महंगा पड़ा दबंगो की पुलिस थाने में शिकायत करना
बैतूल // राम किशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल , कितनी शर्मनाक बात हैं कि देश भक्ति जनसेवा का तमगा लगाने वाली पुलिस को जनसेवा करनी चाहिए लेकिन वह उसी जन को पैरो की जूती समझती हैं जिसकी रखवाली का उस पर दायित्व हैं। पुलिस इतनी निर्दयी होती हैं कि उसे अपने खिलाफ और उनको उपकृत करने वालो को किसी भी प्रकार की शिकवा - शिकायते पसंद नहीं। बलढाना के ग्रामीणो को पहले तो उन लोगों को गांव के दबंग लोगों ने मारा, जब शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचते तो पुलिस ने मामले की सुनवाई की जगह उनकी ही पिटाई कर दी। वे अब न्याय की गुहार लगाए भटक रहे हैं। उक्त शर्मसार मामले के शिकार आमला ब्लॉक के बिसखान ग्राम पंचायत के बलढाना के आदिवासी ग्रामवासी है। बलढाना गांव के कुछ आदिवासी ट्रैक्टर में सवार होकर खामढाना के मेले जा रहे थे। रास्ते में डुढारिया गांव के शिवराज रघुवंशी और जयप्रकाश पिता कुसमू ने उनकी जीप ट्रैक्टर के सामने अड़ा दी और ट्रैक्टर ड्राइवर मुकेश को उतरने का बोलने लगे। मुकेश नहीं उतरा तो उसकी कालर पकड़कर उसे उतारकर मारपीट करना शुरू कर दिया। शिवराज का कहना था कि मुकेश उसके मजदूरों को बहकता है। देर तक उन्होंने मुकेश की पिटाई की। ट्रैक्टर में सवार लोगों ने बीच-बचाव किया तो मुकेश वहां से भाग गया। इसके बाद रात में सभी लोग बोरदेही थाने में मारपीट की शिकायत करने पहुंचे तो थाने में पदस्थ हैड कांस्टेबल सुखदेव उइके ने उन्हें पहले धमकाया और बाद गाली-गलौज करते हुए बसोड़ी आरसे, रविंद्र आरसे और भग्गूचंद आरसे की पिटाई कर दी। इस पर सभी वहां से चले गए। इसके बाद पुलिस ने वापस बुलाकर मारपीट करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस के अभद्र व्यवहार और मारपीट की शिकायत करने ग्रामीण ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर जिला मुख्यालय पहुंचे तो उन्होंने एसपी आरएल प्रजापति से पहला सवाल किया कि साहब कहीं ऐसा न हो कि आपके पास आने के बाद हम तीसरी बार फिर पीटे..? ग्रामीणो की बातो को सुन कर पुलिस अधिक्षक कुछ जवाब नहीं दे सके और उन्हाने ग्रामीणो में विश्वास पैदा करने के लिए बोरदेही थाने से मामले की जानकारी ली। उन्होंने सभी को कार्रवाई का आश्वासन दिया।
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