बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल। बीते जमाने में कभी स्कूल की सूरत मक नहीं देख सकी दादी को अब उसकी पोती अनार, आम लिखना एवं पढऩा सीखाने जा रही हैं। भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना के तहत आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की सभी 558 ग्राम पंचायतो के ग्रामों से लेकर नगरीय निकायों में रहने वाली पचास साल की उम्र पार कर चुकी दादी अम्मा अपनी पोती से क ख ग लिखना, पढऩा शुरू करेगी तो उसे देख कर आपको आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं, क्योकि भारत साक्षरता अभियान अब अपने नए स्वरूप में नए रंग , रूप में आ गया हैं।
स्कूल चले अभियान की अपार सफलता के बाद गांवों के किसी कोने में दुबकी पड़ी दादी को भी उसकी पोती पढऩा लिखना सीखने के लिए प्रेरित करेगी। गरीब परिवार की यशोदा हो या फिर जशोदा सभी पौढ़ शिक्षा अभियान से जुड़े ऐसे प्रयास भारत एवं राज्य सरकार के सांझा कार्यक्रम के तहत किए जा रहे हैं। साक्षर भारत अभियान 2012 के तहत मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में जशोदा बाई जैसी सैकड़ों महिलाओं को साक्षर करने का अभियान शुरू किया गया है। देशव्यापी अभियान जिन 6 करोड़ निरक्षर महिलाओं को शामिल किया गया हैं उसमें मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की भी महिलाएं शामिल हैं। मध्यप्रदेश के इस अभियान में शामिल दस जिलों में शुरू की गई उनमें उन गांवों एवं निकायों का चयन किया गया हैं जहां पर महिला साक्षरता की दर 50 प्रतिशत से कम है। इस समय बैतूल जिले में महिला साक्षरता की दर 47 प्रतिशत है। साक्षर अभियान को लेकर जिलास्तर पर काम भी शुरू हो चुका है। साक्षर भारत अभियान के तहत पांच हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायतों में लोक शिक्षा केंद्र खोले जाएंगे। यह ग्राम पंचायत द्वारा उपलब्ध भवन में प्रेरक के माध्यम से संचालित किए जाएंगे। यह लोक शिक्षा केंद्र बहुआयामी गतिविधियों के संचालन का केंद्र होगा। यहां पर पठन-पाठन, पुस्तकालय, सूचना तकनीकी, कौशल विकास प्रशिक्षण, कानूनी साक्षरता, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, विभागीय समन्वय, सूचना खिड़की, चर्चा मंडल, खेलकूद, मनोरंजक व सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। यहां पर साक्षरता से संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों का दस्तावेजीकरण भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत निरक्षरों का क्षेत्रवार सर्वेक्षण कर उनकी साक्षरता आवश्यकताओं का आकलन किया जाएगा। निरक्षरों को तीन सौ घंटों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप अनुदेशक आधारित कार्यात्मक साक्षरता प्रदान की जाएगी। तीन सौ घंटों की पढ़ाई-लिखाई के बाद शिक्षार्थी पढऩा-लिखना व गणित सीख जाएंगे। मूल्यांकन के बाद उन्हें एक प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया जाएगा। अभियान के तहत अस्थाई साक्षरता केंद्रों के माध्यम से एक स्वयंसेवी आठ से दस निरक्षरों को पढ़ाएगा। इसी प्रकार अगले तीन माह के सौ घंटों में दिशा निर्देश प्रदान किए जाएगें जिनके सौ घंटों के बाद शिक्षार्थी कक्षा तीसरी के स्तर तक पहुंच जाएंगे। इसके लिए उन्हें अलग से प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। जनशिक्षण संस्थान को संस्थागत रूप से प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों से जोड़कर नवसाक्षरों को रोजगारोन्मुखी कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए वे अपना ही बजट उपयोग में लाएंगे। साथ ही सतत शिक्षा के तहत नवसाक्षरों को जीवनपर्यत शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। जिले के निरक्षरों को साक्षर करने के लिए एक नया अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है। जल्द ही साक्षरता अभियान शुरू कर किया जाएगा। फिलहाल जनपद एवं जिला स्तर पर खाते खोलने का काम किया जा रहा है। संजीव श्रीवास्तव साक्षर भारत अभियान जिला प्रभारी बैतूल के अनुसार बैतूल जिले में पूर्व में साक्षरता अभियान एवं स्कूल चले अभियान के तहत मिली सफलता के बाद अब पौढ़ शिक्षा को भी पहली प्राथमिकता के तहत लिया गया हैं। प्रदेश के अन्य नौ जिलों में श्योपुर, मुरैना, टीकमगढ़, दतिया, कठटनी, मंडला, मंदसौर , झाबुआ तथा खरगोन को शामिल किया गया हैं। हालाकि इस अभियान में अनुसूचित जाति, अनूसचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक तथा किशोरो को भी साक्षर करने की मुहीम उठाई जाएगी। इस अभियान में पूरी लगन से जूट कर साक्षर-निरक्षर की खाई को पाटने में सभी साक्षरता कॢमयों व जागरूक सज्जनों का योगदान भी लिया जाएगा।
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