बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल। मुझे आज अपने आपको कांग्रेसी कहलाने में इसलिए शर्म आ रही हैं कि कुछ लोगो ने कांग्रेस की आड़ में अपनी स्वार्थ सिद्धी का नया तरीका अपना लिया है। आज अपने आप को कांग्रेसी कहने वाले आरीफ भाई को भोपाल का नाम बदलने में इतना दुख हो रहा हैं कि वे हाय तौबा मचाने लग गए। भोपाल के विधायक आरीफ अकील तर्क देते हैं कि भोपाल के लोगो को स्वंय को भोपाली कहलाना पसंद हैं भोजपाली नहीं ....? आरीफ भाई न तो पूरे भोपाल के नवाब है और न ठेकेदार इसलिए उनका यह कहना सरासर तानाशाही और शांत भोपाल के तालाब में बेवजह का विस्फोट करके उसमें सुनामी की तरह लहरे पैदा करके शांत वातावरण को बिगाडऩे का प्रयास हैं। एक हजार साल बाद यदि भोपाल को बसाने वाले राजा भोज को भोपाल में सम्मान मिला है और यदि भोपाल का नाम भोजपाल हो जाता हैं तो आरीफ अकील का क्या चला जाता हैं...? आरीफ भाई आप जैसे संकीर्ण मानसिकता के लोगो से मध्यप्रदेश के पूर्व राज्यपाल कुंवर मेहमुद अली खां सौ का सौ अरब गुणा अच्छे हैं। कुंवर मेहमुद अली ने बिन किसी शर्म और हया के बैतूल में डंके की चोट पर कहा और स्वीकार किया कि उसके पूर्वज महान पराक्रमी पंवार राजा भोज के वंशज हैं। स्वंय को पंवार बताने वाले कुंवर मेहमुद अली से अच्छा मुसलमान कोई नहीं हो सकता। धर्म और कुरान इसी बात की सीख देते हैं कि सच को स्वीकार करों। सच का सामना करो। सच को स्वीकार करो। आज आरीफ अकील भोपाल का मूलनाम भोजपाल बदलने से इतने खफा हो गए कि वे हने लगे कि हमारी सरकार आएगी तो हम भोजपाल को भोपाल कर देगें। क्या कांग्रेस आरीफ भाई के इशारे पर चलती हैं या फिर उनकी गुलाम हैं कि भाई जान ने कह दिया वहीं होगा। मैं कांग्रेसी होने के नाते आरीफ भाई से सवाल करता हूं कि भोपाली सिर्फ मुसलमान नहीं हैं क्योकि भोपाल में पंवार और अन्य समाज ,जाति , धर्म , सम्प्रदाय के लोग भी रहते हैं। पूरे भोपाल के आप अकेले ठेकेदार नहीं हैं और फिर भाईजान यह प्रजातंत्र हैं इसमें किसी एक व्यक्ति या सम्प्रदाय के विरोध के चलते बहुसंख्यक समाज या वर्ग विशेष की उपेक्षा नहीं की जा सकती। आरीफ भाई यह आपकी व्यक्तिगत राय हो सकती हैं लेकिन आप अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस को मोहरा बनाने की कोशिस न करे। मुझे भाजपा कतई पंसद नहीं क्योकि मैं हिन्दुवादी मानसिकता से ऊपर उठ कर सोचता हूं। मैं न तो धर्म के प्रति कटट्र हूं और न जाति के प्रति मैं आस्था एवं निष्ठा के प्रति उग्र रहा हूं। मैंने भी भोपाल को बदलते देखा हैं यदि नाम बदल दिया गया तो आपको तकलीफ क्या हैं....? आपको भोपाली कहलाना पसंद हैं तो आरीफ अकील की जगह आरीफ भोपाली अपना नाम लिखना एवं कहलाना शुरू कर दो लेकिन उस सर्व शक्तिमान परमेश्वर जिसे आप पैगम्बर कहते हैं उसके लिए समाज और सम्प्रदाय में बिखराव लाने का प्रयास न करे तो अच्छा हैं। अगर किसी शहर या क्षेत्र के दो नाम हो जाते है तो तकलीफ किस बात की हैं। चेन्नई और मद्रास , मुम्बई और बम्बई आखिर तकलीफ क्या हैं मेरे भाई....? मैं दिल से उस सोच का सलाम करता हूं जिसने राजा भोज को एक हजार साल बाद मान - सम्मान दिया। राजा भोज के समय न तो आरीफ भाई आप थे और न कोई मुसलमान वहां पर था। भोपाल तो मुगल शासन काल में एक रियासत के रूप में नवाबों को बतौर तोहफा मिला हैं। भोपाल की गलियां और कलियां तक इस बात की साक्षी हैं कि आज का भोपाल कल का भोजपाल था। जब हमें मालूम हैं कि सच का क्या हैं तब उसे स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। राजा भोज के वंशज हम धारवंशी पंवार आपकी इस ओछी मानसिकता की निंदा करते हैं क्योकि आप हमारे मान सम्मान के प्रतिक राजा भोज के द्वारा बसाये गए भोपाल का नाम भोजपाल बदलने पर बेमतलब का विवाद पैदा कर रहे हैं। भोपाल की विधानसभा में पंवारों का भी जनाधार हैं और दोनो ही पार्टी इस बात को जानती हैं जहां धार है वहां पंवार हैं। कल तक भले ही अपने आपकी पहचान छुपा कर शर्मसार जिंदगी जी रहे पंवारों को और उनके राजा महाराजाओं को यदि अपनी पुरानी पहचान और मान सम्मान मिल रहा हैं तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। आपके जैसे लोगो की ओछी मानसिकता ही भारत देश धर्म जाति समाज सम्प्रदाय के नाम पर समय - समय पर फसाद को जन्म देती हैं। मेरा यह मतलब कदापि किसी एक व्यक्ति के लिए है न कि पूरी जमात या कौम के लिए। सबसे अच्छा व्यक्ति वही है जो समाज जाति वर्ग धर्म सम्प्रदाय से ऊपर उठ कर सोचे। मुझे आज इस बात का गर्व हैं कि मेरे वंशज पंवार थे और वे राजा भोज की बसाई धारा नगरी से आए थे। आज हम सभी धारवंशी पंवारों की ओर से आरीफ भाई आपसे अपील हैं कि आप पंवारो की भावनाओं का सम्मान करे और बेवजह किसी भी मामले को तूल न दे।
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