अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल । बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे से प्रदेश की जनता को मुक्ति दिलाने के वायदे के साथ भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या राज्य में भाजपा की सत्ता के इन १३ वर्षों के शासनकाल के बाद भी क्या इस प्रदेश की जनता को बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर कुछ निजात मिली है, इस तरह के प्रश्न का उत्तर खोजने में इस प्रदेश के राजनेताओं और जनता और तमाम बुद्धिजीवी लगे हुए हैं,
लेकिन उन्हें भाजपा के इन १३ वर्षों के कार्यकाल के दौरान वैसा ही वैसा नजर आ रहा है न तो आज प्रदेश में सड़कों की स्थिति ठीक है और न ही बिजली की पानी का जहां तक सवाल है तो राज्य की आधी से अधिक आबादी को शुद्ध पेयजल यह सरकार मुहैया नहीं करा पा रही है, जिसके कारण राज्य भर में लोग कई बीमारियों की चपेट में हैं और इनका उपचार करने के मामले में भी प्रदेश का सवास्थ्य महकमा असफल ही साबित नजर आ रहा है तभी तो निजी एजेंसियों को प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं सौंपने की तैयारी कर रहा है, सरकार के लाख दावों के बावजूद भी आज प्रदेश में बिजली की स्थिति यह है कि राजधानी सहित प्रदेश के किसी भी विभाग में लोगों को २४ घंटे बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है जिसको लेकर राज्यभर में विद्युत विभाग के अधिकारियों से बदसलूकी करने से भी परेशान आम जनता नहीं चूक रही है,
इसी बिजली की अव्यस्था के चलते विद्युत विभाग के कई अधिकरियों की तो जनता ने धुनाई तक कर दी तो कईयों की जनता के साथ झूमाझटकी के चलते मृत्यु भी हो गई। इसके बावजूद भी राज्य सरकार का २४ घंटे बिजली उपलब्ध कराने का यह ढिंढोरा लोगों के गले नहीं उतर रहा है, जबकि विद्युत सुधार के नाम पर करोड़ों रुपये भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान खर्च किए गए लेकिन न तो लोगों को २४ घंटे बिजली मिल पा रही है और न ही किसानों को, यही नहीं इस स्थिति की मार प्रदेश के कई औद्योगिक क्षेत्र भी झेल रहे हैं। तो वहीं बिजली सुधार के नाम पर पूरे प्रदेश में लगाये गये विद्युत खंबे अपना सिर झुकाकर भ्रष्टाचार की कहानी सुनाते दिखाई दे रहे हैं।
इन खंबों को देखकर यह साफ दिखाई देता है कि प्रदेश में विद्युत सुधार के नाम पर किस तरह का सुधार हुआ है। राज्य में आये दिन अघोषित बिजली का दौर जारी है तो वहीं अब त्यौहार पूर्व रखरखाव का कार्य का दौर भी अब चल पड़ा है, हालांकि यह दौर अक्सर राज्यभर में चलता रहता है, जिसका आलम यह है कि जब भी विद्युत विभाग को फोन लगाओ तो एक ही जवाब आता है कि बड़ी लाइन में फाल्ट है फलां जगह कार्य चल रहा है तो कभी ट्रांसफार्मर में आग लगने का बहाना बनाकर तो कहीं बिजली का फाल्ट होना ऐसे जुमले आम जनता को विद्युत विभाग के शिकायती केन्द्रों से सुनने को मिलते हैं।
सवाल यह उठता है कि जब साल के पूरे दिन किसी न किसी नाम पर विद्युत रखरखाव का काम चलता रहता है तो अब त्यौहारों के नाम पर भी आयेदिन बिजली बंद कर रखरखाव का सिलसिला क्यों जारी है। कुल मिलाकर रखरखाव और विद्युत सुधार के नाम पर राज्य में करोड़ों रुपये का घोटाला होने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है तो लोग यह मांग करते नजर आ रहे हैं कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में विद्युत रखरखाव के नाम पर किये गये कार्यों का एक श्वेत पत्र जारी होना चाहिए और उसमें २००३ से लेकर आज तक प्रदेश में बिजली सुधार के नाम पर जो खर्च किया गया उसका ब्यौरा सरकार को देना चाहिए। विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली पर एक नहीं कई प्रश्नचिन्ह खड़े होते दिखाई दे रहे हैं,
जहां एक ओर विद्युत विभाग द्वारा किसी भी आम छोटे उपभोक्ता पर पांच सौ रुपये बकाया होता है तो उसकी बिजली काट दी जाती है तो वहीं उद्योगपतियों और बड़े कारोबारियों पर लाखों रुपये बकाया होने के बावजूद भी उनकी बिजली काटी नहीं जाती बल्कि बिजली विभाग के कर्मचारियों की सांठगांठ के चलते यह उद्योगपति न्यायालय में चले जाते हैं और उन पर बकाया राशि यह विभाग वसूल नहीं कर पाता और बिजली देना तो उसकी मजबूरी बन जाती है,
एक सवाल यह भी उठता है कि जहां बिजली विभाग एक-एक पाई और अनाप-शराब बिजली बिलों के मामले में जनता से अवैध वसूली करने में लगा हुआ है तो आखिर वह घाटे में क्यों जाता है, इस मामले को लेकर विद्युत विभाग की आडिट कराने और उसको सार्वजनिक करने की मांग जनता में उठती दिखाई दे रही है। कुल मिलाकर बिजली के नाम पर जो गोरखधंधा भाजपा के शासनकाल के दौरान चला उसके भी कई रोचक पहलू हैं और इस सुधार के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट भी खूब चल रहा है। इसके बावजूद भी प्रदेश की जनता को न तो २४ घंटे बिजली मिल पा रही है।
भोपाल । बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे से प्रदेश की जनता को मुक्ति दिलाने के वायदे के साथ भारतीय जनता पार्टी प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या राज्य में भाजपा की सत्ता के इन १३ वर्षों के शासनकाल के बाद भी क्या इस प्रदेश की जनता को बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर कुछ निजात मिली है, इस तरह के प्रश्न का उत्तर खोजने में इस प्रदेश के राजनेताओं और जनता और तमाम बुद्धिजीवी लगे हुए हैं,
लेकिन उन्हें भाजपा के इन १३ वर्षों के कार्यकाल के दौरान वैसा ही वैसा नजर आ रहा है न तो आज प्रदेश में सड़कों की स्थिति ठीक है और न ही बिजली की पानी का जहां तक सवाल है तो राज्य की आधी से अधिक आबादी को शुद्ध पेयजल यह सरकार मुहैया नहीं करा पा रही है, जिसके कारण राज्य भर में लोग कई बीमारियों की चपेट में हैं और इनका उपचार करने के मामले में भी प्रदेश का सवास्थ्य महकमा असफल ही साबित नजर आ रहा है तभी तो निजी एजेंसियों को प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं सौंपने की तैयारी कर रहा है, सरकार के लाख दावों के बावजूद भी आज प्रदेश में बिजली की स्थिति यह है कि राजधानी सहित प्रदेश के किसी भी विभाग में लोगों को २४ घंटे बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है जिसको लेकर राज्यभर में विद्युत विभाग के अधिकारियों से बदसलूकी करने से भी परेशान आम जनता नहीं चूक रही है,
इसी बिजली की अव्यस्था के चलते विद्युत विभाग के कई अधिकरियों की तो जनता ने धुनाई तक कर दी तो कईयों की जनता के साथ झूमाझटकी के चलते मृत्यु भी हो गई। इसके बावजूद भी राज्य सरकार का २४ घंटे बिजली उपलब्ध कराने का यह ढिंढोरा लोगों के गले नहीं उतर रहा है, जबकि विद्युत सुधार के नाम पर करोड़ों रुपये भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान खर्च किए गए लेकिन न तो लोगों को २४ घंटे बिजली मिल पा रही है और न ही किसानों को, यही नहीं इस स्थिति की मार प्रदेश के कई औद्योगिक क्षेत्र भी झेल रहे हैं। तो वहीं बिजली सुधार के नाम पर पूरे प्रदेश में लगाये गये विद्युत खंबे अपना सिर झुकाकर भ्रष्टाचार की कहानी सुनाते दिखाई दे रहे हैं।
इन खंबों को देखकर यह साफ दिखाई देता है कि प्रदेश में विद्युत सुधार के नाम पर किस तरह का सुधार हुआ है। राज्य में आये दिन अघोषित बिजली का दौर जारी है तो वहीं अब त्यौहार पूर्व रखरखाव का कार्य का दौर भी अब चल पड़ा है, हालांकि यह दौर अक्सर राज्यभर में चलता रहता है, जिसका आलम यह है कि जब भी विद्युत विभाग को फोन लगाओ तो एक ही जवाब आता है कि बड़ी लाइन में फाल्ट है फलां जगह कार्य चल रहा है तो कभी ट्रांसफार्मर में आग लगने का बहाना बनाकर तो कहीं बिजली का फाल्ट होना ऐसे जुमले आम जनता को विद्युत विभाग के शिकायती केन्द्रों से सुनने को मिलते हैं।
सवाल यह उठता है कि जब साल के पूरे दिन किसी न किसी नाम पर विद्युत रखरखाव का काम चलता रहता है तो अब त्यौहारों के नाम पर भी आयेदिन बिजली बंद कर रखरखाव का सिलसिला क्यों जारी है। कुल मिलाकर रखरखाव और विद्युत सुधार के नाम पर राज्य में करोड़ों रुपये का घोटाला होने की भी आशंका व्यक्त की जा रही है तो लोग यह मांग करते नजर आ रहे हैं कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में विद्युत रखरखाव के नाम पर किये गये कार्यों का एक श्वेत पत्र जारी होना चाहिए और उसमें २००३ से लेकर आज तक प्रदेश में बिजली सुधार के नाम पर जो खर्च किया गया उसका ब्यौरा सरकार को देना चाहिए। विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली पर एक नहीं कई प्रश्नचिन्ह खड़े होते दिखाई दे रहे हैं,
जहां एक ओर विद्युत विभाग द्वारा किसी भी आम छोटे उपभोक्ता पर पांच सौ रुपये बकाया होता है तो उसकी बिजली काट दी जाती है तो वहीं उद्योगपतियों और बड़े कारोबारियों पर लाखों रुपये बकाया होने के बावजूद भी उनकी बिजली काटी नहीं जाती बल्कि बिजली विभाग के कर्मचारियों की सांठगांठ के चलते यह उद्योगपति न्यायालय में चले जाते हैं और उन पर बकाया राशि यह विभाग वसूल नहीं कर पाता और बिजली देना तो उसकी मजबूरी बन जाती है,
एक सवाल यह भी उठता है कि जहां बिजली विभाग एक-एक पाई और अनाप-शराब बिजली बिलों के मामले में जनता से अवैध वसूली करने में लगा हुआ है तो आखिर वह घाटे में क्यों जाता है, इस मामले को लेकर विद्युत विभाग की आडिट कराने और उसको सार्वजनिक करने की मांग जनता में उठती दिखाई दे रही है। कुल मिलाकर बिजली के नाम पर जो गोरखधंधा भाजपा के शासनकाल के दौरान चला उसके भी कई रोचक पहलू हैं और इस सुधार के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट भी खूब चल रहा है। इसके बावजूद भी प्रदेश की जनता को न तो २४ घंटे बिजली मिल पा रही है।
No comments:
Post a Comment