अगर आप विस्फोट.कॉम नियमित पढ़ते हैं तो हो सकता है आपने तुलसी सिंह बिष्ट का कमेन्ट देखा हो. एक दिन तुलसी सिंह मेरे पास आये कहने लगे कि, संजय जी अब मैं आपकी साइट उतना नहीं पढ़ता हूं. मैं नवभारत टाइम्स पढ़ता हूं और खूब कमेन्ट करता हूं. तुलसी की हिम्मत और इमानदारी कि उसने साफ साफ मुझे बता दिया, लेकिन अब मुझे लगता है कि तुलसी सही करते है. नवभारत टाइम्स जो कुछ दे रहा है वह सब लिखने-छापने की समझ अपने अंदर नहीं है इसलिए तुलसी तो नवभारत टाइम्स ही पढ़ेगा.
नवभारत टाइम्स ने एक नयी विधा विकसित की है. उस नयी विधा का नाम है- पोर्न पत्रकारिता. पोर्न पत्रकारिता के लिए नवभारत टाइम्स ने कई प्रकार के विभाजन कर रखे हैं जिसमें फटाफट सेक्स करने से लेकर सेक्स के दौरान हुए हादसों तक की रिपोर्टिंग की जाती है. इसके अलावा ऐसे उत्पादों, घटनाओं, व्यक्तियों, कथाओं को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया जाता है जो पोर्न पत्रकारिता को बढ़ावा देते हैं. ऐसे चित्रों को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है जिसमें स्त्री देह के ऐसे अंग दिखाई देते हों या फिर दिखाई देने का आभास देते हों ताकि लोग चोरी छिपे उसके साथ चिपके रहने की कल्पना कर सके.
टाइम्स समूह प्रगितिशील समूह है इसमें कोई शक नहीं है. वे समय के साथ अपने आप को नहीं बदलते, बल्कि अपने आप को बदल लेते हैं और कहना शुरू करते हैं कि समय बदल रहा है इसलिए वे क्या कर सकते हैं. फिर भी उस समूह की प्रगतिशीलता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. उस समूह ने जब नवभारत टाइम्स की साइट शुरू की तो शायद हिन्दी की सबसे बेहतरीन साइटों में एक बनाकर उसकी शुरूआत की. ज्यादा पुरानी बात नहीं है लेकिन अपनी शुरुआत के छोटे से ही अंतराल में नवभारत टाइम्स ने टाइम्स ग्रुप के कुल ट्रैफिक का 3.5 प्रतिशत हिस्सा बंटाना शुरू कर दिया है. नवभारत टाइम्स इंडिया टाइम्स का हिस्सा है और इंडिया टाइम्स दुनिया की दो सौ वेबसाइटों में से एक है तो देश की टाप टेन वेबसाइटों में भी शामिल है. इसलिए 3.5 प्रतिशत ट्रैफिक नवभारत टाइम्स से आता है तो इसे कम नहीं कहा जा सकता.
लेकिन अगर आपको यह गलतफहमी हो कि नवभारत टाइम्स को यह ट्रैफिक पत्रकारिता करके या सूचना लेने देने का काम करके मिल रहा है तो एक बार दोबारा विचार करिए. इतना ट्रैफिक जुगाड़ने के लिए नवभारत टाइम्स बाकायदा पोर्न पत्रकारिता कर रहा है. किसी के लिए भी नवभारत टाइम्स को गाली देना आसान होगा लेकिन नवभारत टाइम्स को ऐसी आलोचनाओं और गालियों से फर्क नहीं पड़ता. नवभारत टाइम्स के रणनीतिकार (मैनेजमेन्ट) जानते हैं कि हिन्दी का ट्रैफिक कैसे अपनी ओर मोड़ा जा सकता है. हमें आपको पता हो न हो, इण्डिया टाइम्स समूह के रणनीतिकारों को मालूम है कि इंटरनेट पर क्या देने से लोग छुप छुपाकर नभाटा की ओर खिंचे चले आयेंगे. इसलिए नवभारत टाइम्स ने वेब पत्रकारिता में अपना पैर जमाने के लिए जमकर पोर्न पत्रकारिता कर रहा है और अच्छे खासे लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.
नवभारत टाइम्स की ही तर्ज पर दैनिक भास्कर ने भी अपने पोर्टल पर सेक्स ज्ञान बांटना शुरू किया था लेकिन न जाने उन्हें कैसा महसूस हुआ कि एकदम से अपने कदम पीछे खींच लिये. लेकिन नवभारत टाइम्स की पोर्न पत्रकारिता का अभियान जारी है. हो सकता है नवभारत टाइम्स के मैनेजमेन्ट वाले तर्क दें जनता जो पढ़ना चाहती है वह हम उस उसे पढ़ा रहे हैं. लेकिन मैनेजमेन्ट के इरादे भी नेक लगते नहीं है. थोड़ा सा भी तकनीकि जानकार समझ जाएगा कि नवभारत टाइम्स की वेबसाइट में जानबूझकर वे पक्ष उभारकर सामने रखे गये हैं जो पोर्न पत्रकारिता की पाठशाला खोलकर बैठे हैं. लेकिन एक दूसरी हकीकत यह भी है कि इंटरनेट की तरफ आ रहे लोग सबसे पहले सेक्स ज्ञान पर भी हाथ साफ करना चाहते हैं. ऐसे में अब नवभारत टाइम्स लगभग पूर्ण पोर्न साइट का स्वरूप न धारण करे तो जनता की सेवा कैसे करेगी? प्रगतिशील घराना है, समय बदलता है सब कुछ बदल जाता है. किसी दौर में नवभारत टाइम्स ने साहित्य की पत्रकारिता की थी, अब वह सेक्स की पत्रकारिता कर रहा है.
इसे गलत सही ठहराने की बजाय एक निजी सुझाव देना चाहता हूं. भोपाल में पत्रकारिता पढ़ानेवाले देश के सबसे प्रतिष्ठित माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय की योजना है कि वह पर्यावरण पत्रकारिता पर एक नया कैंपस शुरू करे. अब नवभारत टाइम्स के वेब संस्करण को देखकर एक और विचार मन में जागता है कि हमारे देश के मीडिया संस्थानों को पोर्न पत्रकारिता पढ़ाने की दिशा में सोचना चाहिए. अगर इंटरनेट पर हिन्दी पोर्न की ही भाषा होकर बचेगी तो निश्चित रूप से इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए. नवभारत टाइम्स पत्रकारों और पत्रकार संस्थानों को एक रास्ता दिखा रहा है जो कि वर्तमान इंटरनेट की हकीकत भी है. इसलिए माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से भी मेरा विनम्र निवेदन है कि इस बारे में सोचें और सोच कम पड़ जाए तो टाइम्स समूह के प्रबंधकों से मिलकर अपना ज्ञानवर्धन करें, तथा ऐसे किसी कोर्स को डिजाइन करें. नवभारत टाइम्स जैसे पोर्टल और तुलसी सिंह जैसे पाठक हमें भविष्य की पत्रकारिता का रास्ता दिखा रहे हैं.
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