8 Mar 2011,
मदुरै।। तमिलनाडु के जेलों में सजा भुगत चुकीं कुछ महिला कैदियों ने जेल के वॉर्डन्स पर टॉर्चर करने और अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया है। ये महिलाएं कुछ ही समय पहले तमिलनाडु की अलग-अलग जेलों से सजा काटकर बाहर आईं हैं। महिलाओं का कहना है कि जब वे जेलों में बंद थीं तो वॉर्डन्स उन्हें गंदी गालियां देते और शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी करते थे। एक कैदी ने यहां तक कहा कि उसे वॉर्डन ने सबके सामने नंगा कर दिया। सोसायटी फॉर इंटिग्रेटेड रूरल डिवेलपमेंट नामक संस्था ने जेल की सजा काट चुकीं महिलाओं के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। कार्यक्रम में हिस्सा लेने आईं 3 पूर्व महिला कैदियों ने जेल के नारकीय अनुभव के बारे में मीडिया से बताया।
मदुरै के अन्नैयुर गांव की परमेश्वरी ने बताया कि उन्हें उनके अंकल कविरासु के साथ 16 फरवरी 2010 को रामनाथपुरम के कडालाडी से गिरफ्तार किया था। कुछ दिनों के बाद पुलिस ने उनके अंकल को एक एनकाउंटर में मार दिया और उन पर चोरी का झूठा केस बना कर जेल भिजवा दिया। पुलिस को डर था कि परमेश्वरी अगर बाहर रहेगी तो उसके चाचा के झूठे एनकाउंटर का पर्दाफाश हो जाएगा। परमेश्वरी ने बताया कि पुलिस उन्हें त्रिची की महिला जेल लेकर गई जहां उन्हें 23 फरवरी 2010 से 7 जून तक रखा गया।
परमेश्वरी ने बताया कि मुझे वॉर्डन ने दूसरे कैदियों के सामने नंगा कर दिया और गंदी गालियां भी दीं। वह मेरी जिंदगी का सबसे खराब अनुभव था। जब कैदियों पर ढाए गए इस जुल्म के बारे में आईजी (जेल) वी. के. त्रिपाठी से टाइम्स ऑफ इंडिया ने पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं इस बारे में कोई शिकायत करती हैं तो मामले की जांच की जाएगी।
वहीं, एक और पूर्व महिला कैदी मुनीअम्माल (50) और एम. मुथ्थुलक्ष्मी ने बताया कि उन्हें जेल की सजा के दौरान नारकीय अनुभव हुआ। मुनीअम्माल चोरी और मुथ्थुलक्ष्मी अवैध रूप से शराब बेचने के आरोप में जेल में बंद थीं। दोनों पूर्व महिला कैदियों ने बताया कि जेल में उन्हें खाने को पानी जैसा दाल मिलता था और उनके हिस्से के अंडे और दूध उनके बच्चों को दिए जाते थे। एक ही अंडे को दो टुकड़ों में बांटकर उनके बच्चों को दिया जाता था। एक ही सेल में आठ-आठ कैदियों को रखा जाता था जहां एक कोने में छोटा सा टॉइलेट था और सेल में कोई प्रिवेसी नहीं थी।
कार्यक्रम के संचालक एम. जीवा ने बताया कि उन्होंने 15 कैदियों की जीवनशैली की स्टडी की है। कैदियों ने उनसे जेल के अनुभवों में काफी कुछ बताया है। महिला कैदियों के लिए राज्य भर में कोई जेल सुरक्षित नहीं है। जेल की सजा के दौरान उन्हें नरक से भी बदतर जीवन गुजारना पड़ता है।
मदुरै के अन्नैयुर गांव की परमेश्वरी ने बताया कि उन्हें उनके अंकल कविरासु के साथ 16 फरवरी 2010 को रामनाथपुरम के कडालाडी से गिरफ्तार किया था। कुछ दिनों के बाद पुलिस ने उनके अंकल को एक एनकाउंटर में मार दिया और उन पर चोरी का झूठा केस बना कर जेल भिजवा दिया। पुलिस को डर था कि परमेश्वरी अगर बाहर रहेगी तो उसके चाचा के झूठे एनकाउंटर का पर्दाफाश हो जाएगा। परमेश्वरी ने बताया कि पुलिस उन्हें त्रिची की महिला जेल लेकर गई जहां उन्हें 23 फरवरी 2010 से 7 जून तक रखा गया।
परमेश्वरी ने बताया कि मुझे वॉर्डन ने दूसरे कैदियों के सामने नंगा कर दिया और गंदी गालियां भी दीं। वह मेरी जिंदगी का सबसे खराब अनुभव था। जब कैदियों पर ढाए गए इस जुल्म के बारे में आईजी (जेल) वी. के. त्रिपाठी से टाइम्स ऑफ इंडिया ने पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर महिलाएं इस बारे में कोई शिकायत करती हैं तो मामले की जांच की जाएगी।
वहीं, एक और पूर्व महिला कैदी मुनीअम्माल (50) और एम. मुथ्थुलक्ष्मी ने बताया कि उन्हें जेल की सजा के दौरान नारकीय अनुभव हुआ। मुनीअम्माल चोरी और मुथ्थुलक्ष्मी अवैध रूप से शराब बेचने के आरोप में जेल में बंद थीं। दोनों पूर्व महिला कैदियों ने बताया कि जेल में उन्हें खाने को पानी जैसा दाल मिलता था और उनके हिस्से के अंडे और दूध उनके बच्चों को दिए जाते थे। एक ही अंडे को दो टुकड़ों में बांटकर उनके बच्चों को दिया जाता था। एक ही सेल में आठ-आठ कैदियों को रखा जाता था जहां एक कोने में छोटा सा टॉइलेट था और सेल में कोई प्रिवेसी नहीं थी।
कार्यक्रम के संचालक एम. जीवा ने बताया कि उन्होंने 15 कैदियों की जीवनशैली की स्टडी की है। कैदियों ने उनसे जेल के अनुभवों में काफी कुछ बताया है। महिला कैदियों के लिए राज्य भर में कोई जेल सुरक्षित नहीं है। जेल की सजा के दौरान उन्हें नरक से भी बदतर जीवन गुजारना पड़ता है।
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