क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
क्राइम रिपोर्टर से सम्पर्क : 9407170100
toc news internet chainal
क्राइम रिपोर्टर से सम्पर्क : 9407170100
toc news internet chainal
शहडोल । ज्ञात हो कि रविवार को शाम के वक्त भीडभाड़ बढ़ जाती है जिससे पुलिस विभाग के कर्मचारी चौराहों-तिराहों पर तैनात होने के बावजूद मिनी बस, मेटाडोर, पिकप, टै्रक्टर लोड होकर इन चौराहों से गुजरते है जिससे टै्रफिक बढ़ जाती है। इन्हें रोकने के लिए कल से अभियान चलाया जा रहा है। जिससे सुबह 9 बजे के बाद रात 9 बजे तक को कोई भी भारी वाहन शहर के अंदर प्रवेश न करें।
जिसमेें रविवार को 8-10 टै्रक्टर पकड़े गये कुछ व्यवहार में छोड़े गये जिसके चलते कुछ लोगों में रोष आया और वे अब पुलिस से बदसलूकी भी करना शुरू कर दिया है कहा जाता है कि तुम मेरी गाड़ी कैसे रोक लिए जानते नहीं हो मै कौन हूं। ऐसा इसलिए कहते है कि वरिष्ठ अधिकारी उनके दोस्त हैं बेचारे सिपाही सुनकर खून की घूंट पी लेते हैं। ऐसा ही एक मेटाडोर जो कि गन्ने से लदा शहर के अंदर घुसा चला आ रहा था जिसे जयस्तंभ चौक पर नहीं रोका गया शायद तैनात पुलिस के रिश्तेदार रहे होंगे। राजेन्द्र टाकीज तिराहे पर मेटाडोर क्रमांक एमपी 18 जी ए 0305 को जानकी प्रसाद चतुर्वेदी द्वारा रोका गया परंतु ड्राइवर नही रोक रहा था फिर दौड़कर आगे खड़े होकर रोकने पर वह ऊपर चढऩे लगा तभी वायरलेस सेट द्वारा तत्काल अपने वरिष्ठ को बताया तक जाकर वह वाहन साइड में लगाया परंतु वरिष्ठ आफीसर आकर अपना व्यवहार जताते हुए छोड़ दिये क्योकि उनके दोस्त की गाड़ी थी सवाल यह उठता है कि शहर में तो सभी एक दूसरे के परिचालक हैं तो क्या पुलिस अपनी कार्यवाही नहीं करेगी। वहीं उक्त ड्यूटी पर उपस्थित कर्मचारी को रौंद कर भाग जाता तो क्या वे वरिष्ठ अधिकारी उसका जीवन वापस कर सकते थे। ज्ञात होना चाहिए कि चौराहे पर तैनात कर्मचारी अपने सेट से उच्चाधिकारी को बताया है क्या सभी अधिकारी नहीं सुने या सुनकर अनसुना कर दिया गया जबकि कर्मचारी की मदद करने के लिए उक्त वाहन पर जुर्माना के साथ-साथ ड्राइवर पर भी मुकदमा दर्ज करना चाहिए था। पर ऐसा कुछ भी नहीं किया गया और छोड़ दिया अगर ऐसा ही रहा तो शायद शहर में भारी वाहन प्रवेश कोई बंद नही कर सकेगा।
क्योंकि एक सिपाही वाहन रोकता है तो दूसरा वरिष्ठ आकर छोड़ देता है ठीक उसी समय उच्चाधिकारी आते हैं तो उपस्थित सिपाही को दण्डित करते हैं आखिर उनकी गलती क्या है यह जरूर है कि वे अपने वरिष्ठ से लिखित नहीं ले सकते बस यही उनकी हार होती है। वे अपनी ड्यूटी करें तो फंसे न करे तो फंसे सिर्फ छोटे कर्मचारी ही पिस जाते हैं। अगर जिला प्रशासन नो इंट्री के वक्त भारी वाहन शहर के अंदर नही आने देना चाहती तो उन्हे सख्त कदम उठाते हुए सख्त आदेश भी जारी करना होगा अगर एक भी वाहन छूटे तो वरिष्ठों को उसकी सजा दी जानी चाहिए या फिर हर सिपाही जो तिराहे-चौराहों पर हैं वहां दो कर्मचारी रखें जिससे एक ड्यूटी पर रहे तो दूसरा वाहन लेकर सुरक्षित स्थान पर खड़ा कर सके। पुलिस विभाग अपनी रिश्तेदारी छोड़कर काम करना सीखे और कार्यवाही में अपना योगदान देवें जिससे शहर में यातायात की व्यवस्था बनाई जा सके।
जिसमेें रविवार को 8-10 टै्रक्टर पकड़े गये कुछ व्यवहार में छोड़े गये जिसके चलते कुछ लोगों में रोष आया और वे अब पुलिस से बदसलूकी भी करना शुरू कर दिया है कहा जाता है कि तुम मेरी गाड़ी कैसे रोक लिए जानते नहीं हो मै कौन हूं। ऐसा इसलिए कहते है कि वरिष्ठ अधिकारी उनके दोस्त हैं बेचारे सिपाही सुनकर खून की घूंट पी लेते हैं। ऐसा ही एक मेटाडोर जो कि गन्ने से लदा शहर के अंदर घुसा चला आ रहा था जिसे जयस्तंभ चौक पर नहीं रोका गया शायद तैनात पुलिस के रिश्तेदार रहे होंगे। राजेन्द्र टाकीज तिराहे पर मेटाडोर क्रमांक एमपी 18 जी ए 0305 को जानकी प्रसाद चतुर्वेदी द्वारा रोका गया परंतु ड्राइवर नही रोक रहा था फिर दौड़कर आगे खड़े होकर रोकने पर वह ऊपर चढऩे लगा तभी वायरलेस सेट द्वारा तत्काल अपने वरिष्ठ को बताया तक जाकर वह वाहन साइड में लगाया परंतु वरिष्ठ आफीसर आकर अपना व्यवहार जताते हुए छोड़ दिये क्योकि उनके दोस्त की गाड़ी थी सवाल यह उठता है कि शहर में तो सभी एक दूसरे के परिचालक हैं तो क्या पुलिस अपनी कार्यवाही नहीं करेगी। वहीं उक्त ड्यूटी पर उपस्थित कर्मचारी को रौंद कर भाग जाता तो क्या वे वरिष्ठ अधिकारी उसका जीवन वापस कर सकते थे। ज्ञात होना चाहिए कि चौराहे पर तैनात कर्मचारी अपने सेट से उच्चाधिकारी को बताया है क्या सभी अधिकारी नहीं सुने या सुनकर अनसुना कर दिया गया जबकि कर्मचारी की मदद करने के लिए उक्त वाहन पर जुर्माना के साथ-साथ ड्राइवर पर भी मुकदमा दर्ज करना चाहिए था। पर ऐसा कुछ भी नहीं किया गया और छोड़ दिया अगर ऐसा ही रहा तो शायद शहर में भारी वाहन प्रवेश कोई बंद नही कर सकेगा।
क्योंकि एक सिपाही वाहन रोकता है तो दूसरा वरिष्ठ आकर छोड़ देता है ठीक उसी समय उच्चाधिकारी आते हैं तो उपस्थित सिपाही को दण्डित करते हैं आखिर उनकी गलती क्या है यह जरूर है कि वे अपने वरिष्ठ से लिखित नहीं ले सकते बस यही उनकी हार होती है। वे अपनी ड्यूटी करें तो फंसे न करे तो फंसे सिर्फ छोटे कर्मचारी ही पिस जाते हैं। अगर जिला प्रशासन नो इंट्री के वक्त भारी वाहन शहर के अंदर नही आने देना चाहती तो उन्हे सख्त कदम उठाते हुए सख्त आदेश भी जारी करना होगा अगर एक भी वाहन छूटे तो वरिष्ठों को उसकी सजा दी जानी चाहिए या फिर हर सिपाही जो तिराहे-चौराहों पर हैं वहां दो कर्मचारी रखें जिससे एक ड्यूटी पर रहे तो दूसरा वाहन लेकर सुरक्षित स्थान पर खड़ा कर सके। पुलिस विभाग अपनी रिश्तेदारी छोड़कर काम करना सीखे और कार्यवाही में अपना योगदान देवें जिससे शहर में यातायात की व्यवस्था बनाई जा सके।
No comments:
Post a Comment