ब्यूरो प्रमुख // राजेश रजक (सागर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से संपर्क:- 94065 56846
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सागर . ग्राम जैसीनगर विकासखण्ड की समस्त शासकीय शालाओं में 18 अप्रैल से 15 जून तक ग्रीष्म कालीन मिड-डे मील योजनाएं संचालित की गई है। इस योजना में प्रशासन द्वारा लाखों रूपए खर्च किए गए है। जिसके सार्थक परिणाम क्षेत्र में नहीं दिख रहे है। ग्रामीण क्षेत्र के अनेक बच्चों को न तो पोषण आहार वितरित किया जा रहा है और न ही कुपोषित बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण। अधिकांश स्कूल केवल कागजों में ही मिड-डे मील का लाभ बच्चों को प्रदान कर रहे है। इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को भी है। लेकिन इस संदर्भ में योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए कोई निर्णय नहीं लिए गए है।
प्रशासन द्वारा इन समूहों को बिना किसी जांच के राशि भी मुहैया कराई जा रही है। जानकारी के अनुसार पूरे ब्लॉक में दर्ज बच्चों को कुपोषित होने से बचाने के लिए स्कूली अवकाश के दौरान बच्चों को स्कूल बुलाकर मध्यान्ह भोजन वितरित किए जाने की योजना संचालित की गई थी। योजना अंतर्गत प्रत्येक स्कूल के मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्वयं सहायता समूह को अवकाश के दिनों में भी मध्यान्ह भोजन तैयार कर स्कूल में पदस्थ शिक्षा के माध्यम से भोजन वितरित किया जाता है।
इस योजना का लाभ मिलना था ब्लॉक के स्कूलों में दर्ज बच्चों को। लेकिन ग्रीष्मकालीन मध्यान्ह भोजन का सूचित क्रियान्वयन न होने से यह योजना मध्यान्ह भोजन से अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए निरीक्षण में क्षेत्र की अधिकांश स्कूलों में ताले लगे मिले। तो कई स्कूलों में मिड-डे मील का कार्यक्रम ही बंद मिला। कुछ नाम मात्र ही स्कूल ऐसे थे जहां पर नियमानुसार शालाएं संचालित हो रही थी। परन्तु वहां पर बच्चों की संख्या कम रही।
प्रशासन द्वारा इन समूहों को बिना किसी जांच के राशि भी मुहैया कराई जा रही है। जानकारी के अनुसार पूरे ब्लॉक में दर्ज बच्चों को कुपोषित होने से बचाने के लिए स्कूली अवकाश के दौरान बच्चों को स्कूल बुलाकर मध्यान्ह भोजन वितरित किए जाने की योजना संचालित की गई थी। योजना अंतर्गत प्रत्येक स्कूल के मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्वयं सहायता समूह को अवकाश के दिनों में भी मध्यान्ह भोजन तैयार कर स्कूल में पदस्थ शिक्षा के माध्यम से भोजन वितरित किया जाता है।
इस योजना का लाभ मिलना था ब्लॉक के स्कूलों में दर्ज बच्चों को। लेकिन ग्रीष्मकालीन मध्यान्ह भोजन का सूचित क्रियान्वयन न होने से यह योजना मध्यान्ह भोजन से अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए निरीक्षण में क्षेत्र की अधिकांश स्कूलों में ताले लगे मिले। तो कई स्कूलों में मिड-डे मील का कार्यक्रम ही बंद मिला। कुछ नाम मात्र ही स्कूल ऐसे थे जहां पर नियमानुसार शालाएं संचालित हो रही थी। परन्तु वहां पर बच्चों की संख्या कम रही।
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