स्वामी को जेल भेजूंगी: साध्वी चिदर्पिता
Written by अखिलेश अखिल
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'हां, स्वामी जी ने मेरे साथ दुष्कर्म किया- उसे जेल भेज कर दम लूंगी- उसकी सच्चाई को लोगों तक पहुंचाया है - दो बार जबरन गर्भपात कराया, स्वामी जी ने दर्जनों लड़कियों का जीवन बर्बाद किया - मैं उतारूंगी स्वामी जी का नकाब- हमेशा गुंडे मेरे पीछे लगे रहते थे- बूढ़ा स्वामी लड़कियों के बगैर नहीं रह सकता- उससे बड़ा मक्कार और जालिम आपको नहीं मिलेगा - स्वामी जी ने आज तक किसी को साध्वी नहीं बनाया - अपनी चचेरी बहन का रेप किया, फिर भाग गया - वह इतना दुष्ट है कि मेरे सारे प्रमाण पत्रों को जला दिया।'
कोमल गुप्ता उर्फ साध्वी चिदार्पिता और अब गृहस्थ जीवन जी रही साध्वी चिदार्पिता गौतम। चार माह पहले बदायूं के स्वतंत्र पत्रकार बीपी गौतम से विवाह कर अब वह उन्मुक्त जीवन जी रही हैं। 10 सालों तक पूर्व केन्द्रीय मंत्री और धार्मिक जगत में ख्यातिप्राप्त स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के संग रहने वाली साध्वी ने उन पर बलात्कार करने, जबरन दो बार गर्भपात कराने और जान से मारने से संबंधित रिपोर्ट शाहजहांपुर थाने में लिखाई। जिसके बाद से पूरे देश में, साधु-संत समाज सहित राजनीति और मुमुक्षु आश्रम में हड़कंप मच गया है। 30 वर्षीय सुन्दर स्वस्थ धीर-गंभीर विद्वान और प्रखर वक्ता साध्वी चिदार्पिता गौतम ने अरबों के मालिक स्वामी चिन्मयानंद से रार क्यों लिया? साध्वी की महत्वाकांक्षा क्या है? संन्यास लेने चली साध्वी विवाह बंधन में क्यों बंधी? विवाहित गौतम से विवाह क्यों रचाया? वातानुकूलित आश्रम में रहने वाली साध्वी दो कमरे के किराए के मकान में कैसे रह रही हैं? स्वामी का असली चेहरा क्या है? कितनी महिलाओं के साथ स्वामी ने जुर्म किया है? जैसे अनेकों सवाल लेकर अखिलेश अखिल ने बदायूं में साध्वी चिदार्पिता और उसके पत्रकार पति बीपी गौतम से रात्रि 8 बजे उनके आवास पर लंबी बातचीत की। साध्वी-स्वामी के बीच चल रहे रार और आरोप-प्रत्यारोप पर यह पहला और एक्सक्लूसिव इंटरव्यू।
अब आप साध्वी हैं या गौतम की पत्नी?
-- मैं साध्वी भी हूं और गौतम की पत्नी भी। राम-कृष्ण परमहंस विवाहित थे, उन्होंने न सिर्फ अपना जीवन ईश्वर निष्ठा में बिताया, बल्कि नरेंद्र को संन्यास की दीक्षा भी दी। ऐसे कई और उदाहरण हैं। इसके अलावा केवल शंकराचार्य परंपरा में अविवाहित रहने का नियम है और उसमें महिलाओं की दीक्षा वर्जित है। संन्यासी का स्त्रैण शब्द साध्वी नहीं है। यह साधु का स्त्रैण शब्द है। जो स्वयं को साधता है, साधु है। साध्वी है।
शादी करने की कोई मजबूरी?
-- मुझे पता चल गया कि मुझे संन्यास नहीं मिलना है, तो त्रिशंकु जीवन जीने से क्या फायदा! मैंने वैदिक रीति से विवाह किया और इसकी सार्वजनिक घोषणा की।
आपने 10 सालों तक स्वामी का साथ दिया। फिर अचानक इतना बड़ा कांड कैसे हुआ?
-- देखिए मैं स्वामी के पास संन्यास ग्रहण करने गई थी। हम असफल रहे। स्वामी मुझसे गृहिणी की तरह आश्रम की देखभाल कराना चाहते थे। आगंतुकों की सेवा करना और उनकी सेवा करना। फिर मैंने जब राजनीति में जाने की बात की, तो वे भड़क गए और मुझे आश्रम छोड़ने को कह दिया।
केवल वहां से निकली ही नहीं, स्वामी को बदनाम भी किया। आरोप लगाए?
-- वह तो कई मामलों में आरोपी हैं। मैंने कुछ सही आरोप लगाए हैं। उसकी सच्चाई लोगों के सामने लाने का प्रयास किया है। उसने मेरे साथ तो बलात्कार किया ही, दो बार जबरन गर्भपात भी कराया। उसने हमें बर्बाद कर दिया। स्वामी ने दर्जनों लड़कियों को बर्बाद किया है। मैं उतारूंगी उसका नकाब। वह वहशी है, दरिंदा है और मानसिक रूप से बीमार भी। 4 से 6 साल की बच्चियों के साथ भी वह कुकर्म करता है।
जब स्वामी ने आपके साथ बलात्कार किया, गर्भपात कराया और पिटाई करता रहा तब आपने इसकी चर्चा क्यों नहीं की? आश्रम क्यों नहीं छोड़ा?
-- मैं वहां कैसे रह रही थी आप नहीं जान सकते। गुंडे थे वे लोग। मैं ऐसा जीवन जीने के लिए बाध्य थी, लेकिन भीतर से उबल रही थी। जब गौतम का सहारा मिला, तो वहां से निकल पड़ी।
आप कितनी लड़कियों को जानती हैं, जो स्वामी के जाल में फंसी थीं?
-- स्वामी की सबसे बड़ी कमजोरी लड़की है। बुड्ढा लड़की के बगैर नहीं रह सकता। उसके सभी आश्रमों में लड़कियां हैं। लेकिन वासना का अधिकतर खेल वह मुमुक्षु आश्रम में ही खेलता है। लड़कियों को गर्भवती करके उसकी शादी कभी किसी गरीब ब्राह्मण से, तो कभी नौकर से, कभी गनर से करा देता है। अनुपमा, अन्नू, ऊषा, पिंकी, अलका की भी पोल खुलेगी। तब इस स्वामी चिन्मयानंद को पता चलेगा।
आपको कब पता चला कि स्वामी चिन्मयानंद झूठा व बुरा आदमी है?
-- स्वामी को 2003 में ही हम पहचान गए थे।
क्या आप पर भी शादी का दबाव था?
-- हां, हमें भी इसने शादी के लिए कहा था। दबाव डाला था। फिर जबरन मेरे साथ काम करता था।
कनखल में एक और दिव्य सुंदर लड़की है। वह कौन है?
-- ये तो आप स्वामी से पूछें। स्वामी उस लड़की को अपनी पोती बताता है। जिसे वह फांसकर लाता है पहले उसे भतीजी या पोती ही कहता है। दरअसल कनखल में जो लड़की है उसका नाम सिवी और वह लड़की उसकी पत्नी अमिता सिंह की बेटी है। इसे अमिता सिंह का नाम स्वामी ने मंत्री रहते हुए अपने बायोडाटा में संसद में जमा किया था। फिर किसी आदमी ने आरटीआई से यह जानकारी ली। हल्ला मचा। स्वामी ने 2010 में संसद वाले बायोडाटा को बदलवा दिया है।
स्वामी ने अभी तक किसी महिला को साध्वी या राजनेता बनाया?
-- आज तक नहीं। स्वामी के पास जो भी महिला आई या तो राजनीति में जाने के लिए या फिर साधु-संन्यासी बनने के लिए।
आपको हरिद्वार में संन्यास के लिए भेजा था। लेकिन आप वापस लौटीं। रुद्र यज्ञ कराने वाले पंडित कौन थे?
-- देखिए 2010 में वहां रुद्र यज्ञ हो रहा था। स्वामी ने वहां बैठने के लिए हमें भेजा। आचार्य ने हमें बैठने से मना किया। उसने कहा था कि सरस्वती परंपरा में महिलाएं संन्यास नहीं लेतीं। उसके बाद स्वामी चुप हो गए। मै समझ गई। आचार्य थे बनारस के अग्निहोत्री परिवार के।
आपका गर्भपात स्वामी ने कहां कराया, क्लीनिक कौन था?
-- लखनऊ और बरेली में। मैं डॉक्टर और क्लीनिक का नाम बाद में दूंगी।
सुना है स्वामी ने अपनी चचेरी बहन के...?
-- हां, उसने अपनी चचेरी बहन के साथ रेप किया था और भाग गया। 376 का उस पर पहले से ही मुकदमा है। वह गोंडा के रमाईपुर, तबोरसी गांव का गुंडा है।
आश्रम में महिलाएं और लड़कियां रहती हैं, क्या वहां महिला वार्डेन भी हैं?
-- देश का पहला संस्थान है जहां महिलाएं रहती हैं, लेकिन महिला वार्डेन नहीं रखी जाती।
स्वामी का कोई यादगार पल?
-- जब मेरे प्रमाणपत्रों को जला रहा था, तो मैंने उसके पैर पकड़े थे। उस वक्त वह राक्षस बन गया था।
आप पर सोना-चांदी चुराने, नर्सरी के पैसे गबन करने का आरोप है?-
-- जब हमने पुलिस में रिपोर्ट की तभी उसने भी की। यह सब कोर्ट में फैसला होगा।
आश्रम के प्रबंधक और एसएस कॉलेज के प्राचार्य का कहना है कि आपने आश्रम को कलंकित किया है?
-- आश्रम की प्रबंधक आज भी मैं ही हूं। और तब तक हूं जब तक चुनाव न हो जाएं या फिर मुझे हटाया नहीं जाए। जहां तक प्राचार्य अवनीश का सवाल है वह क्या कहेंगे। 15 लाख घूस देकर आए हैं और फंड को लूट रहे हैं।
कहीं आप आश्रम पर कब्जा तो नहीं करना चाहती थीं और स्वामी ने आपको पहचान लिया?
-- आप कुछ भी कह सकते हैं। स्वामी पहले जेल जाए फिर बात की जाएगी।
गौतम के साथ कैसा लगता है, जबकि वह पहले से शादीशुदा और एक बेटी का बाप है?
-- गौतम मेरा जीवन है। इसने मेरा जीवन सुधारा है। इसी के कारण आज मैं स्वामी जैसे राक्षस से लड़ने को तैयार हूं।
शाहजहांपुर से बदायूं में कैसा लग रहा है?
-- अच्छा लग रहा है।
क्या चुनाव लड़ेंगी?
-- पहले स्वामी को जेल भेजना है। उसे नंगा करना है। उसके जाल में फंसी महिलाओं को न्याय दिलाना है, तब राजनीति करूंगी।
कौन हैं स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती?
स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती एक ऐसा नाम है, जो हमेशा ही परमार्थ में लगा रहा। अध्यात्म हो या समाज, राजनीति हो या चिकित्सा या फिर हो बौद्धिक कार्य, स्वामी जी हमेशा लोगों के कल्याण के लिए तत्पर रहे... स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती शैक्षिक, सामाजिक और राजनैतिक त्रिवेणी का दिव्य आध्यात्मिक नाम है। उनहोंने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। विद्यार्थी जीवन से ही वे राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। वे 1991 में भाजपा के टिकट पर बदायूं से, 1998 में मछलीशहर और जौनपुर से 1999 में सांसद रहे। वे केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। 1984 में राम जन्मभूमि संघर्ष समिति का राष्ट्रीय संयोजक भी बने। उन्होंने 1976 में जेपी आंदोलन में भाग लिया। तीन बार जेल भी गए। उनके ट्रस्ट लोगों को भोजन, दवाइयां तथा अन्य वस्तुएं उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने महिला सशक्तीकरण एवं निरक्षरता उन्मूलन के लिए भी सराहनीय कार्य किया है। अर्द्धकुम्भ और कुम्भ में लोगों के कल्याणार्थ अनेक शिविर लगाते हैं। उन्होंने उपनिषद दर्शन, भक्ति सुधा और पावन-पथ पुस्तकों की रचना भी की।
क्या है मुमुक्षु आश्रम?
मुमुक्षु आश्रम की स्थापना सन 1943 में पूज्य स्वामी शुकदेवानंद द्वारा की गई। सबसे पहले यहां संस्कृत विद्यालय बना। इसके बाद 1947 में आश्रम परिसर में दैवी संपत इंटर कॉलेज खोला गया। यह आश्रम 83 वर्ग एकड़ जमीन में फैला है और शिक्षा, दीक्षा का एक प्रमुख केंद्र है। इस आश्रम की स्थापना में शहर के बिशनचंद सेठ, शिवप्रसाद सेठ और शांति प्रसाद अग्रवाल जैसे दर्जनों गणमान्य व्यक्तियों की प्रमुख भूमिका रही है। फिर आश्रम में 1964 में डिग्री कॉलेज की स्थापना की गई। साल 1985 में स्वामी चिन्मयानंद ने परिसर में बीकॉम की पढ़ाई शुरू करवाई। वर्ष 1989 में स्वामी जी को इस आश्रम का मुख्य अधिष्ठाता बनाया गया। इससे पहले स्वामी जी हरिद्वार, ऋषिकेश आदि स्थानों को ही देख रहे थे। वर्ष 1990 में कांची कामकोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती द्वारा शंकर मोक्ष विद्यापीठ की स्थापना कराई गई। यह पीठ इंटरमीडिएट सीबीएसई बोर्ड से संचालित है। आज यह जिले का सबसे अग्रणी कॉलेज है। वर्ष 2003 में एसएस लॉ कॉलेज की स्थापना यहां हुई। इस कॉलेज के अंतर्गत एमकॉम, एमएड, बीएससी बायो, बीबीए तथा बीसीए की पढ़ाई शुरू की गई। यह मुमुक्षु आश्रम आज नर्सरी से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के लिए जाना जाता है। अनुशासन और पढ़ाई की गुणवत्ता के लिए यह काफी चर्चित है।
साध्वी चिदर्पिता इसी आश्रम को देख रही थी। अनेक शिक्षाविद् यथा विद्यानिवास मिश्र, राजेंद्र मिश्र, जायद हुसैन जैदी, लालजी सिंह, सत्यपाल गौतम, डा.मुरलीधर तिवारी, प्रो.अमर सिंह, प्रो.एनडीएन वाजपेयी और प्रो.जेएस राजपूत इस आश्रम की परिक्रमा करते रहे हैं। इसके अलावा राजनीतिक हस्तियां भी यहां आती रहती हैं। देश के ऐसे कम ही विद्वान, समाजशास्त्री, राजनीतिज्ञ और वैज्ञानिक होंगे, जिनके चरण यहां न पड़े हों। शंकराचार्य के चारों मठों के मठाधीशों के चरण भी यहां पड़ चुके हैं।
इसके अलावा अनेक आश्रम, विभिन्न प्रकल्प, विभिन्न शिक्षा संस्थान, विभिन्न सामाजिक योजनाएं मुमुक्षु, परमार्थ और दैवी संपदा के नाम से देश दुनिया में संचालित है। अरबों की संपत्ति वाले इस आश्रम के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद हैं और शाहजहांपुर में इसकी देखभाल साध्वी चिदर्पिता कर रहीं थीं। चिदर्पिता एक तरह से यहां की मालकिन थी, लेकिन अब वह आश्रम की एकमात्र दुश्मन हैं और आश्रम का हर शख्स उसका दुश्मन।
प्रतिक्रियाएं -:
शाहजहांपुर बार एसोसिएशन के 70 फीसदी अधिवक्ता साध्वी के पक्ष में
चंद्रभान त्रिपाठी, आश्रम क्लर्क - वह हिटलर महिला थी। आप बदतमीज भी कह सकते हैं। सबको डरा कर रखती थी। सबसे पैर छुआती थी। स्वामी जी को बदनाम कर रही है।
ब्रजेश मिश्र, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष- साध्वी अपनी जगह सही हैं। वह बार की सदस्य हैं। स्वामी को जेल जाना ही पड़ेगा।
श्री प्रकाश डबराल, आश्रम प्रबंधक - यह महिला चालाक और क्रूर है। जहां से उसे प्रतिष्ठा मिली उसे ही कलंकित किया है। यहां बहुत लाभ कमा रही थी, अब पता चलेगा।
संजय मिश्र - बार एसोसिएशन साध्वी के साथ है। हम न्याय दिलाएंगे। स्वामी ने गलत काम किया है और शहीदों के इस शहर को बदनाम किया है।
डॉ. रेनू शर्मा, आध्यापक - नारी की शालीनता को साध्वी ने तोड़ा है। वह भ्रष्ट है और उनका आरोपगलत है।
कृष्णकांत पांडेय, शिक्षक- गलत सही का फैसला तो अदालत करेगी, लेकिन इस वातावरण से समाज में गलत संदेश जा रहा है। अब साधु सही है या साध्वी भगवान ही जानें।
डॉ. रंजना प्रियदर्शिनी - हमलोग साध्वी की शक्ति संस्था से जुड़े थे। वह अब गलत कर रही है। ब्लैकमेलिंग है यह।
रामदरश सिंह, पानवाला - संतों की दुनिया ही ऐसी है। ऊपर से राम-राम नीचे से गलत काम। स्वामी गलत है, तो साध्वी भी गलत है। जिस महिला का शोषण होगा, वह क्यों रहेगी?
रवि प्रकाश, छात्र - साध्वी चिदार्पिता आश्रम को हथियाना चाहती है। हम छात्र इसी कैंपस के हैं। आज तक ऐसा नहीं सुना। यह कैसी महिला है भाई साहब।
डॉ. रघुवंश लाल - साध्वी राजनीति कर रही है। वह धनलोलुप है। दस साल से यहां रही। सब ठीक था, अब स्वामी गलत हो गए। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह लड़ाई सेक्स को लेकर हो।
सत्येन्द्र पाठक, आध्यापक - गौतम और राजनीतिक दलों से मिलकर यह षडयंत्र साध्वी कर रही है। गलत महिला है।
हम करेंगे मानहानि का मुकदमा
(अवनीश मिश्रा, प्राचार्य एसएसडी लॉ कॉलेज, शाहजहांपुर)
स्वामी चिन्मयानंद की देख-रेख में संचालित विश्व प्रसिद्ध मुमुक्षु आश्रम इन दिनों साध्वी चिदर्पिता और स्वामी के अंतरंग संबंधों, मारपीट और बलात्कार से लेकर गर्भपात जैसी खबरों से चर्चा में है। आश्रम के भीतर स्वामी शुकदेवानंद पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अवनीश भी अब साध्वी के निशाने पर हैं। साध्वी ने उन पर कई शैक्षणिक आरोप लगाए हैं। प्राचार्य से अखिलेश अखिल की बातचीत के अंश-
अवनीश जी, आप यहां के प्राचार्य हैं। साध्वी चिदर्पिता से आपकी मुलाकात तो होती रही होगी?
-- जी हां। हम उन्हें जानते थे। लेकिन हमारा काम पठन-पाठन से है, इसलिए उनके व्यक्तिगत जीवन से हमें क्या मतलब? दिल्ली की रहने वाली इस महिला को स्वामी जी ने ‘आदमी’ बनाया और आज वही स्वामी जी उसके दुश्मन हो गए? हम ज्यादा इस पर नहीं बोलना चाहते, लेकिन यह सारा खेल राजनीति से प्रेरित है।
साध्वी ने स्वामी चिन्मयानंद पर बलात्कार करने, जान से मारने व गर्भपात कराने का आरोप लगाया है?
-- यह सब बकवास है। स्वामी की छवि को धूमिल करने का खेल है। सच सामने आ जाएगा। साध्वी ने तो बंधक बनाने की भी बात कही है। जब वह हर रोज बाहरी कार्यक्रमों में जाती थी, तो बंधक कैसे थी? समय आने पर सब साफ हो जाएगा।
जिस बीपी गौतम से साध्वी ने शादी की है, उसे आप जानते हैं?
-- हमारी मुलाकात नहीं है। चैटिंग के जरिए प्रेम चल रहा था। यह बदायूं का रहने वाला है। उसकी पहले से मधु नाम की पत्नी और एक बच्चा भी है। यह सारे बसपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। साध्वी को राजनीति क्यों रास आई, यह महत्वपूर्ण है।
स्वामी और साध्वी के बीच अनबन का कारण?
-- यह तो साध्वी ही बताए। लालच आदमी को अंधा कर देता है, इस आश्रम में नर्सरी भी है। उसके पैसे आश्रम के खाते में नहीं, उसके निजी खाते में जमा हो रहे थे। स्वामी जी ने जब टोका, तो बवाल हो गया। आश्रम के गहने सोने-चांदी के बर्तन बैंक में अपने नाम से जमा करवा लिया है। इसके अलावा गौतम कर्जों में डूबा है। कर्ज से उबरने के लिए उसने यह ‘ब्लकैमेलिंग’ का धंधा शुरू किया है।
साध्वी ने आप पर भी गलत तरीके से पद पाने की बात कही है?
-- देखिए कौन क्या कहता है, इससे मतलब नहीं। हम 1985 से इस कॉलेज में हैं। आयोग से चयनित प्रवक्ता हूं। और 2004 में आयोग से चयनित प्राचार्य। सरकार ने हमें यहां बैठाया है। हम उस पर मानहानि का मुकदमा कर रहे हैं, क्योंकि साध्वी ने हमारी तैनाती पर सवाल उठाकर हमारी सामाजिक और शैक्षणिक योग्यता का उपहास उड़ाया है। हम 18 छात्रों को पीएचडी करा चुके हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश अखिल का यह लिखा हमवतन अखबार में प्रकाशित हुआ है. वहीं से साभार लेकर यहां प्रकाशित किया गया है.
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भाजपा के संत को साधवी चिदर्पिता की चुनौती
बीपी गौतम ( साधवी चिदर्पिता ने भाजपा शासन में गर्ह राज्यमंत्री रह चुके स्वामी चिन्मयानंद पर यौन शोषण का आरोप लगाया है और एक मुकदमा भी शहजहांपुर में चिन्मयानंद के खिलाफ़ दर्ज हुआ है पूर्व में स्वामी चिन्मयानंद की शिष्या रह चुकी साधवी की शादी बीपी गौतम से हुई है जो एक पत्रकार हैं )
साध्वी चिदर्पिता गौतम द्वारा शुरू की गयी जंग का कानूनी हस्र क्या होगा?, यह तो आने वाला समय ही निश्चित करेगा, जो भी हो, पर मुझे न्याय के लिए कानून से अधिक ईश्वर पर विश्वास है, क्योंकि उसकी अदालत से कथित स्वामी चिन्मयानंद उर्फ कृष्ण पाल सिंह का बचना संभव ही नहीं है, इसलिए मैं कथित स्वामी के पाप ईश्वर पर छोड़ कर साध्वी को बीती जिंदगी भूल जाने के लिए प्रेरित कर सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि परिचय होने के बाद साध्वी चिदर्पिता की नरकीय जिंदगी की मुझे जिस दिन जानकारी हुई, उसी दिन मैंने यह संकल्प ले लिया था कि गेरूआ वस्त्रों के अंदर छिपे, इस वहशी दरिंदे का असली चेहरा जनता के सामने अवश्य लाऊंगा, वो संकल्प पूरा हो गया है। हालांकि कानून अपना काम कर रहा है और साध्वी को अदालत से भी न्याय मिलेगा, पर वास्तव में मुझे व्यक्तिगत तौर पर सुखानुभूति हो रही है।
स्थानीय, प्रांतीय या राष्ट्रीय स्तर के हर क्षेत्र से जुड़े खास लोग कथित स्वामी के चरित्र और व्यवहार की सच्चाई पहले से ही जानते हैं, पर अब देश का बच्चा-बच्चा जान गया है, इसलिए अब जनता फैसला करे कि ऐसे अधार्मिक व्यक्ति को गेरूआ वस्त्र धारण करने का अधिकार है, क्या ऐसे चरित्रहीन व्यक्ति को जनप्रतिनिधि बनने का अधिकार है, क्या ऐसे भ्रष्ट व्यक्ति को देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं का अध्यक्ष बने रहने का अधिकार है? चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली भाजपा में वरिष्ठ नेता के तौर पर प्रतिष्ठित इस पेशेवर धंधेबाज का भाजपा में रहने का अधिकार है? संत
समाज में शिखर पर माने जाने वाले सरस्वती संप्रदाय में ऐसे लोगों को रहने
का अधिकार होना चाहिए और सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या इस वहशी को हम सब से
सम्मान पाने का अधिकार है? यह ऐसे सवाल हैं कि जिनका कानून से कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए पूरा घृणित मामला आपकी अदालत में ला दिया गया है। अब मंथन के बाद आप स्वयं निर्णय लें। आपकी आत्मा से जो आवाज आये, वह परिणाम सुना देना, उसे मैं क्या स्वयं भगवान भी मानने को बाध्य होंगे, क्योंकि पंच ही परमेश्वर होते हैं।
मेरी महान कहलाने की या बनने की भी कोई इच्छा नहीं है। मैं आम आदमी वाली ही जिंदगी जीने का पक्षधर हूं और मरने के बाद भी कलम के सिपाही के रूप में जाना जाऊं, इसके लिए ही रात-दिन मेहनत करता हूं, पर लडऩे की आदत शुरू से ही है, जो पूज्य पिता से खून में मिली है। सच्चाई के लिए किसी भी हद तक जाने का साहस पूज्य मां से मिला है, जो अंतिम सांस तक रहेगा। यह संयोग ही है कि सामने देश का पूर्व गृह राज्यमंत्री है, पर लडऩे से पहले मेरे मन में एक क्षण को भी नहीं आया कि लड़ाई किससे शुरू करने जा रहा हूं ?, मैंने किसी से सलाह भी नहीं ली, क्योंकि मेरे परिजन, रिश्तेदार और मित्र अच्छी तरह जानते हैं कि यह सच के लिए किसी से भी भिड़ जाता है,
तो सच के लिए लडऩे से कौन मना करेगा?
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