(मंत्रि-परिषद् के निर्णय)
मध्यप्रदेश साहूकार अधिनियम,1934 में होगा संशोधन
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मध्यप्रदेश साहूकार अधिनियम,1934 में होगा संशोधन
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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्रि-परिषद् की बैठक में मध्यप्रदेश साहूकार अधिनियम, 1934 में संशोधन करने, प्रदेश की विद्युत कम्पनियों को वित्तीय रूप से साध्य बनाने के मकसद से राज्य शासन द्वारा उन्हें दिये गये निश्चित अवधि ऋणों को सतत ऋणों में परिवर्तित करने तथा आबकारी आरक्षकों के 139 पदों पर सीधी भर्ती किये जाने जैसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये।
मंत्रि-परिषद् द्वारा आज मध्यप्रदेश साहूकार अधिनियम, 1934 में संशोधन का निर्णय लेते हुए यह फैसला किया गया कि अब साहूकारी के लिए लायसेंस लेना अनिवार्य होगा। गैर लायसेंसी साहूकारों द्वारा दिये गये ऋण कानून बनाकर शून्य करने और लायसेंसी साहूकारों द्वारा दिये जाने वाले कृषि ऋण पर ब्याज दर का निर्धारण करने के लिए वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। उल्लेखनीय है कि लघु कृषक गैर लायसेंसी साहूकारों के दुष्चक्र में फंस जाते हैं और ऐसे कई मामलों में वे मूल ऋण से अधिक ब्याज चुकाने के बाद भी उन्मुक्त नहीं हो पाते हैं। किसानों की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है कि यदि कोई गैर लायसेंसी साहूकार ऋण देता है तो ऐसे सभी ऋण मध्यप्रदेश साहूकार अधिनियम, 1934 में प्रस्तावित नये प्रावधानों के अनुसार शून्यवत समझे जायेंगे और ऐसे ऋणों की वसूली किसी भी न्यायालय के माध्यम से नहीं की जा सकेगी। यह भी तय किया है कि लायसेंसी साहूकार द्वारा दिये गये ऋणों पर दिये जाने वाले ब्याज की दर भी निश्चित हों। संशोधित अधिनियम लागू होने पर कोई भी साहूकार राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित की गई दर से अधिक ब्याज नहीं लेगा। इस अधिनियम में संशोधन के बाद राज्य सरकार समय-समय पर ऐसी दरें अधिसूचित करेंगी और साहूकार किसी भी ऋणी से ऐसी दर से अधिक ब्याज नहीं ले पायेंगे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने गत 15 जनवरी 2011 को इस संबंध में घोषणा की थी।
विद्युत वितरण कम्पनियों को दिये गये ऋण सतत ऋण में परिवर्तित होंगे
प्रदेश की विद्युत कम्पनियों को वित्तीय रूप से साध्य बनाने के लिए तैयार किये गये वित्तीय पुनर्संरचना प्रस्ताव का आज मंत्रि-परिषद् द्वारा अनुमोदन किया गया । प्रस्ताव के माध्यम से राज्य शासन ने विद्युत वितरण कम्पनियों को दिये गये निश्चित अवधि ऋणों को सतत् (परपेचुअल) ऋण में परिवर्तित करने तथा ब्याज दरों को कम करने पर भी सहमति दी है। इसके अलावा विद्युत वितरण कम्पनियों को भविष्य में दी जाने वाली कार्यशील पूँजी पर ब्याज की मौजूदा दरों को अब स्टेट बैंक की बेस रेट के बराबर रखने का निर्णय लिया गया है। मंत्रि-परिषद्् ने विद्युत कम्पनियों द्वारा राज्य शासन को देय विद्युत शुल्क एवं उपकर की राशि को मासिक रूप से सतत् ऋण में परिवर्तित करने तथा सरदार सरोवर परियोजना से प्राप्त विद्युत देयकों के भुगतान को आगामी तीन वर्षो के लिए स्थगित रखने का निर्णय भी लिया है। इसके साथ ही विद्युत देयकों की देनदारियों को मासिक रूप से सतत् ऋण में परिवर्तित करने और इस पर देय ब्याज की दर को कम करने संबंधी फैसले लिये हैं।
इस योजना के अन्तर्गत जहाँ एक ओर राज्य सरकार द्वारा विद्युत कम्पनियों को साध्य बनाने के लिए उपरोक्तानुसार सहायता दी जायेंगी वहीं वितरण कम्पनियों के लिए वर्ष वार वितरण हानियां कम करने और राजस्व एकत्रीकरण दक्षता में बढ़ोत्री लाने के लक्ष्य भी निर्धारित किए गये हैं। इस योजना को लागू किये जाने से विद्युत कम्पनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा तथा कैश फ्लो एवं एस्क्रो आदि की मौजूदा समस्याओं का समाधान भी हो सकेगा।
विद्युत क्रय अनुबंध का अनुमोदन
प्रदेश में ताप विद्युत परियोजना की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के मकसद से राज्य सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की कम्पनियों के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किये गये हैं। समझौता ज्ञापन में निहित प्रावधानों के अनुसार राज्य शासन द्वारा इन कम्पनियों को परियोजना की स्थापना के लिए आवश्यक भू-अर्जन तथा भू-आवंटन, जल आवंटन, कोयला आवंटन और पर्यावरणीय मंजूरी में सहयोग दिया जा रहा है । इस सहयोग के एवज में निजी क्षेत्र की कम्पनी द्वारा राज्य शासन को परियोजना से उत्पादित विद्युत का 5/7.5/10 प्रतिशत अंश नियामक आयोग द्वारा निर्धारित वैरीयेबल दर पर प्रदाय किया जाना है। इस विद्युत की खरीदी के लिए विद्युत क्रय अनुबंध का निर्धारण केन्द्र सरकार द्वारा जारी मानक विद्युत क्रय अनुबंधों, समझौता ज्ञापन/ क्रियान्वयन अनुबंध की शर्तों और कम्पनियों से चर्चा के बाद किया गया है। मंत्रि-परिषद् ने आज उपरोक्त विद्युत क्रय अनुबंध का अनुमोदन किया है इस अनुबंध के क्रियान्वयन संबंधी समस्त अधिकारों एवं दायित्वों के निर्वहन के लिए एम.पी. पॉवर ट्रेडिंग कम्पनी लिमिटेड को अधिकृत किया गया है। उल्लेखनीय है कि वैरीयेबल दर पर मिलने वाली विद्युत अपेक्षाकृत सस्ती होती है । अतः ऐसी विद्युत की खरीदी राज्य के उपभोक्ताओं के हित में है।
मंत्रि परिषद् ने एन.एच.डी.सी.की रेवा ताप विद्युत परियोजना से विद्युत क्रय अनुबंध को भी कार्योत्तर मंजूरी दी है। एन.एच.डी.सी. द्वारा खण्डवा जिले में 1320 मेगावाट क्षमता की रेवा ताप विद्युत परियोजना स्थापित की जा रही है। इस परियोजना से राज्य को विद्युत आवंटन विद्युत मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जाना है तथा टैेरिफ का निर्धारण केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग द्वारा किया जायेगा। परियोजना से उत्पादित विद्युत के क्रय के लिये विगत 4 जनवरी ,2011 को एम.पी.पॉवर ट्रेडिंग कम्पनी लिमिटेड और एन.एच.डी.सी. के मध्य विद्युत क्रय अनुबंध का निष्पादन हो चुका है।
आबकारी आरक्षकों के 139 पदों पर सीधी भर्ती होगी
मत्रि-परिषद् ने आबकारी आरक्षकों के 139 पदों पर सीधी भर्ती करने के प्रस्ताव को भी आज सहमति दी। यह पद आगामी तीन वर्षो में भरे जायेंगे। उल्लेखनीय है कि आबकारी आरक्षकों की भर्ती काफी लम्बे समय से नहीं हो पाई है। आरक्षकों की सीधी भर्ती के इस फैसले से अब आबकारी अपराधों और अवैध मदिरा की निकासी पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सकेगा।
सिंगरौली जिले के ग्राम निगरी में पुलिस चौकी खुलेगी
सिंगरौली जिले के ग्राम निगरी थाना सरई के आसपास तेजी से हो रहे औद्योगीकरण के मद्देनज़र वहाँ नई पुलिस चौकी स्थापित करने का फैसला भी मंत्रि-परिषद द्वारा आज लिया गया है। इस नई पुलिस चौकी में एक सहायक उप निरीक्षक, दो प्रधान आरक्षक तथा आठ आरक्षकों सहित कुल 11 नये पदों के निर्माण की भी मंजूरी दी गई है। इस नई पुलिस चौकी का व्यय भार जे.पी.सुपर थर्मल पॉवर प्लान्ट द्वारा वहन किया जायेगा।
अन्य निर्णय
विगत 13 और 15 मई 2011 को इन्दौर में आयोजित आई.पी.एल. खेल प्रतियोगिता के अन्तर्गत सम्पन्न दो क्रिकेट मैच के लिए मनोरंजन कर से 50 प्रतिशत की छूट प्रदान करने के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा समन्वय में दिये गये आदेश का भी मंत्रि-परिषद् ने आज अनुमोदन किया । प्रदेश में क्रिकट के खेल को बढ़ावा देने तथा इस प्रकार के खेल आयोजनों से इन शहरों की आर्थिक प्रगति तथा व्यवसाय में होने वाले लाभ के देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
इसी तरह बहुआयामी मनोरंजन केन्द्रों (Multiplexes) को प्रोत्साहन देने के लिए क्रियान्वित की जा रही नीति के अन्तर्गत करों में छूट प्रदान करने के लिए गठित संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित स्थायी समिति में उपायुक्त आबकारी के स्थान पर अब उपायुक्त वाणिज्यिककर को नामांकित किये जाने का अनुमोदन मंत्रि-परिषद् द्वारा आज किया गया। उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा नवीन पारिवारिक आमोद-प्रमोद के बहुआयामी मनोरंजन केन्द्रों (Multiplexes) के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रोत्साहन नीति क्रियान्वित की जा रही है। विगत 1 अप्रैल, 2001से म.प्र.विलासिता,मनोरंजन, आमोद एवं विज्ञापन कर विधेयक, 2011 प्रभावशील हुआ है जिसका प्रशासन आयुक्त, वाणिज्यिक कर द्वारा किया जा जाएगा। पूर्व में प्रभावशील म.प्र. मनोरंजन शुल्क एवं विज्ञापन कर अधिनियम, 1936 का प्रशासन आबकारी आयुक्त द्वारा किया जाता है।
मंत्रि-परिषद् ने आज नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत रिक्त अधीक्षण यंत्री (विद्युत/यांत्रिकी) के पद की पूर्ति के लिये श्री बी.एस.परिहार, सेवानिवृत्त, अधीक्षण यंत्री (विद्युत/यांत्रिकी) जल संसाधन विभाग को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से एक वर्ष की अवधि के लिए संविदा आधार पर नियुक्ति देने का निर्णय भी लिया।