बात भोपाल से प्रसारित होने वाले चैनल एमके न्यूज़ की है..जहां के आलमपनाह मिस्टर संजय तिवारी हैं... तिवारी जी चेहरे से बड़े ही मासूम और दिमाग से बड़े ही शातिर है...चैनल शुरु करने से पहले तिवारी ने लोगों के सामने बड़ी-बड़ी बातें की.. कई दिग्गज पत्रकारों को अपनी टीम में जोड़ा लगातार छह महीने तक गधों की तरह काम कराया.. तिवारी कंपनी ने बड़े ही लगन से मेहनत की और मात्र एक महीने के अंदर चैनल को लांच कर दिया.
तिवारी जी ने चैनल शुरु करने से पहले मार्केट से करोड़ों रुपए उठाए, जिसके लिए उन्होंने सीईओ के कंधे के ऊपर रखकर तोप चला दी.. सीईओ साहब ने बड़े ही मेहनत से सभी जिलों में ब्यूरो बनाए.. टार्गेट दिए... लेकिन यहीं तिवारी जी के दिमाग ने षड़यंत्र रचना शुरु कर दिया... चैनल के लिए उठाए गए सारे पैसों को तिवारी ने प्रापर्टी मे घुसा दिया... लेकिन तिवारी ये भूल गए कि चैनल चलाने के लिए पैसों की जरुरत पड़ेगी.. उन पैसों की, जिसे वो प्रापर्टी में लगा चुके हैं... फिर तिवारी ने मार्केटिंग पर दबाव बनाना शुरु कर दिया... मार्केटिंग टीम ने भी अपना दम लगाया चैनल के लिए दोबारा पैसा जुटाया... लेकिन तिवारी तो तिवारी है.. एक बार फिर पैसा प्रापर्टी में लगा दिया... अब हम आपको बताते है कि तिवारी ने किस तरह से गणित लगाकर एक कठिन सवाल को हल किया...
चैप्टर नंबर 1-- सबसे पहले लाइसेंस की जुगाड़ की, जिसके लिए मनोज सैनी एंड कंपनी दिल्ली जाकर एस्सल श्याम में मार्केटिंग का काम करने वाले दलाल गौरव अग्रवाल के आगे घुटने टेके... दलाल ने भी मुंबई के एमके न्यूज़ के मालिक मुनीर शेख को अपने शिकंजे में लिया.. मुनीर जी भी बड़े ही शराफत में अपने चैनल का लाइसेंस सैनी एंड कंपनी के आगे रख दिया... कंपनी ने लाइसेंस अपने साथ लिया और चल दिए भोपाल की ओर स्ट्रिंगरों को चूना लगाने.
चैप्टर नंबर 2- लाइसेंस हाथ में था... सबसे पहले तलाशी गई एक जगह.. जिस में दुकान खोली गई... दुकान के आगे बोर्ड में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया एमके न्यूज़.. आईना सच का.. अखबारों में विज्ञापन निकाला गया स्टाफ की भर्ती हुई.. फिर किसी चीज की कमी थी तो वो मशीनरी थी... इसके लिए भी मनोज सैनी ने एस्सल के दलाल का सहारा लिया और तिवारी जी को अपने भरोसे में लेकर दोयम दर्जे का घटिया समान टिका दिया... जिसके बदले में सैनी ने मोटी रकम कमाई.. और बाद में जब चैनल की शुरुआत हुई तो इस घटिया मशीनरी की पोल खुल गई.. सब कुछ सामने था सैनी भी सन्न हो गया, क्योकि कलम घिसने वाले को चैनल का ज्ञान तो था नही.. सो चुपचाप तिवारी को बड़े वाला चूना लगाकर अपनी दुम दबाई और चलते बने.. सुना है आजकल एक और न्यूज़ चैनल की लुटिया डुबाने का इंतजाम कर रहे हैं.
चैप्टर नंबर 3- सैनी जा चुका था... लेकिन सैनी भी शातिर... तिवारी जी को और पैसों की जरुरत पड़ी लिहाजा एक पत्ता चला... संस्कृति विभाग के डायरेक्टर माननीय और न जाने कितने ही स्केंडलों में नाम कमा चुके श्रीराम तिवारी और रवि विलियम्स की चैनल में एंट्री करवा दी.. शर्त थी कि चैनल को फंड मुहैया कराना होगा.. लेकिन ये बात चैनल में काम करने वाले कर्मचारियों और चैनल के असली मालिक मुनीर खान को नगवार गुजरी और उन्होंने चैनल का प्रसारण रुकवा दिया.. संजय तिवारी को अब समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करे, क्योकि एक तरफ तो उनको पैसा दिख रहा था और दूसरी तरफ चैनल का कांन्ट्रैक्ट, जिस में ये लिखा था कि उनके अलावा चैनल में किसी की हिस्सेदारी नही होगी.. लिहाजा श्रीराम तिवारी एंड कंपनी बड़ा ही बेआबरु होकर चैनल से बाहर निकला... आजकल वो भी अपने कभी न पूरे होने वाले प्रोजेक्ट खबर 365 के काम में लग गए.
चैप्टर नंबर 4- अब संजय तिवारी को समझ में नही आ रहा था कि चैनल कैसे चलाऊं... एक बार फिर तिवारी जी का शातिर दिमाग उठ खड़ा हुआ... तिवारी ने चैनल शुरू किया और सीईओ को साहब को पैसा लाने हुक्म सुना दिया... लेकिन इन सब के बीच चैनल को चार महीने हो चुके थे... इन चार महीनों में तिवारी ने चैनल की सभी पदों को अपने शिकंजे में ले लिया क्या इनपुट, आउटपुट और एडिटिंग... सब में हेड होने के बावजूद तिवारी ने अपने घटिया निर्णयों से सबका काम खराब किया.. लिहाजा चैनल के गति में कमी आ गई.. इसके साथ साथ तिवारी एक और कारनामा कर रहे थे वो था अपने स्टाफ को सैलरी न देना... स्टाफ जब भी सैलरी की डिमांड करता तिवारी तो तिवारी अपना मुंह छुपा के भाग खड़ा होता कहता काम देखूंगा तो दूंगा... लोगों ने सैलरी की आस लगाते-लगाते तीन महीने गुजार दिए.. तीन महीनों में चैनल का प्रसारण तिवारी की गलतियों की वजह से कई बार बंद हुआ.. जो अब तक बंद है.. अब तिवारी जी के आगे पीछे भी सिपहसलारों की लाइन लग गई.. हर कोई तिवारी जी को ज्ञान देने लगा.. आजकल तो केबल में काम करने वाले कैमरामैन और रिपोर्टर भी तिवारी जी को लाखों के सपने दिखा रहे हैं.
जनाब ने तिवारी को गिरफ्त में लेकर स्टाफ कम करने की सलाह भी दे डाली.. लेकिन ऐसे घ़टिया लोग ये भूल गए कि बेचारे उन लोगों को क्या होगा जिनका पैसा देना तो दूर तिवारी ने तीन महीनों में उनका खून तक चूस लिया.. आज हालात ये है कि तिवारी की वजह से स्टाफ की हालत भिखारियों जैसी हो गई है.. यदि कोई खुश है तो तिवारी के तलवे चाटने वाले वो रिपोर्टर और कैमरामैन जिवकी वजह से करीब 30 लोगों को चैनल की नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है.. तिवारी ने बचे हुए स्टाफ को साफ शब्दों में कह दिया है कि पैसा लाओ... तो ही सैलरी मिलेगी.. वरना रास्ता नापो... तिवारी पूरी तरीके से चाटुकारों के चक्कर में आकर अपने हाथों अपने ही चैनल का खून कर रहा है.. वो चैनल जिसे बनाने के लिए न जाने कितने ही लोगों ने दिन रात मेहनत की.. लेकिन केबल छाप रिपोर्टरों और कैमरामैनों ने अपनी बूटी तिवारी को पिला ही दी... क्योंकि केबल में सिवाए वसूली के इनको आता तो कुछ नही है.. तिवारी भी न जाने कब तक ऐसे ही लोगों के चक्कर में पड़कर बेचारे भोले-भाले कर्मचारियों को भिखारी बनाते रहेगा.
चैप्टर नंबर 5- स्टूडियों का कैमरा तिवारी जी ने खुद गायब किया और बेचारे एंम्पलाइज पर इसका ठीकरा फोड़ रहे हैं... तिवारी ने स्टाफ को पैसा न देने का नया बहाना निकाल रखा है.. कहते हैं पहले कैमरा लाओ फिर पैसे.. अब जरा ये बताइए यशवंत जी इस कमीने पन में बेचारे नौकरी करने वाले स्टाफ का क्या दोष..??
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
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