पंकज त्रिवेदी
चिड़ियाँ को घोंसला
बनाते हुए देख रहा हूँ मैं आजकल
एक एक धागे और तिल्लीयों से
अपना घोंसला बनाने को मथती
रहती हैं हरदम, हर पल पुरुषार्थ में
डूबी सी...
आनेवाली खुशियों की
भनक लगी हैं उन्हें और
उसकी मेहनत रंग लाती हैं...
दिन बीतता हैं और घोंसला
बनता जाता हैं....
भूचाल के बाद -
मैंने भी बड़ी कोशिश की थी...
अब, चिड़ियाँ को देखकर
सुकून मिलता हैं मुझे और भी ज्यादा...!!!
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