बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल। भोपाल में चल रही विधानसभा में बैतूल की रेत खदान का मामला उठाने एवं बोली को प्रभावित करने को लेकर कांग्रेसी नेता समीरखान के द्वारा डीजल डाल कर आत्महत्या करने के फिल्मी ड्रामा का कोई हश्र नहीं निकला। पूरी गरमा गर्मी के बीच हुआ वहीं जो जिला प्रशासन ने चाहा। दो दिनो से चल रहा गौण खनीज खदानों की तथाकथित नीलामी में सुलगा बवाल कलेक्ट्रेट गेट पर विस्फोटक रूप में सामने आया। जिसमें कलेक्ट्रेट गेट के सामने आत्मदाह की कोशिश, धरना प्रदर्शन, कलेक्टर से तीखी नोंक-झोक और नीलामी के बहिष्कार का ड्रामा के एक घंटे तक चलने के बाद अपने आप फुस्सी फटाके की तरह फुस्स हो गया। पूरा कलेक्ट्रेट परिसर पुलिस की छावनी में बदल जाने के एवं विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के पेश करने के बाद भी खदानो की नीलामी निरस्त नहीं हुई। अभी तक गायब रही बहुचर्चित 17 खदानों को नीलामी में शामिल नहीं किया गया।
जिसको लेकर सवाल खड़े कर दिए लेकिन कलैक्टर एवं खनीज विभाग ने गुमनाम खदानों की आड़ में खदानो की लीज लेकर गोरख धंधा करने वालों के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। नीलामी को लेकर विरोधकर्ताओं ने एसडीएम संजीव श्रीवास्तव को ज्ञापन भी सौंपा और प्रशासन के विरोध में जमकर नारेबाजी की। इस बीच समीर खान एवं रत्नदीप अग्रवाल की झड़प और नीलामी रूक जाने का पूरा फायदा शासन को राजस्व के रूप में मिला है। जिले की गौण खनीज की 85 हजार की खदान 12.52 लाख में और 1.68 लाख की खदान 11.69 लाख में नीलाम हुई। बैतूल में सिंडीकेट के आधार पर नीलामी की स्थिति और बवाल की गूंज भोपाल तक हो गई। कांग्रेस के तीन विधायकों ने अलग-अलग स्थगन विधानसभा में लगाए हैं। मुलताई विधायक सुखदेव पांसे ने बताया कि उन्होंने और विधायक आरिफ अकील ने इस मामले में सत्तापक्ष के नेताओं द्वारा प्रशासन की मदद से की जा रही खदान की खरीदी में स्थगन लगाया है जिसमें प्रशासन द्वारा जवाब देने के बाद पूरी नीलामी प्रक्रिया को निरस्त करने के साथ-साथ 17 खदानें बिना नोटिफिकेशन के बंद कर नीलामी में शामिल न करने पर खनिज अधिकारी पर कार्रवाई के लिए विधानसभा में मांग की जाएगी।
बैतूल जिले की बहुचर्चित गौण खनीज खदानो सरकारी कीमत- 1.85 लाख रूपए थी जो रीतेश पंवार ने 6.12 लाख में ली। इसी तरह पीपरी रेत खदान की सरकारी कीमत- 1.60 लाख रूपए थी जिसे सुरेन्द्र पाल ने 8 लाख में ली। खमालपुर रेत खदान की सरकारी कीमत- 8.44 लाख रूपए थी जिसे अभिषेक अग्रवाल ने 13.52 लाख में ली। इसी तरह दनोरा रेत खदान की सरकारी कीमत- 1.68 लाख रूपए थी जिसे पुल्कीत मालवीय ने 11.79 लाख में ली।
आमला रोड़ पर स्थित नाहिया पत्थर खदान की सरकारी कीमत- 2.57 लाख रूपए थी जिसे नवीन राठौर ने 4.36 लाख में ली। टेमनी एक मुरम खदान की सरकारी कीमत- 25 हजार थी जिसे मुकेश वर्मा ने 29 हजार रूपए में ली। टेमनी दो मुरम खदानकी सरकारी कीमत- 50 हजार रूपए थी जिसे राजेन्द्र सिंह किलेदार ने 55 हजार रूपए में ली। झाड़कुंड रेत खदान की सरकारी कीमत- 85 हजार रूपए थी जिसे सुरेन्द्र पाल ने 12.75 लाख में ली।
घोड़ाडोंगरी रेत खदान की सरकारी कीमत- 1.25 लाख रूपए थी जिसे सुनील खरसे ने 20.03 लाख में ली। बैतूल. फसाद के बाद हुई नीलामी में टसल का फायदा यह रहा कि पैसा नीलामी में बरस पड़ा। 10 खदानों की नीलामी हुई। वहीं बाकुड़ की पत्थर खदान बोलीदार न होने से नीलाम न हो पाई। सबसे ज्यादा महंगी खदान घोड़ाडोंगरी की गई है। 31 खदानों की नीलामी का दौर देर रात तक चला। कलेक्ट्रेट परिसर में आज पैसा बरस रहा था। रेत खदानों के मामले में बोलीदार हजार, दो हजार रूपए के हिसाब से बोली लगा रहे थे। बैतूल जिले 47 गौण खनिज खदानों की नीलामी के दौरान भाजपा संगठन के लोग ही सरकार के खिलाफ कांग्रेस के सुर में सुर मिला कर इस नीलामी का विरोध कर रहे थे लेकिन हुआ वहीं जो दबंग एवं पहुंच वाले ठेकेदारों ने चाहा।
जिसको लेकर सवाल खड़े कर दिए लेकिन कलैक्टर एवं खनीज विभाग ने गुमनाम खदानों की आड़ में खदानो की लीज लेकर गोरख धंधा करने वालों के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। नीलामी को लेकर विरोधकर्ताओं ने एसडीएम संजीव श्रीवास्तव को ज्ञापन भी सौंपा और प्रशासन के विरोध में जमकर नारेबाजी की। इस बीच समीर खान एवं रत्नदीप अग्रवाल की झड़प और नीलामी रूक जाने का पूरा फायदा शासन को राजस्व के रूप में मिला है। जिले की गौण खनीज की 85 हजार की खदान 12.52 लाख में और 1.68 लाख की खदान 11.69 लाख में नीलाम हुई। बैतूल में सिंडीकेट के आधार पर नीलामी की स्थिति और बवाल की गूंज भोपाल तक हो गई। कांग्रेस के तीन विधायकों ने अलग-अलग स्थगन विधानसभा में लगाए हैं। मुलताई विधायक सुखदेव पांसे ने बताया कि उन्होंने और विधायक आरिफ अकील ने इस मामले में सत्तापक्ष के नेताओं द्वारा प्रशासन की मदद से की जा रही खदान की खरीदी में स्थगन लगाया है जिसमें प्रशासन द्वारा जवाब देने के बाद पूरी नीलामी प्रक्रिया को निरस्त करने के साथ-साथ 17 खदानें बिना नोटिफिकेशन के बंद कर नीलामी में शामिल न करने पर खनिज अधिकारी पर कार्रवाई के लिए विधानसभा में मांग की जाएगी।
बैतूल जिले की बहुचर्चित गौण खनीज खदानो सरकारी कीमत- 1.85 लाख रूपए थी जो रीतेश पंवार ने 6.12 लाख में ली। इसी तरह पीपरी रेत खदान की सरकारी कीमत- 1.60 लाख रूपए थी जिसे सुरेन्द्र पाल ने 8 लाख में ली। खमालपुर रेत खदान की सरकारी कीमत- 8.44 लाख रूपए थी जिसे अभिषेक अग्रवाल ने 13.52 लाख में ली। इसी तरह दनोरा रेत खदान की सरकारी कीमत- 1.68 लाख रूपए थी जिसे पुल्कीत मालवीय ने 11.79 लाख में ली।
आमला रोड़ पर स्थित नाहिया पत्थर खदान की सरकारी कीमत- 2.57 लाख रूपए थी जिसे नवीन राठौर ने 4.36 लाख में ली। टेमनी एक मुरम खदान की सरकारी कीमत- 25 हजार थी जिसे मुकेश वर्मा ने 29 हजार रूपए में ली। टेमनी दो मुरम खदानकी सरकारी कीमत- 50 हजार रूपए थी जिसे राजेन्द्र सिंह किलेदार ने 55 हजार रूपए में ली। झाड़कुंड रेत खदान की सरकारी कीमत- 85 हजार रूपए थी जिसे सुरेन्द्र पाल ने 12.75 लाख में ली।
घोड़ाडोंगरी रेत खदान की सरकारी कीमत- 1.25 लाख रूपए थी जिसे सुनील खरसे ने 20.03 लाख में ली। बैतूल. फसाद के बाद हुई नीलामी में टसल का फायदा यह रहा कि पैसा नीलामी में बरस पड़ा। 10 खदानों की नीलामी हुई। वहीं बाकुड़ की पत्थर खदान बोलीदार न होने से नीलाम न हो पाई। सबसे ज्यादा महंगी खदान घोड़ाडोंगरी की गई है। 31 खदानों की नीलामी का दौर देर रात तक चला। कलेक्ट्रेट परिसर में आज पैसा बरस रहा था। रेत खदानों के मामले में बोलीदार हजार, दो हजार रूपए के हिसाब से बोली लगा रहे थे। बैतूल जिले 47 गौण खनिज खदानों की नीलामी के दौरान भाजपा संगठन के लोग ही सरकार के खिलाफ कांग्रेस के सुर में सुर मिला कर इस नीलामी का विरोध कर रहे थे लेकिन हुआ वहीं जो दबंग एवं पहुंच वाले ठेकेदारों ने चाहा।
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