अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल । संघ और भाजपा के नेताओं के पिछले कुछ दिनों से मंथन, चिंतन के बाद जो स्थिति स्पष्ट हुई उसमें यह बात सामने आई कि कार्यकर्ताओं में अपनी ही पार्टी के सत्ता और संगठन में बैठे नेताओं की उपेक्षा के चलते दो वर्ग हो गये हैं, एक वह जो बड़ी चतुराई से सत्ता और संगठन का लाभ उठाकर कुबेरपति हो गये हैं तो एक वह कार्यकर्ता जो आज भी प्रदेश में अपनी १३ साल की सरकार होने के बावजूद भी ना तो उसकी कोई अधिकारी सुनता और ना सत्ता और संगठन में बैठे नेता, अपनी इस उपेक्षा से पीडि़त वह कार्यकर्ता अपना मान मारकर सुंदरलाल पटवा के शासनकाल की तरह घर बैठने का मन बनाने में लग गया है।
शायद यही वजह है कि भाजपा के इन कर्मठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के चलते भाजपा की साख अब धीरे-धीरे कम होती नजर आ रही है और इसी साख को देखते हुए अब भाजपा नेताओं को अपने उन कर्मठ, मेहनती कार्यकताओं की याद सताने लगी है इसी के तहत अब पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि कार्यकर्ताओं में पनप रहे असंतोषों की शिकायत को देखते हुए पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन वी. सतीश को प्रदेश अधिकारियों को यह खुली नसीहत देनी पड़ी कि २०-२५ साल तक कार्यकर्ता मिलते रहे हैं। उसकी जिम्मेदारी आपकी है मगर आपने पुराने कार्यकर्ताओं के दुख दर्द में सहभागी होने की तो परम्परा को ही त्याग दिया और उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि पुराने कार्यकर्ताओं का दुख दर्द कम करें और जब भी दौरे पर जायें तो वहां रात को रुके और देखें कि कार्यकर्ता किस परिस्थिति में काम करते हैं, संगठन की बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के हालत की जानकारी लें।
कुल मिलाकर भाजपा में इन दिनों जो पार्टी स्तर पर अपनी गिरती साख को कायम रखने की जो कवायद चल रही है उस छवि को बनाये रखने के लिये अब हर तरह के वह प्रयास किये जा रहे हैं जिससे रूठे कार्यकर्ताओं में असंतोष कम हो और वह सक्रिय होकर पार्टी का काम करें। देखना अब यह है कि सत्ता और संगठन का लाभ ऐसे कार्यकर्ताओं ने उठाने की जो पहल कर आज आलीशान भवनों और लग्जरी कारों में फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं जिन कार्यकर्ताओं के पास शिवराज सरकार आने के पहले टूटी साइकिल तक नहीं थी आज वह कार्यकर्ता शिवराज सरकार के कार्यकाल में अरबों में खेल रहे हैं
उनकी इस अचानक प्रगति को लेकर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता राज्यभर के भाजपा के ऐसे कार्यकर्ताओं की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जाँच कराने की दबी जुबान से मांग करने नजर आ रहे हैं कुल मिलाकर भाजपा में इन दिनों ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष का माहौल भी पनप रहा है देखना अब यह है कि संघ से लेकर भाजपा नेताओं द्वारा चलाई जा रही अपने कार्यकर्ताओं को मनाने की जो मुहिम इस समय चल रही है वह आगे क्या रंग लाएगी और इस मुहिम से क्या भाजपा में पनप रहे असंतोष का माहौल खत्म हो पाएगा या नहीं यह तो भविष्य ही बताएगा।
भोपाल । संघ और भाजपा के नेताओं के पिछले कुछ दिनों से मंथन, चिंतन के बाद जो स्थिति स्पष्ट हुई उसमें यह बात सामने आई कि कार्यकर्ताओं में अपनी ही पार्टी के सत्ता और संगठन में बैठे नेताओं की उपेक्षा के चलते दो वर्ग हो गये हैं, एक वह जो बड़ी चतुराई से सत्ता और संगठन का लाभ उठाकर कुबेरपति हो गये हैं तो एक वह कार्यकर्ता जो आज भी प्रदेश में अपनी १३ साल की सरकार होने के बावजूद भी ना तो उसकी कोई अधिकारी सुनता और ना सत्ता और संगठन में बैठे नेता, अपनी इस उपेक्षा से पीडि़त वह कार्यकर्ता अपना मान मारकर सुंदरलाल पटवा के शासनकाल की तरह घर बैठने का मन बनाने में लग गया है।
शायद यही वजह है कि भाजपा के इन कर्मठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के चलते भाजपा की साख अब धीरे-धीरे कम होती नजर आ रही है और इसी साख को देखते हुए अब भाजपा नेताओं को अपने उन कर्मठ, मेहनती कार्यकताओं की याद सताने लगी है इसी के तहत अब पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि कार्यकर्ताओं में पनप रहे असंतोषों की शिकायत को देखते हुए पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन वी. सतीश को प्रदेश अधिकारियों को यह खुली नसीहत देनी पड़ी कि २०-२५ साल तक कार्यकर्ता मिलते रहे हैं। उसकी जिम्मेदारी आपकी है मगर आपने पुराने कार्यकर्ताओं के दुख दर्द में सहभागी होने की तो परम्परा को ही त्याग दिया और उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि पुराने कार्यकर्ताओं का दुख दर्द कम करें और जब भी दौरे पर जायें तो वहां रात को रुके और देखें कि कार्यकर्ता किस परिस्थिति में काम करते हैं, संगठन की बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के हालत की जानकारी लें।
कुल मिलाकर भाजपा में इन दिनों जो पार्टी स्तर पर अपनी गिरती साख को कायम रखने की जो कवायद चल रही है उस छवि को बनाये रखने के लिये अब हर तरह के वह प्रयास किये जा रहे हैं जिससे रूठे कार्यकर्ताओं में असंतोष कम हो और वह सक्रिय होकर पार्टी का काम करें। देखना अब यह है कि सत्ता और संगठन का लाभ ऐसे कार्यकर्ताओं ने उठाने की जो पहल कर आज आलीशान भवनों और लग्जरी कारों में फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं जिन कार्यकर्ताओं के पास शिवराज सरकार आने के पहले टूटी साइकिल तक नहीं थी आज वह कार्यकर्ता शिवराज सरकार के कार्यकाल में अरबों में खेल रहे हैं
उनकी इस अचानक प्रगति को लेकर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता राज्यभर के भाजपा के ऐसे कार्यकर्ताओं की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जाँच कराने की दबी जुबान से मांग करने नजर आ रहे हैं कुल मिलाकर भाजपा में इन दिनों ऐसे कार्यकर्ताओं और नेताओं में असंतोष का माहौल भी पनप रहा है देखना अब यह है कि संघ से लेकर भाजपा नेताओं द्वारा चलाई जा रही अपने कार्यकर्ताओं को मनाने की जो मुहिम इस समय चल रही है वह आगे क्या रंग लाएगी और इस मुहिम से क्या भाजपा में पनप रहे असंतोष का माहौल खत्म हो पाएगा या नहीं यह तो भविष्य ही बताएगा।
No comments:
Post a Comment