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नोटबंदी के मुद्दे पर केंद्र के साथ तीखी जुबानी जंग में उलझी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग की और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली या गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय सरकार बनाने की वकालत की है.
नोटबंदी और चिटफंड घोटाले के सिलसिले में अपनी पार्टी के सांसदों की गिरफ्तारी के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर चुकी तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने देश को नरेंद्र मोदी से बचाने की खातिर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से दखल देने की मांग की. ममता ने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों को अपने मतभेद भुलाकर देश बचाने के लिए साथ आना चाहिए. प्रधानमंत्री पद के लिए आडवाणी, जेटली और राजनाथ के नाम सुझाते हुए उन्होंने कहा कि वक्त आ चुका है कि राष्ट्रपति दखल दें और देश को बचाएं. वह मोदी देश की अगुवाई नहीं कर सकते. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. राष्ट्रीय सरकार बननी चाहिए. ममता ने प्रणब के उस बयान की तारीफ की जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी से देश में अस्थायी मंदी आ सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले ममता बनर्जी द्वारा विपक्ष की एकजुटता के आह्वान पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का भी साथ मिलता दिख रहा है. आजाद ने 'इंडिया टुडे' से बातचीत में कहा कि विपक्ष के विभाजित रहने की वजह से ही लोकसभा और विधानसभा चुनावों एनडीए को जीत मिली. पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ममता जी की इस बात में बहुत वजन है. यह सच है कि विपक्षी दलों में एकजुटता के आभाव की वजह से ही मौजूदा (केंद्र) सरकार फल-फूल रही है. वह कहते हैं, सिर्फ 30 फीसदी वोटरों ने मौजूदा एनडीए सरकार के पक्ष में वोट दिया, जबकि करीब 70% वोट इसके खिलाफ पड़े थे.
आजाद कहते हैं, 'यह सच है कि बीजेपी की जीत हमेशा ही सेकुलर वोटों के बंटवारे की वजह से होती है. सेकुलर वोट अगर एक हो जाएं, तो बीजेपी कभी न तो लोकसभा और ना ही विधानसभा चुनाव जीत पाएगी.'
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