क्राइम रिपोर्टर // वसीम बारी (रामानुजगंज // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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रामानुजगंज। टीवी, सिनेमा देखने और कंडोम के इस्तेमाल के प्रश्न पर मुस्लिम समुदाय दो धडों में बंटगया है। जमायत-उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में युवाओं को टीवी और सिनेमा से दूर रहने को कहा है और कहा है कि एडस से बचाव के लिए जो उपाय (कंडोम) बताया जाता है, वही समाज में युवाओं के पतन का मुख्य कारण है। लेकिन उदारपंथी धडे ने इसकी मुखालफत की है।क्राइम रिपोर्टर से सम्पर्क : 9575248127
जमायत-उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में एक बैठक में प्रस्ताव पारित किया कि सभी गांवों और शहरों में मुस्लिम समाज को कमेटियां बनानी चाहिए, जो युवाओं को कडाई से धार्मिक रीति रिवाजों को मानने की शिक्षा दे और उन्हें टीवी, सिनेमा के अलावा दूसरे नैतिक रूप से भ्रष्ट करने वाले तरीकों से दूर रहने के लिए प्रेरित करे। लेकिन उदारवादी मुस्लिमों ने इसकी आलोचना की है।
आब्जेक्टिव स्टडीज संस्थान के चेयरमैन मो.मंजूर आलम ने कहा है कि यदि युवा टीवी ही नही देखेंगें तो वे पीस टीवी और विन टीवी, जो मुस्लिम धर्म के बारे में शिक्षा देतें है और जागरूक करते हैं को भी नहीं देख सकेंगे। उन्होने कहा कि टीवी चैनलों में ज्ञान और जानकारी की बातें भी आती हैं। अब युवाओं को अच्छे और बुरे के बीच अंतर करना होगा। लेकिन टीवी देखने से कैसे दूर रखा जा सकता है। आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से जुडे हुए मुंबई के वकील वाईएच मुछाला ने कहा कि यदि इस प्रस्ताव का अर्थ यह है कि कंडोम का विज्ञापन करने वाली कंपनियां भडकाउ विज्ञापन देती है तो यह तर्क माना जा सकता है। लेकिन षब्दों का चयन बेहतर होना चाहिए था। संगठन के प्रस्ताव से सही संदेष नही जा रहा है।
जामिया सेंटर फार दलित एंड माइनारिटी स्टडीज के प्रोफेसर मुकतबा खान के अनुसार सरकार द्वारा कंडोम का प्रचार-प्रसार वैज्ञानिक आधार पर किया जाता है। फिर यह सभी धर्म के लिए है, केवल मुस्लिम धर्म धर्म के लिए नहीं। यह तो जागरूकता का मामला है। यदि इन जानकारियों के ही उन्हें मुस्लिम धर्म के बारे में षिक्षा दी जाए, तो उनमें जागरूकता आएगी। जमायत-उलेमा-ए-हिंद द्वारा पारित प्रस्ताव में मुस्लिम युवाओं के धर्म से भटकने पर भी चिंता जताई गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि मुस्मि युवाओं में सेक्स, ड्रग्स का चलन काफी बढ गया है। मुस्लिम युवा पश्चिमी सभ्यता से ज्यादा प्रभावित हो रहें है और यदि यह जारी तो इसमें धर्म की पहचान का संकट पैदा हो सकता है। प्रस्ताव में आडंबरपूर्ण शादी की आलोचना की गई और दहेज प्रथा को पूरी तरह खत्म करने की बात कही है।
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