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ग्वालियर, मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सक अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कितने गंभीर हैं, इस बात का तब खुलासा हुआ जब जिंदा मरीज को मृत करार देकर मुर्दाघर तक भेज दिया। वह तो भला हो परिजनों का जो उन्होंने एक निजी चिकित्सक से मरीज का परीक्षण करा लिया।बताया गया है कि लल्ला प्रजापति नौ जुलाई को हुए सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। लल्ला को एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। हालत में सुधार न होने पर उसे जयारोग्य चिकित्सालय के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया। जिस चिकित्सक ने उसका इलाज किया, उसने शुक्रवार को लल्ला को मृत घोषित कर मुर्दाघर ले जाने को कह दिया।
लल्ला के परिजन सुरेश प्रजापति का कहना है कि वे उसे मुर्दाघर तक ले भी गए, मगर मन नहीं माना क्योंकि उन्हें लगा कि नाड़ी चल रही है। इस स्थिति में सुरेश ने एक परिचित चिकित्सक से परीक्षण कराया। चिकित्सक ने लल्ला के जीवित होने की पुष्टि की तो पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया।
मृत घोषित कर दिए गए मरीज के जीवित होने की खबर मिलते ही चिकित्सक इस कोशिश में जुट गए कि किसी तरह मृत्यु प्रमाणपत्र को नष्ट कर दिया जाए। लल्ला के पिता छोकरिया का आरोप है कि चिकित्सकों ने उसके हाथ से मृत्यु प्रमाणपत्र फाड़ने तक की कोशिश की।
वहीं न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डा. एस.एन. आयंगर का कहना है कि इस मामले की जांच कराई जाएगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि मरीज को मृत घोषित करने के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं किया गया।
मरीज लल्ला को मुर्दाघर से लेकर फिर न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कर दिया गया है।
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