जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य साइबर सेल के अधिकारियों द्वारा कलिनायक के प्रकाशकों को धमकी देने के मामले में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को जांच के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश एके श्रीवास्तव की एकलपीठ ने डीजीपी को निर्देश दिए कि या तो वे स्वयं मामले की जांच करें या पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को जांच के लिए नियुक्त करें। यह याचिका कलिनायक के प्रकाशकों संजीव जैन, प्रेम जैन व उनके छह सहयोगियों की ओर से दायर की गई थी।
याचिका में मांग की गई कि गई थी कि कलिनायक में वर्णित अपराधों की जांच की जाए और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हो।
राजस्थान कलिनायक पब्लिकेशन ने कलिनायक पुस्तक का प्रकाशन किया। पुस्तक में दैनिक भास्कर के चेयरमैन रमेश चन्द्र अग्रवाल पर टिप्पणियां की गई हैं। दैनिक भास्कर में इस पुस्तक का विज्ञापन प्रकाशित हुआ। इसके बाद किताब के लेखक और प्रकाशक को धमकी मिलने लगी। याचिका में यह भी कहा गया कि भोपाल की साइबर पुलिस पुस्तक और पब्लिकेशन की वेबसाइट को बंद करवाने के लिए अनावश्यक दबाव बना रही है तथा ऎसा नहीं करने पर झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे रही है।
प्रकाशकों ने प्रदेश के डीजीपी और पुलिस अधीक्षक सहित साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उन्हें लगातार धमकी मिल रही है। शिकायत में कहा गया कि साइबर पुलिस के जांच अधिकारी सुनील रजोरा और दो अन्य पुलिस कर्मियों ने 12 फरवरी को कोलकाता पहुंचकर प्रकाशक प्रेम जैन को धमकाया और कहा कि अगर पुस्तक व वेबसाइट का प्रकाशन बंद नहीं किया तो उनके खिलाफ गैर जमानती धारा लगाकर जेल में बंद कर देंगे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पारितोष गुप्ता एवं पुष्पेन्द्र यादव ने पैरवी की तथा राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता सुदेश वर्मा ने पक्ष रखा।
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