सुध ही नहीं है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोविंद सिंह के अनुसार स्टापडेम स्थल भी विवादित है। चंूकि यह स्थल सोननदी से मात्र सौ मीटर दूर है और भराव क्षेत्र भी पर्याप्त नहीं है। यहां यदि स्टापडेम का निर्माण किया भी जाता है तो पानी का रिसाव सोन नदी में हो जाएगा। इस स्टापडेम का शिलान्यास राजस्व एवं वन राज्यमंत्री जयंसिंह मरावी ने विधायक सुंदर सिंह तत्कालीन जनपद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की उपस्थिति में किया था। विवादित स्टापडेमों के संबंध में जब ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के कार्यपालन यंत्री बीएम श्रीवास्तव से संपर्क किया गया तो वे जबाव देने से कतराते नजर आए। पैलवाह और मैरटोला स्टापडेम के संबंध में उनका कहना था कि वे निर्माण स्थलों का निरीक्षण करने के बाद ही बता पायेंगे।
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