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भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लोगों की समस्याओं के निराकरण और शिकायतों के लिए सीएम हेल्पलाइन की व्यवस्था शुरू की थी। जिस पर ठीक तरह से अमल नहीं किया गया है। हेल्पलाइन में आई शिकायतों के निराकरण करने के बजाय शिकायतों को क्लोज कर दिया गया है। हेल्पलाइन में आई पांच लाख शिकायतों को फोर्स क्लोज करने वाले प्रदेश के विभिन्न विभागों के 200 अफसरों पर कार्रवाई की जाने वाली है। इस मामले में जिम्मेदार अफसरों के सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश राज्य शासन ने जारी किए हैं।
जनता की सुनवाई के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन के दायरे में अब तक 203 अलग-अलग विभागों और सेवाओं को चिन्हित किया गया है जिनकी 4 लाख 96 हजार 795 शिकायतों को स्पेशल क्लोज किया गया है। इतनी अधिक संख्या में शिकायतों को स्पेशल क्लोज किए जाने से हेल्पलाइन की सेवा पर सवाल उठने लगे थे। *इसके बाद जीएडी ने अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, राजस्व मंडल, विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत को इस संबंध में दिए निर्देश में कहा है कि कई प्रकरणों में शिकायत का निराकरण किए बगैर उसे सीएम हेल्पलाइन की स्पेशल क्लोजर श्रेणी में डाल दिया गया है।* ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
साथ ही आने वाले समय में ऐसे केस सामने आने पर संबंधित अफसर के विरुद्ध सख्ती से अनुशासनात्मक कार्यवाही कर शासन को सूचित किया जाए। जीएडी के इस निर्देश के बाद अब प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों को स्पेशल क्लोजर की व्यवस्था भी बदली जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कई बार इस तरह की शिकायतें मिली हैं कि निराकरण किए बगैर हेल्पलाइन में आई शिकायतों को फोर्स क्लोज कर दिया गया। इस मामले में एक सप्ताह पहले सीएम हाउस में हुई बैठक में मुख्यमंत्री चौहान ने अफसरों की क्लास ली और कहा था कि ऐसा करना संपूर्ण व्यवस्था को बाधित करने जैसा है।
इसके बाद अधिकारी हरकत में आये और हेल्पलाइन में नियमों के बदलाव और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए प्लान बनाया जा रहा है।इन शिकायतों के सामने आने के बाद शासन ने तय किया है कि सीएम हेल्पलाइन में आई शिकायतों को स्पेशल क्लोज करने का काम लेवल-3 और लेवल-4 वाले अफसरों के पास ही रहेगा। ये अधिकारी भी सिर्फ उस स्थिति में शिकायत क्लोज कर सकेंगे जब शिकायतकर्ता या हितग्राही या तो अपात्र है या उसे सेवा/योजना का लाभ नीतिगत रूप से नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा राज्य सरकार के दायरे से बाहर के प्रकरणों में भी स्पेशल क्लोजर लग सकता है।
नियमों में बदलाव करने का उदेश्य जनता की शिकायतों को अधिक से अधिक संख्या में निराकरण करना है। जिसके लक्ष्य के साथ इस सुविधा की शुरुआत की गई थी, उसे अपने लक्ष्य तक पहुचाना है।
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लोगों की समस्याओं के निराकरण और शिकायतों के लिए सीएम हेल्पलाइन की व्यवस्था शुरू की थी। जिस पर ठीक तरह से अमल नहीं किया गया है। हेल्पलाइन में आई शिकायतों के निराकरण करने के बजाय शिकायतों को क्लोज कर दिया गया है। हेल्पलाइन में आई पांच लाख शिकायतों को फोर्स क्लोज करने वाले प्रदेश के विभिन्न विभागों के 200 अफसरों पर कार्रवाई की जाने वाली है। इस मामले में जिम्मेदार अफसरों के सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश राज्य शासन ने जारी किए हैं।
जनता की सुनवाई के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन के दायरे में अब तक 203 अलग-अलग विभागों और सेवाओं को चिन्हित किया गया है जिनकी 4 लाख 96 हजार 795 शिकायतों को स्पेशल क्लोज किया गया है। इतनी अधिक संख्या में शिकायतों को स्पेशल क्लोज किए जाने से हेल्पलाइन की सेवा पर सवाल उठने लगे थे। *इसके बाद जीएडी ने अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, राजस्व मंडल, विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत को इस संबंध में दिए निर्देश में कहा है कि कई प्रकरणों में शिकायत का निराकरण किए बगैर उसे सीएम हेल्पलाइन की स्पेशल क्लोजर श्रेणी में डाल दिया गया है।* ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
साथ ही आने वाले समय में ऐसे केस सामने आने पर संबंधित अफसर के विरुद्ध सख्ती से अनुशासनात्मक कार्यवाही कर शासन को सूचित किया जाए। जीएडी के इस निर्देश के बाद अब प्रदेश में सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों को स्पेशल क्लोजर की व्यवस्था भी बदली जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कई बार इस तरह की शिकायतें मिली हैं कि निराकरण किए बगैर हेल्पलाइन में आई शिकायतों को फोर्स क्लोज कर दिया गया। इस मामले में एक सप्ताह पहले सीएम हाउस में हुई बैठक में मुख्यमंत्री चौहान ने अफसरों की क्लास ली और कहा था कि ऐसा करना संपूर्ण व्यवस्था को बाधित करने जैसा है।
इसके बाद अधिकारी हरकत में आये और हेल्पलाइन में नियमों के बदलाव और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए प्लान बनाया जा रहा है।इन शिकायतों के सामने आने के बाद शासन ने तय किया है कि सीएम हेल्पलाइन में आई शिकायतों को स्पेशल क्लोज करने का काम लेवल-3 और लेवल-4 वाले अफसरों के पास ही रहेगा। ये अधिकारी भी सिर्फ उस स्थिति में शिकायत क्लोज कर सकेंगे जब शिकायतकर्ता या हितग्राही या तो अपात्र है या उसे सेवा/योजना का लाभ नीतिगत रूप से नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा राज्य सरकार के दायरे से बाहर के प्रकरणों में भी स्पेशल क्लोजर लग सकता है।
नियमों में बदलाव करने का उदेश्य जनता की शिकायतों को अधिक से अधिक संख्या में निराकरण करना है। जिसके लक्ष्य के साथ इस सुविधा की शुरुआत की गई थी, उसे अपने लक्ष्य तक पहुचाना है।
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