TOC NEWS // अवधेश पुरोहित
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे लेकर आज तक यह प्रदेश पूरी तरह से कर्ज में डूब गया है तो वहीं वह वित्तीय संकट से भी गुजर रहा है, स्थिति यह है कि सरकार को अपने नियमित व्यय के लिये आये दिन अपनी परसम्पत्ति गिरवती रखकर बाजार से कर्ज उठाना पड़ता है तो वहीं वित्तीय संकट की स्थिति का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री के द्वारा की गई घोषणा पर वित्त विभाग चाहे किसानों का मामला हो या अन्य किसी मुआवजे पर आयेदिन अड़ंगा लगाने का काम कर रहा है।
तो वहीं मुख्यमंत्री का काम केवल अपनी कुर्सी बचाने और ऊँचा ओहदा पाने की अभिलाषा के चलते कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से आये दिन कोई न कोई सरकारी स्तर पर नौटंकी का खेल आये दिन इस प्रदेश में चलता रहता है, जिस नमामि देवी नर्मदे यात्रा का ढिंढोरा मुख्यमंत्री और सरकार द्वारा जनसहयोग से होने का ढिंढोरा पीटा जा रहा था उस यात्रा की हकीकत बयां भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता इस तरह से करते हैं कि दरअसल यह नमामि नर्मदा यात्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुढ़ापे की काशी की परिकल्पना के चलते नहीं और न ही मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी को प्रवाहमान व प्रदूषण मुक्त करने के मकसद से जनजागृति लाने के लिये १४८ दिनों की यह नमामि नर्मदे सेवा यात्रा निकाली गई थी
इन भाजपाई नेताओं के अनुसार दरअसल यह नमामि नर्मदे यात्रा जिन उद्देश्यों से निकाली गई थी उसका असल मकसद यह था कि एक ज्योतिष द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी कुर्सी बचाने और ऊँचा पद पाने के मकसद से नर्मदा यात्रा करने की सलाह दी गई थी, यदि इन भाजपाईयों की बात पर विश्वास करें तो उक्त ज्योतिष की सलाह के अनुसार इस यात्रा का असल मकसद कुर्सी बचाना तो था ही तो वहीं दूसरी ओर यह यात्रा रेत खोजो यात्रा थी, ताकि इस यात्रा के चलते प्रदेश की जीवन दायिनी नर्मदा के उन स्थलों की पहचान की जाए जहाँ-जहाँ रेत कारोबारियों के नर्मदा में अवैध खनन के चलते रेत बची हो वहां उसका अवैध खनन कराने वालों को प्रोत्साहित किया जाए।
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कुल मिलाकर जिस नमामि नर्मदा यात्रा को लेकर प्रदेश में १४८ दिन नर्मदा किनारे के गांवों और शहरों में सरकारी स्तर पर इस यात्रा का आयोजन किया गया उस यात्रा के दौरान भाजपा के नेताओं सहित विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा कई प्रकार के आरोप लगाये गये। तो वही दूसरी ओर सरकारी स्तर पर इसे जनसहयोग से निकाली जाने वाली यात्रा बताया गया, लेकिन सवाल यह उठता है कि यह यात्रा पूर्ण रूप से नर्मदा नदी को प्रवाहमान व प्रदूषण मुक्त कराने के मकसद से जनजागृति लाने के लिये की गई थी तो इस यात्रा के दौरान १४८ दिनों में कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से २१ करोड़ से ज्यादा विज्ञापनों पर खर्च क्यों किये गये,
क्या इस नमामि नर्मदा यात्रा में मध्यप्रदेश के नहीं बल्कि विदेशों के लोगों में जनजागृति लाने के उद्देश्य से किये गये थे और न्यूयार्क के साप्ताहिक समाचार पत्र ‘इंडिया एब्रोड ‘ में दस लाख २६ हजार का विज्ञापन देने से क्या न्यूयार्क के लोग इस नर्मदा यात्रा में शामिल हुए और कितने लोग शामिल हुए उसका खुलासा क्या सरकार द्वारा किया जाएगा। कुल मिलाकर नर्मदा यात्रा को लेकर जिस तरह की चर्चाएं विपक्षी दलों से लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में जारी हैं और इस यात्रा को भाजपा के लोग शुद्ध रूप से मुख्यमंत्री द्वारा कुर्सी बचाने और ऊँचा पद पाने के उद्देश्य से एक ज्योतिष द्वारा मुख्यमंत्री को नर्मदा यात्रा करने की सलाह पर नमामि नर्मदे यात्रा का आयोजित करना बता रहे हैं।
खैर, मामला जो भी हो यह भाजपा के नेता और प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही जानते होंगे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किस तरह का संकट था, जिस संकट को बचाने के लिये यह १४८ दिन की नमामि नर्मदा यात्रा ज्योतिष की सलाह पर आयोजित की गई। हालांकि यह यात्रा सरकारी ढिंढोरे और मुख्यमंत्री के श्रीमुख से जनसहयोग से निकाली जाने का दावा किया जाता रहा, मगर सरकार ने इस यात्रा पर सिर्फ और सिर्फ प्रचार पर हर रोज १४ लाख ५८ हजार रुपए विज्ञापनों पर ही खर्च किये, कुल मिलाकर इस यात्रा के दौरान २१ करोड़ ९८ लाख ४० हजार रुपये विज्ञापनों पर कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से खर्च किये गये।
जबकि इस तरह के विज्ञापनों के खर्च को लेकर भाजपा के नेता यह कहते नजर आ रहे हैं कि यदि यह राशि प्रदेश के किसी एक जिले कि किसानों पर यदि ईमानदारी से खर्च की जाती तो शायद प्रदेश में किसानों के हितों में चलाई जा रही तमाम योजनाओं के ढिंढोरे के बाद जो किसानों की स्थिति दयनीय है, इस राशि के खर्च किये जाने से शायद कुछ परिवर्तन दिखाई देता और किसानों में भड़क रहा आंदोलन में कुछ कमी आती? हालांकि जिस दिन शिवराज सिंह चौहान ने इस नमामि देवी नर्मदे यात्रा की घोषणा की थी उसी दिन शाम को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय दीनदयाल परिसर में आयोजित भाजपा की एक बैठक में भाग लेने आए भाजपा के नेताओं में यह कानाफूसी जारी हो गई थी.
कि यह नमामि नर्मदे यात्रा नर्मदा को प्रवाहमान बनाने या प्रदूषणमुक्त करने के मकसद से नहीं बल्कि इसे रेत खोजो यात्रा भाजपा के नेता बताने में लग गए थे। अब सवाल यह उठता है कि अकेले विज्ञापनों में ही २१ करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च नमामि यात्रा के दौरान खर्च किए गए तो बाकी १४८ दिन आयोजित की गई इस यात्रा के दौरान कर्जदार प्रदेश के खाली खजाने से और किन-किन मदों पर कितनी-कितनी राशि खर्च की गई इसका भी खुलासा किये जाने की मांग विपक्षी दलों के नेताओं से लेकर भाजपा के नेता करते दिखाई दे रहे हैं।
भाजपा नेताओं के अनुसार मुख्यमंत्री की यह नमामि नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान केवल विज्ञापन पर खर्च किये गये २१ करोड़ ९८ लाख ४० हजार के विज्ञापनों के खर्च को लेकर विधानसभा में एक सवाल का सरकार की ओर से दिये गये लिखित जवाब में कहा गया है कि यात्रा के दौरान विज्ञाप टीवी चैनलों, समाचार-पत्र और पत्रिकाओं से लेकर विदेशी अखबारों तक में प्रकाशित किए गए। दस लाख २६ हजार रुपये का विज्ञापन न्यूयॉर्क के साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘इंडिया एब्रोड में भी प्रकाशित किया गया।
कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह द्वारा एक प्रश्न के जरिए नमामि नर्मदे सेवा यात्रा के दौरान प्रचार-प्रसार पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था। उनका सवाल था कि यात्रा अवधि ११ दिसम्बर २०१६ से १५ मई २०१७ के दौरान देश और विदेश के किन-किन अखबारों, चैनलों और पत्रिकाओं में विज्ञापन प्रकाशित किए गए और उस पर कुल कितनी राशि खर्च हुई। दिए गए जवाब के मुताबिक, विज्ञापन पर कुल २१ करोड़ ५८ लाख ४०३४४ रुपये खर्च किए गए। किसी भी विदेशी टीवी चैनल को विज्ञापन नहीं दिया गया, मगर न्यूयॉर्क के साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘इंडिया एब्रोड को दस लाख २६ हजार रुपए का विज्ञापन दिया गया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि सरकार ने दावा किया था कि यह यात्रा जनसहयोग से निकाली जा रही है और इसके लिये सरकार का कोई बजट नहीं है। जब विज्ञापन पर ही साढ़े २१ करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, तो यात्रा पर सरकार ने कितनी राशि खर्च की होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। लिहाजा, सरकार को नर्मदा यात्रा के खर्च पर श्वेतपत्र जारी करना चाहिए।
जैसा कि विपक्ष द्वारा नर्मदा यात्रा को लेकर जो श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है क्या उस श्वेत पत्र में इस बात का भी खुलासा किया जाएगा कि यह यात्रा क्या मुख्यंमत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा को अपने बुढ़ापे की काशी बनाने के उद्देश्य से नर्मदा नदी को प्रवाहमान बनाने व प्रदूषणमुक्त करने के मकसद से निकाली गई थी या जैसा कि विपक्षी नेताओं के साथ-साथ भाजपा का एक गुट इस यात्रा को मुख्यमंत्री के द्वारा अपनी कुर्सी बचाने और ऊँचा पद पाने के उद्देश्य से ज्योतिष की सलाह पर की गई यात्रा बता रहे हैं? देखना अब यह है कि नर्मदा यात्रा को लेकर विपक्ष जो श्वेतपत्र जारी करने की मांग कर रहा है तो क्या सच में सरकार आने वाले दिनों में नर्मदा यात्रा को लेकर कोई श्वेत पत्र जारी करेगी और उस श्वेत पत्र में इन सब बातों का खुलासा होगा या नहीं यह तो आने वाला भविष्य बताएगा।
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