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दबंगो ने दबंगतापूर्वक किया दूसरे की जमीन पर किया कब्जा
कटनी .रफी अहमद किदवई वार्ड में स्थित रोशन नगर में जमीन दलालों के द्वारा इतनी विवादित कर दी गई कि कभी-भी किसी प्रकार का विवाद हो सकता है। क्योकि रोशन नगर में जितने भी मकान बनें है,उसमे 75 प्रतिशत मकान सही है,परन्तु 25 प्रतिशत मकान टोटल फर्जी तरीके से बनायें गये हैं। क्योकि जिस जमीन मे मकान खड़ा है,वह जमीन दर असल रजिस्ट्री के मुताबिक जमीन किसी और के नाम दर्ज है,परन्तु कोई और मकान बनवा कर रह रहा है।
पटवारी एवं दलालों ने कराई जमीनों में हेराफेरी
1985 में रोशन नगर मे एक दो मकान बने थे, वो भी कच्चे जब वहॉं जमीन की कीमत लगभग एक रुपये या दो रुपये चल रही थी। उसके बाद शहर के लोगो ने रोशन नगर मे जमीन की खरीद फरोक्त चालू की,तो रोशन नगर की जमीन सस्ती के चक्कर मे खरीदना चालू कर दिया जब वहॉ की जमीन बिकने लगी तो दलाल रमाकांत पुरी व शुक्ला ने अपने इस घिनोनें खेल में पटवारी को शामिल किया और रोशन नगर की जमीन मे हेराफेरी करना चालू कर दिया एक ही खसरा नं. की जमीन तीन लोगों के नाम करा कर रजिस्ट्री करा दी। तब कोई एक व्यक्ति उस जमीन मे अपना मकान बनाना चालू करता है, तो दूसरा व्यक्ति उस जमीन मे चल रहें काम को रुकवा देता है तथा अपनी रजिस्ट्री दिखा कर कहता है कि यह जमीन मेरी है,और एक दूसरे से विवाद होता है। विवाद गहराता देख कर लोग न तो न्यायालय में जाता था,न ही किसी वकील से मिलनें की कोशिश करता है। वही दलाल फिर कुछ रकम लेकर पटवारी के माध्यम सें दूसरे व्यक्ति को कही और की जमीन पर कब्जा दिला दिया जाता है। जमीन सस्ती होने के चक्कर मे लोगों ने जमीन लेकर पड़ी रहने दी न तो उस जमीन पर नींव डाली न ही जमीन की चौहद्दी बनाई,इसमे भी दलालों ने पटवारी के माघ्यम से जम के रकम कमाई गई तथा पटवारी ने भी जमीन मे हेराफेरी कर के लाखों की रकम अन्दर किये। अपना घर भरा तथा गरीब पब्लिक बेचारी न्याय के लिए इघर उघर भटक रही है परन्तु न्याय दिलाने वाला कोई नहीं है। लोगों के रिकार्ड दूरस्त होनें कं बावजूद सारे प्रमाण गलत साबित हो रहे है। न्यायिक प्रकिया में और समय लगता है। ये सभी खरीददार अच्छी तरह जानते है,न्यायालय मे वकील भी क्या करे वो तों लड़ता रहता है,तथा अपने फ रियादी को न्याय के लिए आश्वासन ही देता रहता है।
यही कहानी है खसरा न. 1516/3 एवॅं खसरा न. 1517 1985 मे
रोशन नगर खसरा न.1516/3 की जमीन को विक्रेता पक्ष सें जमीन क्रय किया भूस्वामी उमेश सिंह पिता नागेष्वर सिंह ने खरीदी थी,एक एकड. 26 डेसीमिल जमीन लेकर पड़ी रहने दी उस जमीन मे नींव नहीं किया तथा तथा जमीन वैसे ही पड़ी थी परन्तु वहॉं के दलाल रमाकांत पुरी एवं शुक्ला तथा पटवारी की मिली भगत से खसरा न. 1517 के खरीदारों को 1516/3 मे जमीन बता कर रजिस्ट्री करा दी, जबकि रजिस्ट्री खसरा न. 1517 की है। लेकिन लोगो ने अपना मकान खसरा न. 1516/3 में अपना मकान तैयार कर लिया। जब उस जमीन के असली भूस्वामी को ये बात पता चली तो भू स्वामी अपनी जमीन पर गया और काम चालू कराया तो तो उस जमीन के पता नहीं कितने भूस्वामी पैदा हो गए तथा उस जमीन के असली भूस्वामी को डरानें घमकानें लगे और धमकी देकर भगाने लगे। प्रशासन अगर इस और ध्यान नहीं देता तों कोई भी अनहोनी या धटना हो सकती है इस खसरा न. 1516/3 एॅंव 1517 की जमीन सीमांकन का चालान कटने के बाद भी न पटवारी उस जमीन का सीमाकंन करने जा रहा है नाही उस खसरा न. का कोई निर्णय कर रहे है। अगर प्रशासन इस और ध्यान नहीं देता तों जमीनी विवाद के चलते कभी कोई भी अप्रिय धटना धट सकती है।
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